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क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं?

क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं?

सुरक्षित रिटर्न के विकल्प के लिए डेट इंडेक्स फंड हैं बेस्ट, जानें इसके बारे में

बिजनेस डेस्क। आम तौर पर इक्विटी में निवेश को लंबी अवधि में मुनाफे के लिहाज से सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। वहीं, डेट इन्वेस्टमेंट (Debt Investment) में फिक्स्ड रिटर्न के साथ किसी तरह के जोखिम से सुरक्षा मिलती है। डेट इन्वेस्टमेंट की तुलना में इक्विटी में जोखिम बहुत ज्यादा होता है। हालांकि, डेट में भी निवेश पूरी तरह रिस्क फ्री नहीं होता। इस कैटेगरी में भी अलग-अलग स्कीम में जोखिम के अलग-अलग स्तर होते हैं। बहरहाल, एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिस्क एडजस्टेड रिटर्ल हासिल करने और वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए डाइवर्सिफाइड पोर्टपोलियो रखना जरूरी है। इस लिहाज से डेट इंडेक्स फंड में निवेश किया जा सकता है।
(फाइल फोटो)

डेट इन्वेस्टमेंट में कई तरह के जोखिम होते हैं। इनमें क्रेडिट जोखिम, ब्याज दर जोखिम और लिक्विडिटी जोखिम मुख्य हैं। निवेश करने के पहले इनके बारे में जानना जरूरी है, ताकि परि्स्थिति के मुताबिक सही निर्णय लिया जा सके। (फाइल फोटो)

क्रेडिट जोखिम डिफॉल्ट से संबंधित होता है। अगर जारीकर्ता अपने पेमेंट के दायित्च में चूक करता है, तो निवेश किए गए मूल धन का पूरा मूल्य नहीं प्राप्त हो सकता है। ऐसे में, निवेश करने वाले को घाटे का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डेट फंड में निवेश करते समय इस बात पर जरूर गौर फर्माना चाहिए। (फाइल फोटो)

डेट फंड मे निवेश करने पर ब्याज दर संबंधी जोखिम का भी सामना करना पड़ सकता है। बॉन्ड की कीमतों का ब्याज दरों के साथ विपरीत संबंध होता है। इसका मतलब यह है कि आपके पोर्टफोलियो में ऋण निवेश का मूल्य ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के साथ घट जाएगा और ब्याज दर घटने पर इसमें बढ़ोत्तरी होगी। इससे आपके पोर्टफोलियो में अस्थिरता आ सकती है। (फाइल फोटो)

आपके पास डेट म्यूचुअल फंड्स से लेकर बॉन्ड तक में निवेश करने का विकल्प है। लेकिन टारगेट मेच्योरिटी डेट फंड किसी क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? तरह के जोखिम से बचने के लिए एक सही सॉल्यूशन है। यह एक डेट इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है, जिसमें बॉन्ड की खासियत होती है। इसमें मेच्योरिटी तक निवेश बनाए रखने पर एक तय रिटर्न मिलता है। इस फंड के कई फायदे हैं। (फाइल फोटो)

डिफाइंड मेच्योरिटी की वजह से इंडेक्स फंड में मिलने वाले रिटर्न ज्यादातर पहले के अनुमान के मुताबिक होते हैं। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड में इन फंड्स द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किए जाने की वजह से रिस्क बहुत कम हो जाता है। डिफाइंड या टारगेटेड मेच्योरिटी का मतलब है कि बॉन्ड एक तय अवधि में मेच्योर होंगे। (फाइल फोटो)

ईटीएफ में जहां डीमैट खाते की जरूरत पड़ती है, इंडेक्स फंड में यूनिट को खरीदने या बेचने के लिए डीमैट खाते के जरिए लेन-देन करने की जरूरत नहीं होती। इसमें म्यूचुअल फंड योजना की तरह किसी भी फंड हाउस के जरिए यूनिट खरीदे जा सकते हैं। (फाइल फोटो)

बॉन्ड निवेश से कूपन आय पर सीमांत दरों पर टैक्स लागू होते हैं। इसके मुकाबले इंडेक्स फंड ज्यादा टैक्स एफिसिएंट हैं। दूसरी तरफ, इंडेक्स फंड्स पर इंडेक्सेशन के लाभ से टैक्स लगाया जाता है। यह आपके निवेश रिटर्न पर टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकता है। (फाइल फोटो)

म्युचुअल फंड या फिर फिक्सड डिपाॅजिट, जानें आपके लिए क्या रहेगा बेहतर इनवेस्टमेंट

लाॅन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करने वाले लोग हमेशा इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करना चाहिए या फिर फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम्स में। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों.

म्युचुअल फंड या फिर फिक्सड डिपाॅजिट, जानें आपके लिए क्या रहेगा बेहतर इनवेस्टमेंट

लाॅन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करने वाले लोग हमेशा इस बात को लेकर क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? कंफ्यूज क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? रहते हैं कि उन्हें म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करना चाहिए या फिर फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम्स में। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों इनवेस्टमेंट के जहां अपने फायदे हैं तो वहीं नुकसान भी है। फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम में जब हम पैसा लगाते हैं तब उस पैसे को उपयोग लोन देने के लिए किया जाता है वहीं म्युचुअल फंड का पैसा शेयर मार्केट में उपयोग होता है। इसलिए वहां रिस्क भी अधिक रहता है, लेकिन एफडी एक रिस्क फ्री इनवेस्टमेंट होता है।

फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम और म्युचुअल फंड के फायदे और नुकसान

बैंक एफडी के पैसे को अलग-अलग लोगों को लोन देती है। फिर उनसे कमाया गया ब्याज ग्राहकों को लौटती है। बैंक के पास बड़ी संख्या में कस्टमर होते हैं ऐसे में वहां रिस्क कम हो जाता है। साथ ही हर एक एफडी पर इंश्योरेंस भी फ्री मिलता है। वहीं, म्युचुअल फंड का पैसा 25-100 कंपनियों के शेयरों में इनवेस्ट होता है, जिसके कारण यहां खतरा ज्यादा होता है। दोनों इंवेस्टमेंट में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एफडी में रिटर्न की गारंटी रहती है तो वहीं म्युचुअल फंड में ऐसा नहीं होता है।

म्युचुअल फंड

जब भी कोई म्युचुअल फंड में पैसा इंवेस्ट करता है तो कंपनियां उन पैसों को शेयर मार्केट में लगाती हैं। अलग-अलग कंपनियों के शेयरों में पैसा इनवेस्ट करने की वजह से रिस्क इतना भी नहीं रहता है जितना दिखाई देता है। क्योंकि कंपनियां जब पैसा शेयर मार्केट में लगाती हैं तो वह भी सबकुछ चेक जरूर करती हैं। लेकिन यह एक रिस्क ओरिएंटेड इनवेस्टमेंट है।

कहां मिलेगा ज्यादा रिटर्न

अब सवाल कि ज्यादा रिटर्न कहां मिलता है। मान लीजिए आपने एफडी में एक लाख रुपये इनवेस्ट किया है तो आपको मौजूदा दर की हिसाब से 10 साल बाद 1.79 लाख रुपये मिलेंगे। वहीं, अगर आप इतना ही पैसा म्युचुअल फंड में लगाते हैं तो आपको 3.40 लाख रुपये मिलेंगे अगर हम पिछले 5 साल का रिटर्न के हिसाब से देखें तब यह ज्यादा और कम हो सकता है। कोई अगर रिस्क उठाना पसंद करता है तो उसके लिए म्युचुअल फंड एक बेस्ट इनवेस्टमेंट विकल्प हो सकता है। वहीं, रिस्क ना पसंद करने वाले इंवेस्टर के लिए एफडी ही बेहतर विकल्प रहेगा।

म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट कैसे करे | Mutual Fund in Hindi

दोस्तों, आज के लेख में हम आपको Mutual Funds kya hai in Hindi, Mutual Fund in Hindi के बारे मे पूरी जानकारी देंगे. इस म्यूच्यूअल फण्ड से भी मुनाफा कमाया जा सकता है. इस बजह से बहुत से निवेशक म्यूच्यूअल फाउंड में निवेश करने लगे है.

SIP फुल फॉर्म हिंदी में “सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान” है. जिसके जरिये निवेश करने वालों की जनसंख्या बढती जा रही है. जिन लोगों को शेयर मार्केट के बारे में पूरी जानकारी नही है और सीखना भी नहीं चाहते है तो उन लोगों के लिए म्यूच्यूअल फण्ड बेहतरीन तरीका है. इसमें कम रिस्क में कम मुनाफा और नुक्सान होता है.

इसके जरिये आप बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी निवेश कर सकते है. म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के बारे में अधिक जानकारी ना होने पर किसी अच्छे एक्सपर्ट की मदद ले सकते है. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए बेहतर शेयर को चुनना होता है.

Mutual Fund क्या है | Mutual Funds Kya Hai in Hindi

म्यूच्यूअल फण्ड सामूहिक निवेश होता है. कई निवेशकों का एक समूह मिलकर स्टॉक में निवेश करते है. म्यूच्यूअल फण्ड में निवेशकों के फण्ड के फायदा और नुक्सान का हिसाब रखने के लिए एक फंड मैनेजर होता है. (1)

इस तरह से निवेश में जो भी नुक्सान या फायदा होता है वह निवेशकों में बांट दिया जाता है. म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी में उन सभी निवशकों के निवेश पैसों को इकट्ठे करती है. ऐसा करने पर कंपनी थोड़ा सर्विस चार्ज काटती है.

और म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के द्वारा इकट्ठा किया गया पैसा शेयर मार्किट में निवेश करती है. म्यूच्यूअल फण्ड में एक काफी बड़ा फायदा है की उसमे यह सोचने की जरूरत नहीं होती है की कब शेयर को खरीदना और बेचना होता है, क्योकि ये सारा काम फण्ड मैनेजर का होता है.

म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने के फायदा यह है की आप इसमें 500, 1000 रूपए से निवेश करना सुरु कर सकते है. मासिक निवेश के लिए SIP लेना होता है. इसका मतलब होता है की आपके द्वारा तय की गई राशी अपने आप प्रतेक महीने खाते से से कटकर सीधे फण्ड में ट्रान्सफर होती रहगी. (2)

भारत की सबसे बड़ी और पुरानी UTI Mutual Fund Company है. म्यूचुअल फंड की इक्विटी योजना में आपको मिड-कैप स्कीम, इंडेक्स फंड, लार्ज-कैप फंड, डायवर्सिफाइड फंड और टैक्स सेविंग स्कीम आदि इस तरह के विकल्प होते हैं.

म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से पहले ये जान लें की इसमें अपने टारगेट को हासिल करने के लिए लम्बे समय ले लिए निवेश करना होगा. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए अधिक पैसा निवेशा करना होगा. 1 या 2 वर्ष के निवेशकों को कोई ज्यादा लाभ नहीं होगा. Mutual Fund in Hindi के बारे में समझे.

Mutual Fund कितने प्रकार के होते है?

  • इक्विटी फण्ड
  • लार्ज कैप फण्ड
  • डेट फण्ड
  • गिल्ट फण्ड

इक्विटी फण्ड (Equity Fund) Mutual Fund in Hindi

इक्विटी फण्ड काफी महसूर फण्ड है. इसमें बेहतरीन निवेशक अधिक रिस्क लेकर अधिक मुनाफा भी लेते है. ऐसा इसलिए होता है क्योकि इस इक्विटी म्यूचुअल फंड के मैनेजर सभी पैसा स्टॉक मार्किट में निवेश करता है.

इस इक्विटी म्यूचुअल फंड को मल्टी कैपिटल, लार्ज कैपिटल, स्मॉल कैपिटल, मिड कैपिटल में बांटा गया है.

लार्ज कैप फण्ड | Large Cap Funds

लार्ज कैप फण्ड mutual fund क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? वह होते है जो आपकी राशी को बड़ी कैपिटल वाली कंपनी में निवेश करते है. लार्ज कैप कंपनी की काफी ग्रोथ है. इसलिए return तो कम मिलता है लेकिन लगातर मिलता है. लार्ज कैप फण्ड के मुकालबे स्माल और मिडकैप में अधिक रिस्क होता है.

डेट फण्ड | Debts Funds

ये ऐसे फण्ड है जिनको कमर्शियल पेपर, कॉर्पोरेट बांड्स, ट्रेजरी बिल और कई तरह के मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में भी निवेश करते हैं. जो निश्चित ही अच्छा रिटर्न देते हैं.

गिल्ट फण्ड | Gilt Fund

इसमें निवेश किया गया पैसा सिर्फ गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में जाता है. सरकार को पैसे देने की बजह से डेब्ट फंड में कम मात्रा में रिस्क होता है.

लिक्विड फंड्स | Liquid Funds

लिक्विड फंड ऐसे होते है जिसे कभी भी रीडीम करवा सकते है. आवेदन करते ही 24 घंटे के अन्दर आपके खाते में पैसे आ जाते है. लेकिन लिक्विड फंड में सबसे कम return मिलता है.

इसमें आप 3 या 4 दिन के लिए भी निवेश कर सकते है. ये उन सिक्योरिटीज में निवेश होते है जिनकी मैच्योरिटी 91 दिन तक की होती है. इसलिए लिक्विड फंड बैंक एफडी और सेविंग अकाउंट में निवेश करने का अच्छा विकल्प होता है.

मिड कैप फण्डस | Mid Cap Fund

यह वह कंपनिया होती है जिन्होंने अपना बिज़नस स्थापित कर दिया है. लेकिन अब ये तरक्की कर रही है. इतना ही नहीं बल्कि ये मिड कैप फंड और लार्ज कैप फंड से ज्यादा return देती है.

स्मॉल कैप फंड्स | Small Cap Fund

स्माल कैपिटल फण्ड कंपनियां वह होती है जो अपना कारोबार मार्किट में स्थापित करने का प्रयास करती है. इसमें जितना ज्यादा return मिलता है उतना ही ज्यादा रिस्क भी होता है. Mutual Funds Kya Hai in Hindi, Mutual Fund in Hindi

मल्टी क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? कैप फंड्स | Multi Cap Funds

म्यूच्यूअल फण्ड की ये सबसे पॉपुलर है क्योकि इसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में तय किये गय रेश्यो में करना होता है. इसमें आपको हाईब्रिड फंड्स, फ्लैक्सी कैप फंड्स और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम आदि शामिल है.

इस लेख मैंने आपको म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट कैसे करे, Mutual Fund in Hindi,Mutual Fund कितने प्रकार के होते है आदि के बारे में अच्छे से बताया है. यदि इस पोस्ट से सम्बंधित कोई आपका सवाल है तो हमें कमेंट के जरिये बताये हम आपके सवाल का उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे.

डाइरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड इनवेस्टमेंट के बीच अंतर

डाइरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड इनवेस्टमेंट के बीच अंतर

हम जानते हैं कि फाइनेंसिएल मार्केट में सभी लेन-देन जोखिम भरे होते हैं और हम हर विज्ञापन के अंत में सावधानी पूर्ण चेतावनी दे सकते हैं – कृपया आप इन्वेस्ट करने से पहले प्रपोज़ल डाक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें। लेकिन हम में से ज्यादातर अनिवार्य रूप से लंबे और क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? बोरियस प्रपोज़ल डाक्यूमेंट को पढ़ने में फेल रहते हैं । यह पोस्ट तीन सिंपल मार्केट साधनों – डाइरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड, और अनुक्रमित निवेशों (Indexed inputs) के बीच अंतर की बेसिक डिटेल को समझने में आपकी मदद करेगा, ताकि आप अपने अनुसार सही निर्णय ले पाएं|

डाइरेक्ट इक्विटी – कंपनी के ओनरशिप के साथ अपने शेयर को प्राप्त करना

जब हम किसी कंपनी के इक्विटी शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं तो हम कानूनी रूप से कंपनी के ओनरशिप को खरीदते हैं। कुल राशि जो कंपनी जुटाने की योजना बना रही है उसे शेयरों में छोटे भाग में विभाजित किया जाता है जिनका प्राइज़ रुपये में है। यदि आप इन शेयरों की मैम्बरशिप लेते है जिससे हमें कंपनी की बैठकों में भाग लेने और निर्णयों पर हमारी ओपिनियन को आवाज़ देने का अधिकार मिलता है लेकिन हम इन्वेस्ट करते हैं इसका मेन कारण भाग किया हुआ है – जो हमारे लिए एक निवेशक के लिए एक प्राइज़ की तरह है क्योंकि यह हमारे पैसे का उपयोग कर रहा है कंपनी एक प्राफ़िट कमाती है जो अब बोनस के रूप में मालिकों को डिवाइड किया जाता है। कोई भी कंपनी को वापस शेयर देना छोड़ सकता क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? है या प्रीमियम के लिए उसे थर्ड पार्टी को बेच सकता है।

म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट – प्रोफेशनल इनवेस्टमेंट और लो रिस्क का आकर्षण

म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी में इन्वेस्ट का विकल्प प्रदान किया है | क्योंकि अधिकांश इन्वेस्टरो के पास न तो स्टॉक रुझानों (Trends) पर नजर रखने के लिए समय है और न ही अपने इन्वेस्ट को द बेस्ट रखने के लिए अप टु डेट फाइनेंसिएल समाचारों के साथ अपडेट होने का । इस प्रकार म्यूचुअल फंड ने इस सोच में अपनी नीव ( Foundation ) मजबूत की | और हमारे इन्वेस्ट का मैनेजमेंट करने वाले आकर्षक प्रोफेशन पर जोर दिया। यह प्रशिक्षित लोग होते हैं – जिन्हें अक्सर पोर्टफोलियो मैनेजर कहा जाता है जिन्होंने तय किया है कि कौन सा शेयर हमारे पैसे का निवेश कर सकेगा। चूंकि यह प्रोफेशनल रूप से किया जाता है म्यूचुअल फंड किए गए लाभ के आधार पर अर्निंग करता है और रिगुलर फीस भी ले सकता है|

म्यूचुअल फंड्स और इक्विटी

इक्विटी पर म्यूचुअल फंड का सबसे अच्छा लाभ यह है कि इसमें रिस्क कम हो जाता है क्योंकि अधिकांश म्यूचुअल फंड विभिन्न कंपनियों के कई शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहते हैं जिससे रिस्क के टोटल रिस्क में कमी आती है | (जैसे कि किसी एक में प्रॉफ़िट –लॉस द्वारा बंद की जा सकती है) । हालाँकि जो रिस्क है वह यह है कि कभी-कभी इन्वेस्ट की पूरी टोकरी (Whole basket) अच्छा नहीं कर सकती है।

म्यूचुअल फंड का एक लॉस (हानि ) यह है कि डाइरेक्ट इन्वेस्ट के रूप में हमें इक्विटी में पर्सनल इन्वेस्ट के मामले में एक स्पेशल पार्ट से पैसे निकालने की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है। इसके अलावा सभी लाभ किसी के साथ शेयर करने की व्यवस्था के बिना शेयरहोल्डर हैं। इस प्रकार एक हाई रिस्क के लिए इक्विटी में अधिक से अधिक प्राइज़ है।

इंडेक्स फंड इन्वेस्टमेंट –

यह इन्वेस्ट उन लोगों के लिए आदर्श है जो सिविलाइज रिटर्न के साथ बहुत कम रिस्क वाले इन्वेस्ट पोर्टफोलियो चाहते हैं। इसे एक निष्क्रिय प्रबंधित (Idle managed) फंड के रूप में जाना जाता है क्योंकि पोर्टफोलियो मैनेजर निफ्टी जैसी बेंचमार्क पर सूचीबद्ध कंपनियों की इक्विटी की तलाश करता है। ये निफ्टी या सेंसेक्स की तरह एक विशेष सूचकांक को ट्रैक करते हैं और सूचकांक के रिटर्न से मेल खाने का प्रयास किया जाता है। चूंकि यह स्थापित प्रदर्शन बेंचमार्क वाली कंपनियों की एक टोकरी है इसलिए कम रिस्क है और निगरानी आसान है। वे भी कम कास्टली हैं क्योंकि कास्ट के मामले में आउटले इंडेक्स के लगभग मैकेनिकल ट्रैकिंग के कारण कम है।

इक्विटी या म्युचुअल फंड पर इस निवेश का नुकसान (लॉस) यह है कि एक निवेशक को भारी बाजार रिटर्न में नकदी की कमी हो सकती है जो कि म्यूचुअल फंड या इक्विटी में पर्सनल इनवेस्टमेंट द्वारा एक्टिव इनवेस्टमेंट से पसिबल हो सकता है।

चुनाव के पहले लिक्विड फंड से लेकर एसआईपी तक में निवेश का बेहतरीन मौका, हो जाएंगे मालामाल

Investment

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। चुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था में काफी मात्रा में नकदी का प्रवाह होता है जो अर्थव्यवस्था की पहिया को गतिशील कर देता है। ऐसे में जो लोग निवेश करके पैसा बनाना चाहते हैं उनके लिए यह एक बेहतरीन मौका है। इस बारे में बता रहे हैं महिंद्रा म्युचुअल के एमडी और सीईओ आशुतोष बिश्नोई। उनका कहना है कि अगर आप इंवेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो कई चीजों को आप ध्यान में जरूर रखें।

नोटबंदी और जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था थोड़ी रुक सी गई थी। पहले तो लोगों के हाथ में पैसा नहीं था और फिर सप्लाई में भी कमी आ गई थी। तब कंज्यूमर डिमांड जो रुक गई थीं, वो अब बहुत तेजी से आगे आ रही हैं। ऐसे में अब कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ रहा है। पिछले छह महीने के कारपोरेट रिजल्ट्स देखकर यह समझा जा सकता है कि कई सेक्टर्स में मुनाफा तेजी से बढ़ रहा है। बजट भी ऐसा रहा है जो लोगों को खर्च करने का बढ़ावा देगा, ऐसे में लोगों की डिमांड बढ़ेगी और इससे कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ेगा। वहीं दूसरी तरफ कंपनियों की कॉस्ट घट रही है। तेल की कीमतें कम हो चुकी हैं, स्टील-कॉपर जैसी इंडस्ट्रियल कमॉडिटीज की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। ऐसे में आने वाले समय में भी कंपनियों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा, लिहाजा यह समय अच्छी कंपनियों में निवेश के लिए बहुत अच्छा क्या डेट फंड्स रिस्क फ्री होते हैं? है। हर इंवेस्टर को चुनाव को इंवेस्टमेंट के मौके के तौर पर देखना चाहिए। चुनाव को लेकर हमेशा एक अनिश्चितता रहती है, तो अगर सस्ते वैल्यूएशन में पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए सबसे अच्छा समय है।

अगर आप sip में निवेश करते हैं, तो इसे बढ़ा भी सकते हैं। अगर हर महीने एक SIP कर रहे हैं और अगर आपके पास थोड़े और पैसे हों तो दो SIPडालने लगें। अगर डेट मार्केट यानी फिक्स्ड इनकम फंड्स की तरफ देखें तो उसके रेट्स कम होते जा रहे हैं। रेट कम होने का मतलब है कि आपके फंड की वैल्यू बढ़ रही है। यह सिलसिला अभी चलता ही रहेगा। अगले 6-8 महीनों में रेट बढ़ने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। रेट घटने की ही संभावना ज्यादा है। अगर पिछले एक-दो सालों का कारपोरेट बॉन्ड फंड का रिटर्न देखें तो 11-12% के करीब हो चुका है। लिक्विड फंड में भी 7.25-7.5 का रिटर्न मिल रहा है। इसमें तो रिस्क भी न के बराबर होता है। ऐसे में जो लोग लंबे समय के लिए मार्केट में हैं, वो अपना SIP करते रहें। कुछlumpsum अमाउंट डालने की काेशिश करें इक्विटी मार्केट में। जिन्हें ज्यादा रिस्क नहीं लेना है, वो लिक्विड फंड या कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में पैसा डालें।

अगर आप अपना पैसा खुद ही निवेश करना चाहते हैं, तो इसके आपको काफी रिसर्च करना होगा। इस रिसर्च में आपको तीन चीजें देखनी होंगी।

2. कंपनी का वैल्यूएशन मार्केट में कैसा है? कंपनी का बिजनेस बहुत बढ़िया हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि मार्केट में उसे वैल्यूएशन मिला हो। यानी कंपनी को प्रॉफिट तो होता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि स्टॉक मार्केट में कंपनी का नाम दिख रहा हो। कई बार इसका उल्टा भी होता है कि कंपनी का प्रॉफिट बिलकुल नहीं हो रहा है, लेकिन स्टॉक मार्केट में उसकी वैल्यू नजर आती है। ऐसी कंपनी ढूंढनी चाहिए जिसमें बिजनेस और वैल्यू दोनों बढ़िया हों।

3. क्या यह निवेश का सही समय है सबसे जरूरी चीज है यह देखना कि किस कंपनी या स्टॉक में कब निवेश करना चाहिए। समय बहुत बड़ा फैक्टर है। आपको आकलन करना हाेगा कि बाजार में इसका वॉल्यूम कितना है। कौन-कौन से बड़े इंवेस्टर्स इसमें पैसा डाल रहे हैं या निकाल रहे हैं। यह टेक्नीकल एनालिसिस करना जरूरी है, कि कहीं इस समय निवेश करना घाटे का सौदा तो नहीं हो जाएगा।

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