बुल अवशोषण

गुरुत्व जल ( Gravitational Water ) - वर्षा से प्राप्त मृदा जल का वह भाग जो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे की ओर गहराई में चला जाता है , गुरुत्वजल कहलाता हैं । यह जल एकवर्षीय पोधों की जड़ों को उपलब्ध नहीं होता है ।
जल अवशोषण की क्रियाविधि जानिए विस्तार से
पौधों में जल अवशोषण की यह प्रमुख विधि है। अधिकांश पौधों द्वारा अवशोषित जल की 96% से 98% मात्रा इसी विधि द्वारा प्राप्त की जाती है। पौधों के वायव अंगों मुख्यतः पत्तियों से वाष्पोत्सर्जन की क्रिया के द्वारा होने वाली जल हानि से पत्तियों की शिराओं बुल अवशोषण में उपस्थित जल कमी के कारण एक तनाव (खिंचाव) उत्पन्न हो जाता है। यह बुल अवशोषण ऋणात्मव
तनाव क्रमश: तने के जल स्तम्भ से होते हुए मूलों तक पहुंचता है जिस मूलरोमों द्वारा मृदा से जल स्वतः ही मूल में खिंच आता है। इस प्रकार
इस सिद्धांत के पक्ष में सबसे बड़ा प्रमाण यह हैं कि तीव्र वाष्पोत्सर्जन के बुल अवशोषण समय जलावशोषण की क्रिया भी तीव्र होती हैं।
कुछ पौधों में अल्प मात्रा में जल का अवशोषण मूलों की सक्रियता अथवा मूलों में उत्पन्न धनात्मक बलों के द्वारा होता है। यह क्रिया अधिकतर उस समय होती है जब वाष्पोत्सर्जन बहुत कम अथवा
बुल अवशोषण
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जल अवशोषण की सक्रिय अवशोषण .
Updated On: 27-06-2022
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Question Details till 22/11/2022
हेलो फ्रेंड्स प्रश्न है जल अवशोषण की सक्रिय अवशोषण की दो विधियां है उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए आइए इस प्रश्न का उत्तर देखते हैं बुल अवशोषण तो क्या होता है कि पौधों में जल का अवशोषण किसके द्वारा होता है पौधों में जल का अवशोषण होता है और शोषण व किसके द्वारा होता है वह होता है मूल रोमों के द्वारा किसके द्वारा होता है मूल्य रोमों के द्वारा यह अवशोषण क्या होता है यह अवशोषण दो प्रकार का होता है क्या होता है यह अवशोषण होता है दो प्रकार का एक होता है निष्क्रिय बुल अवशोषण क्या होता है एक होता है निष्क्रिय तथा दूसरा होता है सक्रिय एक होता है निष्क्रिय और शोषण तथा दूसरा होता है सत्रीय अवशोषण होता है वह हो
जल अवशोषण परिभाषा (12th, Biology, Lesson-1)
स्थलीय पौधों में जल का अवशोषण जड़ों द्वारा होता है। जड़े मृदा के अंदर शाखित जड़ तंत्र (root system) का निर्माण करती है जिससे ये अधिक मात्रा में जल का अवशोषण कर सकें। किसी पौधे की जड़ मुख्यतः पांच क्षेत्रों में विभाजित होती है- मूलगोप क्षेत्र (zone of root cap), विभज्योतक क्षेत्र (zone of elongation), मूलरोम क्षेत्र (root hair zone) तथा परिपक्वन क्षेत्र (zone of maturation)। जल का अवशोषण जड़ के निचले भाग से होता है, परंतु सबसे अधिक अवशोषण मूलरोम क्षेत्र से होता है।
यह क्षेत्र जड़ के शीर्ष से 10 सेंटीमीटर पीछे तक होता है। इस क्षेत्र में जाइलम पूर्ण रूप से परिपक्वन नहीं होता है तथा बाहरीत्वचा तथा अन्तस्त्वचा (endodermis) पारगम्य होती है। मूलरोम एककोशिकीय होते हैं तथा बाहरीत्वचा की कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं। मूलरोम की लंबाई 1 से 10 मिलीमीटर तक हो सकती है। मूलरोम की कोशिका भित्ति की बाहरी बुल अवशोषण परत पेक्टिक (pectic) तथा अंदर की परत सेल्यूलोज (cellulose) की बनी होती है।
जड़ में जल का मार्ग
जड़ों में जल मूलरोम की बाहरीत्वचा (Outer skin) की कोशिकाओं की भित्ति (dike) से प्रवेश करता है। यहां से जल वल्कुट की कोशिकाओं से होता हुआ अन्तस्त्वचा (Endoderm) तक पहुंचता है। अन्तस्त्वचा की मार्ग कोशिकाओं (passage cell) से होकर जल परिरम्भ (pericycle) व अंततः जाइलम में प्रवेश करता है। मृदा से सोखा गया बुल अवशोषण जल जड़ों में तीन पथो से होकर जाइलम तक पहुंचाता है। एपोप्लास्ट पथ (Apoplast tract), सिमप्लास्ट पथ (Simplast Path) व धानी पथ (Marrow path) ।
एपोप्लास्ट पथ पौधे का अजीवित (निर्जीव) तंत्र है। यह मुख्य रूप से अतःसंबंधित (interconnected) कोशिका भित्ति का तंत्र है जो जड़ों की अन्तस्त्वचा में पाई जाने वाली कैस्पेरियन पट्टियों (casparian strips) को छोड़कर पूरे पौधे में फैला रहता है। जल का एपोप्लास्टिक परिवहन केवल कोशिका भित्ति से होकर होता है। जड़ों में अधिकतर जल परिवहन एपोप्लास्ट (apoplast) के द्वारा होता है। चूंकि वल्कुट कोशिकाएं (cells) ढीले रूप में व्यवस्थित होती है अतः जल की गति में किसी प्रकार का प्रतिरोध (resistance) उत्पन्न नहीं होता है।
सिमप्लास्ट पथ
सिमप्लास्ट पथ पौधे का जीवित तंत्र (living system) है। इसमें सभी कोशिकाओं का कोशिकाद्रव्य (cystoplasm) जीवद्रव्य तन्तुओ (plasmodesmata) के द्वारा अंतःसंबंधित रहता है। सिमप्लास्टिक परिवहन में जल कोशिकाओं (water cells) के जीवद्रव्य तथा जीवद्रव्य तंतुओं के माध्यम से आगे बढ़ता है। यह परिवहन अपेक्षाकृत (relatively) धीमा होता है तथा सक्रिय जल अवशोषण (water absorption) के दौरान पाया जाता है।
धानी पथ
एपोप्लास्टिक परिवहन (apoplastic transport) वल्कुट के बाद अन्तस्त्वचा में पाई जाने वाला कैस्पेरियन पट्टियों (Casperian straps) के कारण रुक जाता है क्योंकि जल के अणु (water molecules) इन पट्टियों को भेदने में असमर्थ होते हैं। अतः अन्तस्त्वचा के बाद जल बलपूर्वक कोशिका झिल्ली से होकर गति करता है। जल का यह परिवहन धानी पथ (vacuolar pathway) अथवा ट्रांन्समैंब्रेन पथ (transmembrane pathway) कहलाता है। इस पथ में जल धानी को घेरे हुए टोनोप्लास्ट (tonoplast) से भी होकर पार हो सकता है।
More Information– मृदा जल क्या है व मृदा जल के प्रकार (12th, Biology, Lesson-1)
(PDF) पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण ( Water Absorption & Ascent Of Sap In Plants )
जब जल अवशोषण के कारक पादप के वायवीय भागों में बुल अवशोषण स्थित होते हैं तथा मूल की कोशिकाएँ केवल मार्ग प्रदान करने का कार्य करती है तो इसे निष्क्रिय जल अवशोषण कहते हैं । जब जल अवशोषण के कारक मूल में उपस्थित होते हैं तथा मल की कोशिकायें इस क्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं तो इसे सक्रिय जल अवशोषण कहते हैं । इस बुल अवशोषण क्रिया में कोशिकीय ऊर्जा का उपयोग होता है ।
मृदा जल मूल रोम में अन्तः परासरण क्रिया द्वारा प्रवेश करता है । मूल रोम व अधिचर्म कोशिकाओं से जल का वल्कुट कोशिकाओं में से होते हुए जायलम वाहिकाओं तक जाने की क्रिया पर्श्वीय प्रवाह ( Lateral Flow ) कहलयाती हैं ।
पादपों में जल का अवशोषण (Water Absorption In Plants)
जल का अवशोषण उच्च श्रेणी के पादपों में जड़ों के द्वारा होता है। जबकि निम्न श्रेणी के पादपों में राइजोइड (rhizoid) के द्वारा होता है।
एक जड़ के प्रमुख चार क्षेत्र होते हैं-
मूल गोप (root cap)
विभज्योतकी क्षेत्र के सुरक्षा का कार्य करता है।
विभज्योतक क्षेत्र (meristematic region)
इस क्षेत्र की कोशिकाएं विभाजन करके कोशिका की संख्या में वृद्धि करती है।
दिर्घीकरण क्षेत्र (elongation region)
इस क्षेत्र की कोशिकाएं आकार में वृद्धि करके मूल की लंबाई में वृद्धि करती है।
मूल रोम द्वारा जल के अवशोषण की क्रिया विधि (Mechanism Of Water Absorption)
मूल रोम (root hair) के द्वारा जल का अवशोषण दो प्रकार से किया जाता है-
- निष्क्रिय अवशोषण (passive absorption)
- सक्रिय अवशोषण (active absorption)
निष्क्रिय अवशोषण (active absorption)
यदि जल का अवशोषण बिना ऊर्जा (energy) के उपयोग के होता है।तो इसे निष्क्रिय अवशोषण कहते हैं। इसमें जल अपने उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता (high concentration to low concentration) की ओर गमन करता बुल अवशोषण है।
सक्रिय अवशोषण (active absorption)
इस प्रकार के जल अवशोषण में जल सांद्रता प्रवणता (concentration gradient) के विपरीत यानी के निम्न सांद्रता से उच्च सांद्रता(low concentration to high concentration) की ओर गमन करता है। इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
जल अवशोषित होने के पश्चात इसे मूल रोम से जाइलम तक पहुंचाया जाता है। जिसका पथ निम्न प्रकार होता है-
जल अवशोषण का मार्ग (Path Of Water Absorption)
मूल रोम द्वारा अवशोषित जल का जाइलम तक पहुंचाना अरिय परिवहन कहलाता है। इसके तीन पथ होते हैं
एपोप्लास्ट पथ (apoplast path)
यदि जल का प्रवाह है। मूल रोम से जाइलम तक वल्कुट की कोशिका भित्ति तथा कोशिका झिल्ली के मध्य स्थित रिक्त स्थान से होता है तो इसे एपोप्लास्ट पथ कहते हैं।
सिंप्लास्ट पथ (symplast paath)
इस प्रकार के पथ में कोशिका द्रव्य तथा प्लाज्मोडेमेटा के द्वारा होता है। यह जीवित मार्ग होता है।
रसधानी पथ (vacuolar path)
इसमें जल का प्रवाह है वल्कुट की कोशिकाओं में उपस्थित रसधानी (vacuole) के माध्यम से होता है। मूल रोम से जल कोशिकाओं की रसधानी (vacuole) में प्रवेश कर जाता है। जहां से यह प्रवाहित होकर अन्य कोशिका में चाहता है।
एंडोडर्मिस में कैस्पेरियन पट्टीका (casparian strips) होने के कारण जल आगे बुल अवशोषण की ओर गमन नहीं कर पाता। अतः यह सिंप्लास्ट पथ में बदल जाता है। और मार्ग कोशिकाओं (passage cells)के द्वारा यह परिरम्भ (pericycle) तक पहुंचता है। जो जाइलम के सामने स्थित एंडोडर्मिस की कोशिकाएं होती है। इनमें कैस्पेरियन पटिया नहीं पाई जाती।