किस समय सीमा को चुनना है?

क्या कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों का सदस्य बन सकता है?
हाल के चुनावों में जीतने वालों में से कुछ प्रत्याशी एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे; कुछ पहले से ही राज्यसभा या किसी राज्य की विधायिका के सदस्य थे। अतः इन सांसदों को अपने एक पद से इस्तीफा देना होगा क्योंकि संविधान के तहत, एक व्यक्ति संसद के दोनों सदनों (या राज्य विधानमंडल), या संसद और राज्य विधानमंडल दोनों का सदस्य नहीं हो सकता है, या किसी सदन में एक से अधिक सीटों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।
इसे प्रभावी बनाने की प्रक्रियाएँ और समयसीमा क्या है?
लोकसभा और राज्यसभा:
- यदि कोई व्यक्ति राज्यसभा और लोकसभा दोनों के लिए एक साथ चुना जाता है, और यदि वह अभी तक दोनों सदनों में से किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तो वह चुनी गई तिथि से 10 दिनों के भीतर उस सदन का सदस्य बन सकता है, जिसका सदस्य बनने की वह इच्छा रखता है। [जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 68(1) के साथ संविधान का अनुच्छेद 101(1)
- सदस्य को भारत के चुनाव आयोग (ECI) के सचिव को 10 दिनों के भीतर लिखित रूप में अपनी पसंद से अवगत कराना होगा, ऐसा करने पर इस अवधि के अंत में राज्यसभा या लोकसभा में उसका स्थान रिक्त हो जाएगा [Sec 68(2), RPA 1951]। सदस्य द्वारा एक बार चुना जाने वाला विकल्प अंतिम होता है। [Sec 68(3), RPA, 1951]
- हालाँकि किसी ऐसे व्यक्ति के लिए ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं है, जो पहले से ही किसी सदन का सदस्य हो और जिसने अन्य सदन की सदस्यता लेने के लिए चुनाव लड़ा हो। अतः यदि एक राज्यसभा सदस्य चुनाव लड़ता है और लोकसभा चुनाव जीत जाता है तो उच्च सदन में उसका स्थान उस दिन से स्वतः ही रिक्त हो जाएगा जिस दिन वह लोकसभा के लिए चुना जाता है। यही नियम एक लोकसभा सदस्य के लिए भी लागू होता है जो राज्यसभा में चुनाव लड़ता है। [Sec 69 read with Sec 67A, RPA 1951]
दो लोकसभा सीटों पर निर्वाचन:
नई लोकसभा में इस श्रेणी में कोई नहीं है। RPA, 1951 की धारा 33 (7) के तहत, एक व्यक्ति दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है, परन्तु अगर वह दोनों क्षेत्रों से चुना जाता है, तो उसे परिणाम की घोषणा से 14 दिनों के भीतर अपनी एक सीट से इस्तीफा देना होगा, ऐसा करने में विफल होने पर उसकी दोनों सीटें खाली हो जाएंगी। [Sec 70, RPA, 1951 के साथ चुनाव नियमों का संचालन, 1961 का नियम Rule 91]
राज्य विधानसभा और लोकसभा:
संविधान के अनुच्छेद 101(2) के तहत (इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए एक साथ सदस्यता का निषेध नियम, 1950 का नियम 2 के साथ) राज्य विधानसभाओं के सदस्य जो लोकसभा के लिए चुने गए हैं, उन्हें भारत के राजपत्र में या राज्य के आधिकारिक राजपत्र के प्रकाशन की तिथि से, जो भी बाद में हो, से 14 दिनों के भीतर अपनी सीटों से इस्तीफा देना चाहिए , ऐसा करने में विफल होने पर लोकसभा में उनकी सीटें अपने आप रिक्त हो जाएंगी।
छोटे कारोबारियों को मिली GST Council ने दी बड़ी राहत, अब इन्हें भी मिली GST से छूट
GST Council (वस्तु एवं सेवा कर परिषद) ने छोटे कारोबारियों को बड़ी दी है. जीएसटी काउंसिल ने GST से छूट की सीमा को दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया है.
छोटे कारोबारियों को GST में बड़ी राहत (फोटो: Reuters)
GST Council (वस्तु एवं सेवा कर परिषद) ने छोटे कारोबारियों को बड़ी दी है. जीएसटी काउंसिल ने GST से छूट की सीमा को दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया है. इसके अलावा, अब 1.5 रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयां 1% की दर से GST भुगतान की कम्पोजिशन योजना का लाभ उठा सकेंगी. यह व्यवस्था 1 अप्रैल से प्रभावी होगी. पहले 1 करोड़ रुपये तक के कारोबार पर यह सुविधा प्राप्त थी.
राज्यों को होगी 20 लाख या 40 लाख रुपये की सीमा चुनने की छूट
राज्यों को 20 लाख रुपये या 40 लाख रुपये की छूट सीमा में से किसी को भी चुनने का विकल्प होगा. क्योंकि कुछ राज्य छूट सीमा बढ़ाने को राजी नहीं थे. उनका कहना था कि छूट सीमा बढ़ाने से उनके करदाताओं का आधार कम हो जाएगा. उन्हें विकल्प चुनने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद कहा कि छोटे कारोबारियों के लिए GST छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख किस समय सीमा को चुनना है? रुपये सालाना कर दिया गया है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के व्यवसायियों के लिए पहले यह सीमा 10 लाख रुपये थी.
70% कारोबारियों को होगा फायदा, 5,200 करोड़ के राजस्व का हो सकता है नुकसान
उद्योग मंडल CII के अनुसार, जीएसटी काउंसिल की इस पहल से पंजीकृत 1.17 करोड़ कारोबारियों में से करीब 70 प्रतिशत का फायदा होगा. सूत्रों ने कहा कि यदि सभी राज्यों द्वारा छूट सीमा दोगुनी करने के फैसले को लागू किया जाता है तो इससे सालाना 5,200 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा.
केरल को 2 साल के लिए आपदा उपकर लगाने की अनुमति
इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने केरल को 2 साल के लिए राज्य में एक प्रतिशत ‘आपदा’ उपकर लगाने की अनुमति दे दी है. केरल में पिछले साल भयंकर बाढ़ से जानमाल का काफी नुकसान हुआ. राज्य में पुननिर्माण एवं पुनर्वास कार्यों के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए राज्य सरकार उपकर लगाने की मांग कर रही थी.
इन्हें भी मिलेगा कम्पोजिशन योजना का लाभ
वित्त मंत्री ने कहा कि कम्पोजिशन योजना के तहत छोटे व्यापारियों को अपने कारोबार के आधार पर एक प्रतिशत का कर देना होता है. एक अप्रैल से अब इस योजना का लाभ डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले उठा सकते हैं. इसके अलावा 50 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल आपूर्ति दोनों काम करने वाले कारोबारी भी जीएसटी कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुन सकते हैं. उन्हें छह प्रतिशत की दर से कर देना होगा. कम्पोजिशन योजना के तहत लिये गये इन दोनों निर्णयों से राजस्व पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये तक का प्रभाव होगा. जेटली ने बाद में ट्वीट किया कि जीएसटी काउंसिल ने अपनी 32वीं बैठक में बृहस्पतिवार को MSME क्षेत्र को बड़ी राहत दी है.
रियल एस्टेट के लिए तय होंगी GST की दरें
जेटली ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र की जीएसटी दर तय करने के मुद्दे पर एक सात सदस्यीय मंत्री समूह बनाया गया है. लॉटरी को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में भी अलग अलग विचार रहे इस पर भी एक मंत्री समूह विचार करेगा. जेटली ने कहा कि कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वालों को सालाना सिर्फ एक टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा और हर तिमाही में एक बार टैक्स का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा कि जीएसटी का एक बड़ा हिस्सा संगठित क्षेत्र और बड़ी कंपनियों से आता है. इन सभी फैसलों का मकसद SME की मदद करना है. उन्हें कई विकल्प दिए गए हैं. यदि वे सेवा क्षेत्र में हैं तो 6% कर का विकल्प चुन सकते हैं. विनिर्माण और व्यापार में किस समय सीमा को चुनना है? किस समय सीमा को चुनना है? हैं और डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार है तो 1% कर देना होगा. वे 40 लाख रुपये तक की छूट सीमा का लाभ ले सकते हैं.
किन्हें मिलेगा 40 लाख रुपये की छूट की सीमा का लाभ?
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि अभी जीएसटी छूट की सीमा 20 लाख रुपये है, लेकिन 10.93 लाख करदाता ऐसे हैं जो 20 लाख रुपये की सीमा से नीचे हैं लेकिन कर अदा कर रहे हैं. पांडेय ने स्पष्ट किया कि 40 लाख रुपये की छूट की सीमा उन इकाइयों के लिए है जो वस्तुओं का कारोबार करते हैं और राज्य के भीतर व्यापार करते है. एक राज्य से दूसरे राज्य में कारोबार करने वाली इकाइयों को यह छूट सुविधा नहीं मिलेगी. कम्पोजिशन योजना के तहत व्यापारी और विनिर्माता एक प्रतिशत की रियायती दर से कर का भुगतान कर सकते हैं. रेस्तरांओं को इसके तहत 5% जीएसटी देना होता है.
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18 लाख इकाइयों ने चुना है कम्पोजिशन योजना का विकल्प
जीएसटी के तहत पंजीकृत इकाइयों की संख्या 1.17 करोड़ से अधिक है. इनमें से 18 लाख इकाइयों ने कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुना है. नियमित करदाता को मासिक आधार पर कर देना होता है जबकि कम्पोजिशन योजना के तहत आपूर्तिकर्ता को तिमाही आधार पर कर चुकाना होता है. इसके अलावा कम्पोजिशन योजना के तहत करदाता को सामान्य करदाता की तरह विस्तृत रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं होती. सेवा प्रदाताओं की कम्पोजिशन योजना के बारे में सुशील मोदी ने कहा कि GST में नई कम्पोजिशन योजना में 50 लाख रुपये का कारोबार और 6% की दर होगी. छत्तीसगढ़ और कांग्रेस शासित राज्य 8% GST चाहते थे. बाहर कांग्रेस निम्न कर की बात करती है और बैठक में ऊंची कर के लिए लड़ती है.
यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा के लिए आयु समय सीमा तय, अब इस उम्र से ज्यादा के लोग नहीं दे पाएंगे परीक्षा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने कक्षा 10 की रेगुलर परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए न्यूनतम और अधिकतम आयुसीमा करने का फैसला लिया है, जिसके लिए यूपी बोर्ड ने शासन को अपना प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव में लिखा गया है कि कक्षा 10 के छात्रों की न्यूनतम आयु 14 वर्ष और अधिकतम आयु 18 वर्ष होनी अति आवश्यक है। यानि 18 वर्ष से अधिक की आयु वाले छात्र हाईस्कूल की परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उत्तर प्रदेश शासन से मंजूरी मिलने के बाद अगले सत्र से इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। हालांकि, दसवीं की प्राइवेट परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए यह नियम बाध्यकारी नहीं होगा।
नकल माफियाओं पर लगेगी लगाम
यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा के लिए होने वाले इस बदलाव के बाद स्कूलों में नकलमाफियाओं पर भी लगाम लग जाएगी। अभी तक यूपी बोर्ड की ओर से दसवीं की परीक्षा में शामिल होने के लिए आयु को लेकर कोई नियमावली नहीं थी, जिसे अधिक उम्र के छात्र-छात्राएं आसानी से परीक्षा पास कर लेते थे। यूपी बोर्ड के पास इस संबंध में लगातार शिकायतें आ रही थी। इसके बाद ही यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल के परीक्षार्थी के लिए न्यूनतम 14 वर्ष और अधिकतम 18 वर्ष की आयुसीमा तय करने का प्रस्ताव बनाया गया।
इन बोर्ड में पहले से लागू है यह नियम
यूपी बोर्ड द्वारा ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस प्रस्ताव को शासन की ओर से जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी। बता दें कि सीबीएसई की ओर से हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल होने के लिए 14 वर्ष, दिल्ली बोर्ड में 14 वर्ष, बिहार बोर्ड में 14 वर्ष से अधिक की आयुसीमा पहले से ही निर्धारित है। आईसीएसई की ओर से पहली कक्षा में प्रवेश के समय साढ़े छह वर्ष न्यूनतम आयुसीमा तय की गई है। फिलहाल आईसीएसई की ओर से जिस राज्य में स्कूल होता है, उस राज्य के शिक्षा बोर्ड का नियम लागू किया जाता है।
किस समय सीमा को चुनना है?
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