वर्चुअल मनी

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भारत में वर्चुअल करंसी
नवंबर 2017 में वर्चुअल करंसी से संबंधित मामलों के अध्ययन और प्रस्तावित कार्रवाई के लिए एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी कमिटी का गठन किया गया। कमिटी ने 28 फरवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी और 22 जुलाई, 2019 को वह रिपोर्ट पब्लिक डोमेन पर जारी वर्चुअल मनी की गई। कमिटी को वर्चुअल करंसियों के रेगुलेशन के लिए नीतिगत एवं कानूनी संरचना की जांच करने का जनादेश मिला था। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित वर्चुअल मनी शामिल हैं :
- वर्चुअल करंसी : वर्चुअल करंसी किसी वैल्यू का कारोबार करने योग्य डिजिटल प्रारूप है जिसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में या स्टोर ऑफ वैल्यू या यूनिट ऑफ एकाउंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे लीगल टेंडर का दर्जा नहीं दिया गया है। लीगल टेंडर की गारंटी केंद्र सरकार देती है और सभी पक्ष उसे भुगतान के माध्यम के रूप में मानने के लिए कानूनन बाध्य होते हैं।
- क्रिप्टोकरंसी एक ऐसे विशिष्ट प्रकार की वर्चुअल करंसी है जोकि विकेंद्रित होती है और जिसे वर्चुअल मनी क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन तकनीकों से संरक्षित रखा जाता है। विकेंद्रित होने का अर्थ यह है कि वर्चुअल मनी ऐसी कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं है जहां लेनदेन के रिकॉर्ड रखे जाएं। इसके बजाय स्वतंत्र कंप्यूटरों के जरिए लेनदेन के डेटा को रिकॉर्ड किया जाता है और कई डिस्ट्रिब्यूटर नेटवर्क्स से साझा किया जाता है। इस तकनीक को डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी कहा जाता है।
- वर्चुअल करंसियों से संबंधित मसले : कमिटी ने कहा कि अनेक कारणों से क्रिप्टोकरंसी परंपरागत वर्चुअल मनी करंसियों का स्थान नहीं ले सकती। इनमें निम्नलिखित कारण शामिल हैं : ( i ) क्रिप्टोकरंसियां बाजार के उतार-चढ़ाव के अधीन होती हैं। उदाहरण के लिए बिटक्वाइन क्रिप्टोकरंसी का मूल्य एक वर्ष से भी कम समय में 20,000 USD ( दिसंबर 2017 ) से घटकर 3,800 USD ( नवंबर 2018 ) हो गया, ( ii ) क्रिप्टोकरंसियां विकेंद्रित होती हैं जिनके कारण उन्हें रेगुलेट करना मुश्किल होता है, ( iii ) क्रिप्टोकरंसी के डिजाइन में खामियां हैं जिसके कारण उपभोक्ताओं को साइबर हमले और पोन्जी स्कैम का खतरा होता है। इसके अतिरिक्त इसका लेनदेन इररिवर्सेबल है (पलटा नहीं जा सकता), यानी गलत लेनदेन हो जाए तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता, ( iv ) क्रिप्टोकरंसी के लिए बड़े पैमाने पर स्टोरेज और प्रोसेसिंग पावर की जरूरत पड़ती है जिसका प्रतिकूल असर देश के ऊर्जा संसाधनों पर पड़ सकता है, और ( v ) क्रिप्टोकरंसी का लेनदेन गुमनाम तरीके से होता है जिसके कारण इसके मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए इस्तेमाल होने की आशंका रहती है।
- विभिन्न देशों में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क : कमिटी ने कहा कि क्रिप्टोकरंसी को लेकर अलग-अलग देशों में अलग-अलग रेगुलेटरी फ्रेमवर्क हैं। जापान, स्विट्जरलैंड और थाईलैंड जैसे देशों में क्रिप्टोकरंसी को भुगतान के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति है। रूस में उसे विनिमय के माध्यम (बार्टर एक्सचेंज) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, भुगतान के लिए नहीं। दूसरी तरफ चीन में वर्चुअल करंसियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। कमिटी ने कहा कि किसी भी देश में वर्चुअल करंसी को लीगल टेंडर के तौर पर इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।
- कमिटी वर्चुअल मनी ने सुझाव दिया कि राज्यों द्वारा जारी क्रिप्टोकरंसी को छोड़कर सभी निजी क्रिप्टोकरंसियों को भारत में प्रतिबंधित किया जाए और उनसे जुड़ी किसी भी गतिविधि को कानूनन अपराध घोषित किया जाए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि सरकार को एक स्टैंडिंग कमिटी बनानी चाहिए जोकि इस क्षेत्र में विश्वव्यापी एवं स्थानीय तकनीकी परिवर्तनों पर विचार करे तथा जैसे-जैसे और जब जरूरत हो, तो वर्चुअल करंसियों से संबंधित मसलों पर फिर से चर्चा करे।
- आधिकारिक डिजिटल करंसी: कमिटी ने कहा कि मौजूदा भुगतान तंत्र के मुकाबले आधिकारिक डिजिटल करंसी के कई लाभ हैं। इनमें लेनदेन के सभी रिकॉर्ड्स उपलब्ध होना, सीमा पारीय भुगतान का सस्ता विकल्प तथा सरल और सुरक्षित वितरण शामिल हैं। कमिटी ने कहा कि इसे लागू करने में भी अनेक प्रकार के जोखिम और समस्याएं हैं। डिजिटल करंसी को जारी करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत होगी। डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क में लेनदेन के सत्यापन में ऊर्जा की अधिक खपत होगी और कंप्यूटेशन की भी जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त बिजली की कटौती और इंटरनेट कनेक्टिविटी से संबंधित अवसंरचनात्मक चुनौतियां भी हो सकती हैं।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि भारत में एक आधिकारिक डिजिटल करंसी को शुरू करने के संबंध में खुले दिमाग से सोचे जाने की जरूरत है। उसने कहा कि अगर जरूरत हो तो वित्त मंत्रालय को एक कमिटी का गठन करना चाहिए जिसमें आरबीआई और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के प्रतिनिधि शामिल हों। यह कमिटी भारत में डिजिटल करंसी के उपयुक्त मॉडल की जांच और विकास कर सकती है। अगर ऐसी डिजिटल करंसी जारी की जाती है तो आरबीआई को उसका रेगुलेटर होना चाहिए।
- डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के एप्लीकेशंस: कमिटी ने कहा कि हालांकि क्रिप्टोकरंसी करंसी के तौर पर बहुत ज्यादा लाभप्रद नहीं, उसकी टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के कई संभावित एप्लीकेशंस हो सकते हैं। डीएलटी डुप्लीकेट लेनदेन को चिन्हित करना आसान बनाता है और इसलिए फ्रॉड की पहचान करने, केवाईसी को प्रोसेस करने और बीमा प्रबंधन का दावा करने में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अगर लैंड रिकॉर्ड्स का रखरखाव करने के लिए उसका इस्तेमाल किया जाए तो त्रुटियां और फ्रॉड्स दूर हो सकते हैं।
- कमिटी ने सुझाव दिया कि आर्थिक मामलों के विभाग को डीएलटी के इस्तेमाल को चिन्हित करना चाहिए और उसके प्रयोग को सहज बनाने के उपाय करने चाहिए। इसी प्रकार वित्तीय क्षेत्र के रेगुलेटरों को संबंधित क्षेत्रों में तकनीक की उपयोगिता की जांच करनी चाहिए।
यहां पैसे लगा करेंसी ट्रेडर ने एक महीने में बनाए 1800 करोड़ रुपए, 413 पर्सेंट का मुनाफा कमाया
ईडी ने जब्त की रिकॉर्ड संपत्ति (Representative Image)
एक रहस्मीय क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडर ने सिर्फ एक महीने में 283 मिलियन डॉलर (करीब 1826 करोड़ रुपए) कमाए। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेडर ने 55 मिलियन डॉलर (354 करोड़ रुपए) लगाकर करीब 4 गुना मुनाफा कमाया। आपको जानकर हैरानी होगी एक महीने में इतनी वर्चुअल मनी मोटी कमाई करने वाले उस शख्स की असली पहचान क्या है, इस बात का किसी को पता नहीं है। फिलहाल केवल उसका एक ही सुराग है और वो है उसके वर्चुअल वॉलेट का आइडेंटिफिकेशन कोड। जो कि 11 जून को सोशल प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर सामने आया। ब्लूमबर्ग के मुताबिक पोस्ट में ट्रेडर ने लिखा कि इस साल उसे इथेरियम ब्लॉकचैन की डिजीटल करेंसी इथर से 413 प्रतिशत का फायदा हुआ है। पोस्ट में लिखा गया है कि मुझसे कई लोगों ने मैसेज करके पूछा है कि मेरे पास कितना इथर है।
Cryptocurrency: भारत में लाने की तैयारी, चीन ने किया सभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को अवैध घोषित
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 24, 2021 17:45 IST
Photo:PIXABAY
China declares all cryptocurrency transactions illegal
बीजिंग/नई दिल्ली। एक ओर जहां भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में डिजिटज करेंसी मॉडल लाने की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरी ओर चीन के केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को बिटकॉइन सहित अन्य वर्चुअल करेंसी में किए गए सभी लेनदेन को अवैध घोषित कर दिया है। चीन ने अनाधिकृत डिजिटल मनी के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया है। 2013 में चीनी बैंकों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन सरकार ने इस साल फिर रिमाइंडर वर्चुअल मनी जारी किया। जो दर्शाता है कि सरकार की चिंता के बावजूद देश में क्रिप्टोकरेंसी की वर्चुअल मनी माइनिंग और ट्रेडिंग चोरी-छिपे चल रही है या सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली के लिए परोक्ष रूप से जोखिम हो सकता है।
इस साल के अंत तक डिजिटज करेंसी मॉडल ला सकता है आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक इस साल के अंत तक डिजिटल करेंसी का मॉडल ला सकता है। केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पेश करने की संभावनाओं का आकलन कर रहा है। वह इसके विभिन्न पहलुओं मसलन दायरे, प्रौद्योगिकी, वितरण तंत्र तथा अनुमोदन की व्यवस्था पर गौर कर रहा है। इससे पहले शंकर ने 22 जुलाई को कहा था कि भारत भी चरणबद्ध तरीके से डिजिटल मुद्रा पर विचार कर रहा है। यह इसके लिए सही समय है।
शंकर ने कहा हम निकट भविष्य, संभवत: इस साल के अंत तक इसका मॉडल ला सकते हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक निजी डिजिटल मुद्रा को लेकर लगातार चिंतित है और उसने इस बारे में सरकार को अवगत करा दिया है।
क्रिप्टोकरेंसी विधेयक पर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि वह क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल मनी से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। प्रस्तावित विधेयक उसके सामने है। डिजिटल मुद्राओं से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने और विशिष्ट कार्यों का प्रस्ताव पेश करने के लिए आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित क्रिप्टोकरेंसी संबंधित अंतर-मंत्रालयी पैनल ने अपनी रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारत में सरकार द्वारा जारी किसी भी डिजिटल मुद्रा को छोड़कर, अन्य सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर दिया जाए। वित्त मंत्री ने कहा क्रिप्टोकरेंसी (विधेयक) पर मंत्रिमंडल का नोट तैयार है। मैं मंत्रिमंडल से इसे मंजूरी देने का इंतजार कर रही हूं।