मूल्य सीमाएं

समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने के इच्छुक राजस्थान के किसानों के लिए खुशखबर है। राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा को देखते हुए और उन्हें अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से समर्थन मूल्य पर मूंग व मूंगफली की फसल के लिए पंजीयन को 10 प्रतिशत ओर बढ़ा दिया है। इससे प्रदेश के करीब 29 हजार किसानों को फायदा होगा। वे समर्थन मूल्य पर अपनी मूंग व मूंगफली की फसल बेच सकेंगे। बता दें कि समर्थन मूल्य पर मूंग एवं मूंगफली पंजीयन खरीफ फसल की खरीदी सभी राज्यों में चल रही है। किसान अपनी उपज बेचने के लिए खरीदी केन्द्रों पर ले जा रहें हैं परन्तु कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनका पंजीकरण अभी तक नहीं हुआ है ऐसे सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपने फसल को नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसे किसानों के लिए यह खबर काफी राहत भरी है।
G7 ने रूस से तेल आयात करने के मूल्य पर 'तत्काल' सीमा तय करने का लिया फैसला
जी7 औद्योगिक शक्तियों ने रूसी तेल आयात पर मूल्य कैप को लागू करने की दिशा में "तत्काल" कदम उठाने का फैसला किया है. यूक्रेन में मास्को के युद्ध के लिए धन के एक प्रमुख स्रोत में कटौती करने के लिए औद्योगिक शक्तियों ने फैसला लिया है.
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G7 ने कहा कि वह इस फैसले को मूर्त रूप देने के लिए "व्यापक गठबंधन" की दिशा में काम कर रहा था. लेकिन फ्रांस में अधिकारियों ने रूकने का आग्रह मूल्य सीमाएं करते हुए कहा कि "अंतिम" निर्णय केवल तभी लिया जा सकता है जब यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्यों ने अपनी सहमति दे दी हो.
बता दें कि युद्ध के कारण महाद्वीप के परिवारों ने ऊर्जा की बढ़ती कीमतों का खामियाजा उठाया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार पर बढ़ती महंगाई को कम करने का दबाव है.
जर्मन वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर ने इस कदम की घोषणा के बाद एक पीसी में कहा, "रूस युद्ध के कारण ऊर्जा बाजारों पर अनिश्चितता से आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहा है मूल्य सीमाएं और तेल के निर्यात से बड़ा मुनाफा कमा रहा है. ऐसे में हम इसका निर्णायक मुकाबला करना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि तेल आयात पर मूल्य सीमा का उद्देश्य "आक्रामकता के युद्ध के लिए वित्तपोषण के एक महत्वपूर्ण स्रोत को रोकना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि को रोकना है. शुक्रवार के मूल्य सीमाएं फैसले से पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने स्पष्ट चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि मूल्य सीमा को अपनाने से "तेल बाजारों में महत्वपूर्ण अस्थिरता आएगी. "
यूरोपीय संघ रूसी तेल मूल्य सीमा पर सहमत होने में विफल, वार्ता जारी रहेगी
मास्को Pixabay
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16:39 02/12/22
यूरोपीय संघ के राजदूत रातोंरात रूसी कच्चे तेल के निर्यात पर प्रस्तावित मूल्य सीमा के सटीक स्तर पर सहमत होने में विफल रहे।
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के अनुसार ब्लूमबर्ग, मुख्य कारण पोलैंड और बाल्टिक देशों का विरोध था, जिन्होंने ब्रुसेल्स द्वारा पेश किए गए 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को मास्को के लिए बहुत उदार माना।
ऐसा इसलिए था क्योंकि रूस पहले से ही ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स के लिए भारी छूट पर अपना तेल बेच रहा था, जो उस समय आईसीई पर 85.18 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे थे।
फिर भी, कई अधिकारियों और रिपोर्टों ने संकेत दिया कि 5 दिसंबर को रूसी तेल कार्गो पर यूरोपीय संघ के अलग-अलग प्रतिबंध लागू होने से पहले एक समझौते की उम्मीद थी।
उम्मीद की जा रही थी कि राजदूत गुरुवार को अपनी बातचीत जारी रखेंगे।
अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत रूसी तेल की मूल्य सीमा तय करने वाले गठजोड़ का हिस्सा बनें ?
वर्तमान समय में अमेरिका के स्वभाव से पूरी दुनिया वाकिफ होने लग गई है। दो देशों को किस तरह युद्ध की आग में झोंककर अमेरिका स्वयं पीछे हट जाता है यह रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान देखने को मिल ही गया। यही कारण है कि जो अमेरिका कभी पूरी दुनिया पर अपनी दादागिरी चलाया करता था, उसकी छवि अब एक कमजोर देश के रूप में बदलने लगी हैं। इसी के चलते जो अमेरिका कभी भारत को डराता और धमकाता था, आज उसके लिए भारत का साथ बेहद ही आवश्यक होता चला जा रहा है।अमेरिका किसी भी हाल में भारत को अपने पाले के लिए बेकरार हो रहा है।
दरअसल अब अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल की मूल्य सीमा तय करने वाले गठजोड़ का हिस्सा बनें। इसका उद्देश्य रूस के लिए आय के साधनों को बाधित करना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों को नरम बनाना है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने पर अमेरिका समेत दूसरे जी-7 देश रूसी तेल पर मूल्य मूल्य सीमाएं सीमा लागू करने पर विचार विमर्श कर रहे हैं।
भारत रूस की बढती मित्रता देख अमेरिका बौखलाया
अमेरिका के उप वित्त मंत्री वैली अडेयेमो हाल ही में तीन दिनों की भारत यात्रा पर आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने इन्हीं मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान अडेयेमो ने अपने एक बयान में कहा कि “रूस के ऊर्जा और खाद्यान्न व्यापार को प्रतिबंधों से बाहर रखा गया। भारत जैसे देश स्थानीय मुद्रा सहित किसी भी मुद्रा का प्रयोग करके सौदे कर सकते हैं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि “भारत ने रूस से आने वाले तेल के दाम की सीमा तय करने वाले प्रस्ताव पर ‘गहरी दिलचस्पी’ दिखाई है।” उन्होंने कहा कि “मूल्य सीमा तय होने से रूस को मिलने वाले राजस्व में कमी आएगी।”
अमेरिकी उप वित्त मंत्री के अनुसार यह उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की कीमतों को कम करने के उद्देश्य के अनुरूप है। इस बारे में हम उन्हें (भारत को) सूचनाएं दे रहे हैं और विषय पर संवाद जारी रखेंगे। गौरतलब है कि युद्ध की शुरुआत से ही देखने को मिलाकि भारत ने रूस या यूक्रेन में से किसी एक का पक्ष चुनने से परहेज किया। भारत ने भले ही किसी का साथ नहीं दिया, परंतु कही न कही अमेरिका की जगह रूस के पक्ष में खड़ा रहा। हालांकि भारत ने जो भी निर्णय लिए वो स्वयं के फायदे को ध्यान में रखकर किए। सस्ते दाम में भारी मात्रा में तेल खरीदने के साथ हमने रूस के मूल्य सीमाएं साथ अपने पक्के संबंध भी बरकरार रखे।
भारत के आगे अमेरिका के सारे दांव फेल
अमेरिका को अपने सभी दांव स्पष्ट तौर पर फेल होते हुए नजर आ रहे हैं। परंतु अभी भी अमेरिका भारत को अपने इशारों पर चलाने की कोशिश कर रहा है और इसलिए वो चाहता है कि भारत इस रूस विरोधी गठजोड़ का हिस्सा बने, जिसे भारत और रूस की साझेदारी टूट जाए। हालांकि ऐसा प्रतीत है कि अमेरिका बार-बार यह भूल जाता है कि अब उसका सामना एक नए भारत से हो मूल्य सीमाएं रहा है, जो किसी के भी इशारों पर नहीं चलता। ना ही कोई भारत को अपने इशारों पर चला सकता हैं। भारत अपना हर निर्णय स्वयं लेने में पूरी तरह से सक्षम हैं। वही फैसले भारत लेता है, जो उसके स्वयं के लिए फायदेमंद हो।
रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा जताई जाने वाली आपत्ति को लेकर भारत कई बार करारा जवाब देता आया है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के ज्ञान को लेकर आईना दिखाते हुए अपने एक बयान में कहा था कि “भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, यूरोप उसे ज्यादा आयात महज एक दोपहर तक कर डालता है।”
अब तक 17 हजार 221 किसानों से 213.81 करोड़ मूल्य सीमाएं रुपए की खरीद
समर्थन मूल्य पर चल रही खरीद से अब तक 17 हजार 221 किसानों से 213.81 करोड़ रुपए की खरीद की जा चुकी है। किसानों को 49.42 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। मूंगफली की 30 हजार 638 मीट्रिक टन एवं मूंग की 7 हजार 253 मीट्रिक टन की खरीद की गई है। सहकारिता मंत्री ने बताया कि मूंग के लिए 53 हजार 828 एवं मूंगफली के लिए 77 हजार 274 किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचान के लिए पंजीयन कराया है।
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दलहन एवं तिलहन की खरीद
दलहन एवं तिलहन की खरीद क्रय केन्द्रों पर भारत सरकार द्वारा निर्घारित मापदंडों के अनुरूप की जा रही है। किसानों से क्रय किए गए जिन्स का भुगतान उनके खातों में ऑनलाइन हो रहा है। वर्ष 2020-21 के लिए घोषित किए गए मूंग एवं मूंगफली के समर्थन मूल्य में मूंग का समर्थन मूल्य 7196 रुपए प्रति क्विंटल तथा मूंगफली का समर्थन मूल्य 5275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। बता दें कि इस वर्ष राजस्थान में केंद्र सरकार ने मूंग की 3.57 लाख मीट्रिक टन, उड़द 71.55 हजार, सोयाबीन 2.92 लाख तथा मूंगफली 3.74 लाख मीट्रिक टन की खरीद के लक्ष्य की स्वीकृति दी है। पंजीकरण के अभाव में किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीद संभव नहीं होगी।
किसान पंजीयन कराते समय यह सुनिश्चित कर ले कि पंजीकृत मोबाइल नंबर, से जनआधार कार्ड से लिंक हो जिससे समय पर तुलाई दिनांक की सूचना मिल सके। इसके अलावा किसान प्रचलित बैंक खाता संख्या सही दे ताकि ऑनलाइन भुगतान के समय किसी प्रकार की परेशानी किसान को नहीं हो।
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसान को पंजीकरण केंद्र पर अपने साथ जनआधार कार्ड नंबर, खसरा नंबर, गिरदावरी की प्रति, बैंक पासबुक की प्रति ले जानी होगी। किसानों को यह दस्तावेज पंजीकरण फार्म के साथ अपलोड करने होंगे। जिस किसान द्वारा बिना गिरदावरी के अपना पंजीयन करवाया जाएगा, उसका पंजीयन मूल्य सीमाएं मूल्य सीमाएं समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए मान्य नहीं होगा। यदि ई-मित्र द्वारा गलत पंजीयन किए जाते हैं या तहसील के बाहर पंजीकरण किए जाते हैं तो ऐसे ई-मित्रों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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पंजीकरण में समस्या होने पर यहां कर सकते हैं फोन / समर्थन मूल्य खरीद योजना राजस्थान Toll Free Number
समर्थन मूल्य मूल्य सीमाएं पर पंजीकरण हेतु समस्या समाधान हेतु टोल फ्री नंबर किसानों की समस्या के समाधान हेतु राजफैड स्तर पर ट्रोल फ्री हेल्पलाईन नंबर 1800-180-6001 पर सुबह 9 से 7 बजे तक किसान अपनी समस्याओं को हेल्पलाईन नंबर पर दर्ज करा सकते हैं अथवा अपनी शिकायत/समस्या को लिखित में राजफैड मुख्यालय में स्थापित काल सेंटर पर [email protected] पर मेल भेज सकते हैं।
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