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डेरिवेटिव मार्केट क्या है

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वैश्विक रुख से तय होगी बाजार की दिशा, डेरिवेटिव निपटान की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा मासिक डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि डेरिवेटिव मार्केट क्या है इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा वैश्विक रुख, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी। इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 131.56 अंक या 0.21 प्रतिशत के नुकसान में रहा। वहीं निफ्टी में 42.05 अंक या 0.22 प्रतिशत की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया। डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा। इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए। हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे की बात की जाए तो एफओएमसी की बैठक के ब्योरे से कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। साथ ही संस्थागत निवेशकों का प्रवाह महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ सत्रों से इसमें कमी आई है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर किसी बड़े घटनाक्रम के अभाव में बाजार वैश्विक संकेतकों से ही दिशा लेगा।

शेयर बाजार में अगले हफ्ते गिरावट जारी रहेगी या लौटेगी तेजी? जानिए, क्या कह रहे हैं मार्केट एक्सपर्ट

मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी के चलते इस सप्ताह शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है। इसके साथ ही वैश्विक रुझानों के साथ-साथ कंपनियों के तिमाही नतीजें बाजार को प्रभावित करेंगे।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 24, 2022 17:10 IST

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Highlights

  • मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी के चलते उतार-चढ़ाव रहने की संभावना
  • एचडीएफसी लाइफ, बजाज ऑटो, अंबुजा सीमेंट, एक्सिस बैंक के नतीजे आएंगे
  • विदेशी निवेशकों की चाल पर भी बाजार की दिशा तय होगी

नई दिल्ली। बीते हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अंतिम कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को सेंसेक्स 714 अंक गिरकर बंद हुआ। ऐसे में सोमवार से शुरू हो रहे कोराबारी सप्ताह में बाजार की चाल कैसी रहेगी इसको लेकर निवेशकों में उहापोह की स्थिति हैं। अगर, आप भी बाजार की चाल को लेकर सशंकित हैं तो हम विशेषज्ञों की राय के हवाले से आपको बता रहे हैं कि सोमवार से शेयर बाजार की चाल कैसी रह सकती है। आइए, जानते हैं कि अगले हफ्ते बाजार की चाल को लेकर विशेषज्ञों का क्या कहना है?

मंथली एक्सपायरी के चलते उथल-पुथल की संभावना

मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी के चलते इस सप्ताह शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है। इसके साथ ही वैश्विक रुझानों के साथ-साथ कंपनियों के तिमाही नतीजें बाजार को प्रभावित करेंगे। विदेशी निवेशकों के रुझान पर भी नजर रखेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ऐलान के बाद सोमवार से बाजार की शुरुआत कमजोर हो सकती है। यानी बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है।

कंपनियों के नतीजे पर बहुत कुछ निर्भर

स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के अनुसंधान प्रमुख, संतोष मीणा ने कहा कि बाजार सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक के परिणामों पर प्रतिक्रिया देगा जबकि एचडीएफसी लाइफ, बजाज ऑटो, एचयूएल, अंबुजा सीमेंट, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, वेदांत, इंडसइंड बैंक, मारुति सुजुकी, अल्ट्राटेक सीमेंट और विप्रो के नतीजे अगले सप्ताह आएंगे। ये भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगे। अगर, कंपनियों के नतीजे बेहतर रहें तो बाजार में तेजी देखने को मिलेगी अन्यथा बाजार में कमजोरी आ सकती है। मीणा ने कहा कि एफआईआई भारतीय इक्विटी बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं और अमेरिका में आक्रामक दरों में बढ़ोतरी की चिंताओं के बीच उनकी चाल भारतीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण होगा।

वैश्विक बाजार की चाल का भी असर होगा

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के खुदरा अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली और कुछ दिग्गजों के कमजोर नतीजों ने बाजार पर दबाव बढ़ा दिया है। इसके साथ ही अमेरिकी फेड के ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान, बढ़ती महंगाई और बॉन्ड प्रतिफल, धीमी आर्थिक विकास, यूक्रेन में लंबे समय तक युद्ध और अस्थिर कच्चे तेल की कीमतें बाजारों पर नकारात्मक असर डालेंगे।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

जूलियस बेयर के कार्यकारी निदेशक, मिलिंद मुछला ने कहा कि निवेशक बाजार में आने वाले तिमाही नतीजों की घोषणा का इंतजार करेंगे। ऐसे में छोटे निवेशकों को अभी वेट एंड वाच करना चाहिए। बाजार गिरने पर निवेश करने से बचना चाहिए। मुछला ने कहा, इसके अलावा, भू-राजनीतिक स्थिति और आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों के कारण बढ़ी हुई कमोडिटी की कीमतों की आसन्न चिंताओं और यूएस फेड द्वारा कठोर बढ़ोतरी की बढ़ती उम्मीदों के साथ, बाजार में निकट अवधि में बड़ा उतार-चढ़ाव देखी जा सकती है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन संकट पर अपडेट जैसे वैश्विक संकेत, और चीन की डेरिवेटिव मार्केट क्या है COVID स्थिति भी निवेशकों के रडार पर रहेगी।

वायदा बाजार क्या है

वायदा बाजार 2 तरह से होता है - फ्यूचर और ऑप्शन। डेरिवेटिव क्या है. वायदा बाजार में डेरिवेटिव्स में कारोबार होता है। डेरिवेटिव्स में स्टॉक्स, इंडेक्स, मेटल, गोल्ड, क्रूड, करेंसी शामिल है। वायदा कारोबार में ट्रेडिंग के लिए कोई एक डेरिवेटिव होना जरूरी है। फ्यूचर क्या है. कम पैसे में बाजार में ट्रेडिंग फ्यूचर के जरिए मुमकिन है। मार्जिन मनी जमा करने पर ही ट्रेडिंग की जा सकती है। मार्जिन एक्सचेंज तय करता है। फ्यूचर ट्रेडिंग महीने भर के लिए होती है।

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फॉरेन करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में अब बैंक भी कर सकेंगे कारोबार, RBI का बड़ा फैसला

dollar

रिजर्व बैंक (Reserve Bank-RBI) ने रुपये (Rupees) में जारी उथल-पुथल पर लगाम लगाने के उद्देश्य से भारतीय बैंकों (Indian Banks) को विदेशी रुपया डेरिवेटिव बाजारों (Foreign Currency Derivative Market) में सौदे करने की शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इस मंजूरी के बाद अब भारतीय बैंक विदेश के नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ-NDF) रुपया बाजारों में कारोबार कर सकेंगे जिसमें डिलिवरी नहीं लेनी होती. अभी तक विदेशी एनडीएफ बाजार में भारतीय बैंकों को कारोबार करने की अनुमति नहीं थी.

हालांकि विशेषज्ञों की राय थी कि यदि भारतीय बैंकों को विदेशी एनडीएफ बाजारों की पहुंच मिले तो रुपये की गति को नियंत्रित किया जा सकता है. एनडीएफ बाजार के तहत विदेशी मुद्रा विनिमय (Foreign Currency Exchange) के लिए वायदा दर का निर्धारण होता है. इसमें संबंधित पक्ष आपसी सहमति से यह तय करते हैं कि किसी अमुक तारीख पर हाजिर बाजार में मुद्रा के विनिमय की जो दर रही है, उसी दर के आधार पर डेरिवेटिव मार्केट क्या है भविष्य के सौदे किये जायेंगे। आमतौर पर एनडीएफ सौदों का भुगतान नकदी में होता है.

रिजर्व बैंक ने यह छूट ऐसे समय दी है जब कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण रुपया भारी उथल-पुथल से गुजर रहा है. हाल ही में रुपया गिरकर प्रति डॉलर 75 के स्तर से भी नीचे चला गया था. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह सही समय है जब घरेलू और विदेशी बाजारों के बीच श्रेणी-भेद को समाप्त किया जाये और दर निर्धारण की प्रक्रिया के प्रभाव को बेहतर बनाया जाए. उन्होंने कहा कि एनडीएफ में बैंकों को कारोबार की मंजूरी दिए जाने के फायदे सर्वविदित हैं. उन्होंने कहा कि हर पहलुओं की परख करने के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एंजेल ब्रोकिंग (Angel Broking) डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता (Anuj Gupta) के मुताबिक बैंकों को विदेशी मुद्रा में हेज करने का मौका मिलेगा. अगर किसी एक्सपोर्टर और इंपोर्टर ने बैंक के पास करेंसी को हेज किया है तो बैंक अपने इस रिस्क को फ्यूचर मार्केट में हेज कर सकता है. रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों को विदेशी मुद्रा में जो घाटा होता था उसका प्रबंधन करने में अब सुविधा डेरिवेटिव मार्केट क्या है होगी. इसके अलावा फॉरेक्स मार्केट में प्राइस डिस्कवरी होगी और वॉल्यूम में भी बढ़ोतरी होगी. (इनपुट भाषा)

फॉरेन करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में अब बैंक भी कर सकेंगे कारोबार, RBI का बड़ा फैसला

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रिजर्व बैंक (Reserve Bank-RBI) ने रुपये (Rupees) में जारी उथल-पुथल पर लगाम लगाने के उद्देश्य से भारतीय बैंकों (Indian Banks) को विदेशी रुपया डेरिवेटिव बाजारों (Foreign Currency Derivative Market) में सौदे करने की शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इस मंजूरी के बाद अब भारतीय बैंक विदेश के नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ-NDF) रुपया बाजारों में कारोबार कर सकेंगे जिसमें डिलिवरी नहीं लेनी होती. अभी तक विदेशी एनडीएफ बाजार में भारतीय बैंकों को कारोबार करने की अनुमति नहीं थी.

हालांकि विशेषज्ञों की राय थी कि यदि भारतीय बैंकों को विदेशी एनडीएफ बाजारों की पहुंच मिले तो रुपये की गति को नियंत्रित किया जा सकता है. एनडीएफ बाजार के तहत विदेशी मुद्रा विनिमय (Foreign Currency Exchange) के लिए वायदा दर का निर्धारण होता है. इसमें संबंधित पक्ष आपसी सहमति से यह तय करते हैं कि किसी अमुक तारीख पर हाजिर बाजार में मुद्रा के विनिमय की जो दर रही है, उसी दर के आधार पर भविष्य के सौदे किये जायेंगे। आमतौर पर एनडीएफ सौदों का भुगतान नकदी में होता है.

रिजर्व बैंक ने यह छूट ऐसे समय दी है जब कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण रुपया भारी उथल-पुथल से गुजर रहा है. हाल ही में रुपया गिरकर प्रति डॉलर 75 के स्तर से भी नीचे चला गया था. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह सही समय है जब घरेलू और विदेशी बाजारों के बीच श्रेणी-भेद को समाप्त किया जाये और दर निर्धारण की प्रक्रिया के प्रभाव को बेहतर बनाया जाए. उन्होंने कहा कि एनडीएफ में बैंकों को कारोबार की मंजूरी दिए जाने के फायदे सर्वविदित हैं. उन्होंने कहा कि हर पहलुओं की परख करने के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है.

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एंजेल ब्रोकिंग (Angel Broking) डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता (Anuj Gupta) के मुताबिक बैंकों को विदेशी मुद्रा में हेज करने का मौका मिलेगा. अगर किसी एक्सपोर्टर और इंपोर्टर ने बैंक के पास करेंसी को हेज किया है तो बैंक अपने इस रिस्क को फ्यूचर मार्केट में हेज कर सकता है. रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों को विदेशी मुद्रा में जो घाटा होता था उसका प्रबंधन करने में अब सुविधा होगी. इसके अलावा फॉरेक्स मार्केट में प्राइस डिस्कवरी होगी और वॉल्यूम में भी बढ़ोतरी होगी. (इनपुट भाषा)

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