ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है

क्रिप्टोकरेंसी: भारत में क्या है लीगल स्टेटस? कैसे होती है खरीदी-बिक्री? कैसे कर सकते हैं इस्तेमाल?
बुधवार को पूरी क्रिप्टो दुनिया हिल गई थी. क्योंकि, इसे मार्केट कैप में करीब 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था और Binance और कॉइनबेस सहित कई बड़े ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्रैश हो गए थे, जिससे निवेशकों को निराशा हुई थी. हालांकि, बाद के घंटों में Bitcoin, Ethereum और Dogecoin जैसी कई क्रिप्टोकरेंसी में सुधार देखने को मिला था. ये हालिया गिरावट वित्तीय और भुगतान संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी सेवाएं देने से बैन करने के चीन के फैसले के बाद आई थी.
चीन की तीन सरकारी संगठनों नेशनल इंटरनेट फाइनेंस एसोसिएशन ऑफ चाइना, चाइना बैंकिंग एसोसिएशन और पेमेंट एंड क्लियरिंग एसोसिएशन ऑफ चाइना ने सोशल मीडिया पर चेतावनी जारी की थी. संगठनों ने निवेशकों से कहा था कि अगर उन्हें क्रिप्टो-करेंसी इन्वेस्टमेंट ट्रांजैक्शन्स में कोई लॉस होता है तो उनके पास कोई प्रोटेक्शन नहीं होगा.
चीन के फैसले पर बाजार की प्रतिक्रिया और उसके बाद क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट, इन डिजिटल कॉइन्स की अस्थिर प्रकृति को उजागर करती है, जिसे ट्रांजैक्शन का फ्यूचर माना ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है जा रहा है. ये भारत में क्रिप्टो के लीगल स्टेटस और उस पर सरकार के रुख पर भी ध्यान केंद्रित करता है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का लीगल स्टेटस
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लीगल स्टेटस को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने इस साल की शुरुआत में एक बिल प्रस्तावित किया था, जिसमें Bitcoin और Dogecoin सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था. हालांकि, बाद में इसमें और कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ. एक हालिया रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से बैन करने का आइडिया ड्रॉप कर दिया है.
क्रिप्टोकरेंसी भारत में गैरकानूनी नहीं है. लेकिन, इन्हें रेगुलेट नहीं किया जाता. यानी आप बिटकॉइन खरीद और बेच सकते हैं. यहां तक बतौर इन्वेस्टमेंट इसे रख भी सकते हैं. लेकिन, इसकी देखभाल या सुरक्षा के लिए कोई गवर्निंग बॉडी नहीं है.
WazirX के फाउंडर और CEO निश्चल शेट्टी ने हमारी सहयोगी वेबसाइट इंडिया टुडे टेक से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, 'भारत में अभी इसे लेकर बहुत कनफ्यूजन है. क्योंकि, देश में इसके लिए कोई रेगुलेशन नहीं है. जब लोग इसके बारे में सुनते हैं तो डर जाते हैं. वास्तव में इंटरनेट पर मौजूद बहुत सारे चीजें अनरेगुलेटेड हैं. इनमें Ola और Uber के नाम शामिल हैं. यहां तक की ई-कॉमर्स भी अनरेगुलेटेड है.' इन्वेस्टर्स के लिए सबसे जरूरी बात ये है कि रेगुलेटेड नहीं होने से फ्रॉड और स्कैम की संभावना बढ़ जाती है.
क्रिप्टो कैसे खरीदें और बेचें?
बाजार में ढेरों क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स हैं. ऐसे में देश में Bitcoin और Dogecoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी को खरीदना और बेचना काफी आसान है. देश में मौजूद पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स में WazirX, Zebpay, Coinswitch Kuber और CoinDCX GO के नाम शामिल हैं. इन्वेस्टर्स Coinbase और Binance जैसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स से Bitcoin, Dogecoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी खरीद सकते हैं.
शेयर बाजारों के उलट, ये सभी प्लेटफॉर्म चौबीसों घंटे काम करते हैं. इसका मतलब ये है कि आप हफ्ते में किसी भी दिन और दिन के किसी भी समय पैसे का निवेश और निकासी कर सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है. आपको केवल इन प्लेटफॉर्म्स पर साइन अप करना होगा. इसके बाद अपना KYC प्रोसेस पूरा कर वॉलेट में मनी ट्रांसफर करना होगा. इसके बाद आप खरीदारी कर पाएंगे. इन्वेस्टर्स के पास क्रिप्टो की खरीदी-बिक्री के लिए प्री-डिसाइडेड लिमिट सेट करने का भी ऑप्शन होगा.
क्रिप्टो को खरीदने के लिए कोई लिमिट तय नहीं है. इन्वेस्टर्स बहुत छोटे अमाउंट से भी शुरू कर सकते हैं. चुनौती ये है कि अधिकांश बैंक क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं, जिसने इससे लेनदेन की प्रक्रिया को मुश्किल बना दिया है.
निश्चल इसे एक्सप्लेन करते हुए कहते हैं 'बैंक हमें सही तरीके से डिपॉजिट एक्सेप्ट करने का ऑप्शन नहीं दे रहे हैं और अगर बैंकिंग सिस्टम क्रिप्टो प्लेटफॉर्म का सपोर्ट नहीं करेगा, तो वे कैसे ठीक से काम कर सकते हैं. अभी, हमें हर हफ्ते एक नए बैंक को प्लेटफॉर्म पर इंटीग्रेट करना होगा. क्योंकि मौजूदा बैंक काम करना बंद कर देते हैं. इसका सीधा असर यूजर्स पर पड़ता है.'
साफ तौर पर क्रिप्टो इंडस्ट्री भारत में काफी नई है. इनमें UPI ट्रांजैक्शन्स भी काम नहीं आते. ऐसे में इन्वेस्टर्स को इसमें इन्वेस्ट करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना होगा. क्रिप्टोकरेंसी की खरीदी बिक्री के लिए दूसरा ऑप्शन P2P ट्रांजैक्शन्स हैं. यानी पर्सन टू पर्सन ट्रांजैक्शन्स. इसमें आप इंट्रेस्टेड बायर/सेलर ढूंढ कर एक्सचेंज कर सकते हैं.
क्रिप्टो के साथ आप क्या कर सकते हैं?
क्रिप्टो मार्केट ने पिछले कुछ सालों में काफी ग्रोथ पाई है. लेकिन, फैक्ट ये है कि इसके साथ आप ज्यादा कुछ कर नहीं सकते. उदाहरण के तौर पर बात करें तो आप इससे सैंडविच नहीं खरीद सकते. ऐसे में वास्तविक दुनिया में ये बहुत हद तक किसी काम का नहीं है. लेकिन, बतौर 'स्टोर ऑफ वैल्यू' ये बहुत काम आ सकता है. इसकी तुलना चांदी या सोने से की जा सकती है, जिन्हें लोग इसलिए खरीदते हैं क्योंकि उनमें वैल्यू बढ़ने की संभावना देखते हैं.
इस पर शेट्टी ने कहा, 'बिटकॉइन का मकसद बिल्कुल गोल्ड की तरह है, यानी वैल्यू स्टोर करना. वास्तव में, यह सोने की तुलना में ज्यादा एक्सेसिबल है क्योंकि इसे खरीदने के लिए आपको केवल एक मोबाइल फोन और इंटरनेट की जरूरत होती है. लेकिन सोने को बहुत आसानी से यूज किया जा सकता है, यही बात क्रिप्टो को और अधिक अस्थिर बनाता है.
इन सबके अलावा हर क्रिप्टोकरेंसी की अपनी अलग वैल्यू है. जैसे Bitcoin को गोल्ड के सब्सटीट्यूट के तौर पर देखा जाता है. तो वहीं, कुछ Shiba Inu जैसे कॉइन हैं, जिनका कोई काम नहीं है ना इनकी कोई वैल्यू है. ये मीम कॉइन्स हैं. ऐसे ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है में कई फैक्टर्स हैं जो किसी कॉइन का वैल्यू डिसाइड करते हैं.
दुनिया में जो चीज सीमित मात्रा में उपलब्ध होती है, उसकी वैल्यू काफी ज्यादा होती है. यही बात क्रिप्टोकरेंसी पर भी लागू होती है. इसलिए Bitcoin इतना पॉपुलर है. क्योंकि, ये लिमिटेड है. दूसरी तरफ Dogecoins में कोई लिमिट नहीं है. ऐसे मे ये आगे चलकर फेल हो सकता है. साथ ही कॉइन का इस्तेमाल कैसे होगा, ये फैक्टर भी इसकी वैल्यू डिसाइड करता है. अगर इसका इस्तेमाल किसी खास पर्पज के लिए किया जाए, तो इसकी वैल्यू बढ़ सकती है.
भारत के शेयर मार्केट
भारत के शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं। भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों BSE औेर NSE के बारे में जानकारी, ये कैसे काम करते हैं, इन पर ट्रेडिंग कैसे होती है, इनके इडेक्स कौन से हैं और इन्हें कौन रेगुलेट करता है। भारत में शेयर मार्केट में निवेश से पहले यह जानना आवश्यक है कि प्रमुख भारतीय स्टॉक एक्सचेंज कौन से हैं और इनके जरिये निवेश करने की प्रक्रिया क्या है। साथ ही जानेंगे कि इनमें कौन और कैसे निवेश कर सकता है। About Indian Stock Markets in Hindi.
भारत के शेयर मार्केट
BSE औेर NSE हैं भारत के शेयर मार्केट
भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं जहां यहां की अधिकतर शेयर ट्रेडिंग होती है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE। बीएसई 1875 से स्थापित दुनिया के शेयर बाजारों में सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। दूसरी ओर, एनएसई 1992 में स्थापित किया गया था और इसने 1994 से व्यापार शुरू किया था। हालांकि, दोनों एक्सचेंज एक ही ट्रेडिंग मैक्निजम का पालन करते हैं। दोनो बाजारों के काम के घंटे और निपटान प्रक्रिया भी एक सी है। BSE पर लगभग 5000 और NSE पर 2000 कंपनियां लिस्टेड हैं।
भारत के शेयर मार्केट – Share Market में Trading
दोनों एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग एक इलेक्ट्रॉनिक लिमिट ऑर्डर बुक के माध्यम से होती है जिसमें सौदे कंप्यूटर द्वारा ऑर्डर मिलान से किये जाते है। पूरी प्रक्रिया ऑर्डर संचालित होती है जिसका अर्थ है कि निवेशकों द्वारा लगाए गए ट्रेड ऑर्डर स्वचालित रूप से सर्वोत्तम कीमत के ऑर्डर के साथ मेल खाते हैं। नतीजतन, खरीदार और विक्रेता गुमनाम रहते हैं। ऑर्डर-संचालित बाजार का लाभ यह है कि यह ट्रेडिंग सिस्टम में सभी खरीद और बिक्री के आदेश टर्मिनल पर प्रदर्शित होते हैं। इससे ट्रेडिंग में अधिक पारदर्शिता आती है।
Broker
ट्रेडिंग सिस्टम में सभी ऑर्डर दलालों यानी ब्रोकर के माध्यम से ही डाले जा सकते है। कई ब्रोकर ग्राहकों को ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। संस्थागत निवेशक डायरेक्ट मार्केट एक्सेस के विकल्प का भी लाभ उठा सकते हैं जिसमें वे दलालों द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रेडिंग टर्मिनलों का उपयोग सीधे स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देने के लिए करते हैं।
सैटलमेंट Settlement
इक्विटी स्पॉट मार्केट T + 2 रोलिंग सैटलमेंट का पालन करती है। इसका मतलब यह है कि ट्रेडिंग के दिन के बाद दो दिन में सौदा निपट जायेगा। मंगल वार को किया गया कोई भी ट्रेड वीरवार तक निपट जाता है। स्टॉक एक्सचेंज पर सभी ट्रेडिंग सुबह 9:55 से 3:30 बजे के बीच सोमवार से शुक्रवार तक होती है। शेयरों का ट्रांसफर डीमैटरियलाइज्ड रूप में किया जाता है। प्रत्येक एक्सचेंज का अपना क्लियरिंग हाउस होता है।
इंडैक्स Index
भारतीय बाजारों के दो प्रमुख इंडैक्स यानी सूचकांक हैं सेंसेक्स और निफ्टी। सेंसेक्स BSE का सूचकांक है और वहां लिस्टेड 30 कंपनियों पर आधरित है। निप्टी NSE का इंडैक्स है और वहां लिस्टेड 50 कंपनियों पर आधारित है। इंडैक्स में शामिल करने के लिये कंपनियों का चुनाव अलग अलग उद्योगों से किया जाता है जिससे कि इंडैक्स में सभी उद्योगों का समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
Share Market के Regulator
शेयर बाजार के विकास, विनियमन और पर्यवेक्षण की संपूर्ण जिम्मेदारी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी के पास रहती है, जिसका गठन 1992 में एक स्वतंत्र प्राधिकरण के रूप में किया गया था। इसके अलावा इन स्टॉक एक्सचेंजों का अपना अंदरुनी रेग्यूलेशन भी है जो कि निवेशकों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। भारत का वित्त मंत्रालय भी इनके कामकाज पर नजर रखता है।
यहां हमने समझने की कोशिश की कि भारत के शेयर मार्केट कैसे काम करते हैं। आप भी यदि शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं शेयर बाजार कि जानकारी प्राप्त कर लें अन्यथा शेयर बाजार में सीधे निवेश ना कर म्यूचुअल फंड के जरिये ही निवेश करें।
स्टॉक ब्रोकर के रूप में बनाएं करियर, अन्य कई विकल्प भी मौजूद
अगर आप देश-दुनिया की बिजनेस से संबंधित खबरों में दिलचस्पी रखते हैं तो शेयर मार्केट, स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक ब्रोकर, निफ्टी और सेंसेक्स जैसे शब्दों से जरूर परिचित होंगे। शेयर मार्केट में दिन-प्रतिदिन उतार-चढ़ाव होता है, ऐसे में इस इंडस्ट्री के विस्तार के साथ-साथ इसमें रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। अगर आप भी इस क्षेत्र में दिल्चस्पी रखते हैं तो स्टॉक मार्केट में आप बेहतरीन करियर बना सकते हैं।
जो व्यक्ति निवेशक और शेयर मार्केट के बीच काम करता है, उसे स्टॉक ब्रोकर कहा जाता है। ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने के लिए आपके पास ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट होना जरूरी है और इसके लिए आपको स्टॉक ब्रोकर की जरूरत पड़ेगी। स्टॉक ब्रोकर दो प्रकार के होते हैं, फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर और डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर। आइए अब जानते हैं कि ये ब्रोकर काम क्या करते हैं।
फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर निवेशकों को यानि अपने ग्राहकों को स्टॉक एडवाइजरी (कौन सा शेयर कब खरीदें और कब बेचें), स्टॉक खरीदने के लिए मार्जिन मनी की सुविधा, मोबाइल फोन पर ट्रेडिंग सुविधा और इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) में निवेश जैसी सुविधाएं देता है। वहीं, डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहक से बहुत कम ब्रोकरेज लेकर शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं। यह अपने ग्राहक को स्टॉक एडवाइजरी और रिसर्च की सुविधा नहीं देते हैं।
स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए कॉमर्स, अकाउंटेंसी, इकोनॉमिक्स, स्टेटिस्टिक्स या बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की जानकारी आपके लिए काफी मददगार साबित होगी और इन विषयों में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का NSE एकेडमी सर्टिफिकेशन इन फाइनेंशियल मार्केट्स (NCFM) कोर्स भी कर सकते हैं। यह एक ऑनलाइन सर्टिफिकेशन प्रोग्राम है। इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले उम्मीदवार को गणित और अंग्रेजी की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज BSE, NSE के साथ मेंबरशिप के लिए आवेदन करें। मेंबरशिप आवेदन स्वीकृत होने के बाद आपकी एप्लीकेशन को मेंबरशिप चयन कमेटी के पास भेजा जाएगा। कमेटी एप्लीकेशन के मूल्यांकन के बाद अनुमति के लिए भेजेगी और फिर स्वीकृति मिलने के बाद प्रोविजनल मेंबरशिप का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद आपको SEBI में पंजीकरण करना होगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको SEBI की तरफ से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके बाद आपको ट्रेडिंग सिस्टम मिल जाएगा।
स्टॉक ब्रोकर बनने के अलावा आप फाइनेंशियल एडवाइजर, इनवेस्टमेंट एडवाइजर, पोर्टफोलिया मैनेजमेंट सर्विस, ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग, फाइनेंशियल एनालिस्ट, इक्विटी एनालिस्ट, इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर या एडवाइजर के तौर पर काम कर सकते हैं। यह पद आपको इस क्षेत्र में काम करने के अनुभव के हिसाब से मिलेंगे।
बिटकॉइन-इथीरियम में 100 रुपये लगाकर पा सकते हैं बंपर मुनाफा, SIP की तरह करना होगा निवेश
Bitcoin: क्रिप्टोकरंसी में निवेश के इच्छुक किसी व्यक्ति को पहले अपना अकाउंट खोलना होता है. एक पैन कार्ड पर क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए एक अकाउंट ही खोल सकते हैं. जैसा बैंकों में निमय है, वैसा ही क्रिप्टो के लिए भी है. क्रिप्टो एक्सचेंज में अकाउंट खोलने के लिए केवाईसी कराना होता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Ravikant Singh
Updated on: Jun 17, 2021 | 6:49 PM
भारत में क्रिप्टोकरंसी (cryptocurrency) इंडस्ट्री ने तेजी से जगह बनाई है. बहुत कम समय में इसका बाजार बढ़ा है. क्रिप्टो आधारित कंपनियों पर से सुप्रीम कोर्ट की ओर से पाबंदी हटने के बाद इसमें और बढ़ोतरी देखी जा रही है. आज की तारीख में तकरीबन 1 करोड़ भारतीयों ने क्रिप्टो में निवेश किया है. पिछले एक साल में इन निवेशकों ने अच्छा रिटर्न भी पाया है. निवेशकों के लिए किसी भी क्रिप्टोकरंसी में पैसे लगाने का तरीका वैसे ही है, जैसे इक्विटी आदि में लगाते हैं. नए निवेशक चाहें तो 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं.
जियोटस (Giottus) के सीईओ और को-फाउंडर विक्रम सुब्बुराज के ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है मुताबिक, क्रिप्टोकरंसी में निवेशक 100 रुपये भी लगा सकते हैं और इसके लिए वे क्रिप्टो आधारित कॉइन या टोकन में बहुत कम मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं. अच्छा यह रहता है कि पैसे को अलग-अलग क्रिप्टो में अलग-अलग अवधि के लिए लगाया जाए. किप्टो की तरह मीम कॉइन डोजकॉइन और शिबू इनु मशहूर हैं जिसमें पैसा निवेश किया जा सकता है. विक्रम सुब्बुराज कहते हैं, सही रिटर्न के लिए जरूरी है कि टॉप 10 क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया जाए.
अगर पोर्टफोलियो की बात करें तो 40 परसेंट बिटकॉइन में, 40 परसेंट इथीरियम (अन्य टॉप 10 क्रिप्टो में इस पैसे को बांट सकते हैं) और बाकी बचा 20 परसेंट हाई रिस्क कॉइन में लगा सकते हैं. क्रिप्टो में पैसे लगाएं और कुछ दिन धीरज रखें, बाजार को मैच्योर होने दें. पैसा निकाल कर कहीं और निवेश करने की जल्दबाजी न करें.
क्रिप्टो एक्सचेंज के बारे में जानें
Giottus एक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म है जहां इसकी ट्रेडिंग की जा सकती है. ट्रेडिंग के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है. 5 मिनट के अंदर रजिस्ट्रेशन हो जाता है, वह भी भारतीय केवाईसी नियमों के साथ. केवाईसी के तुरंत बाद अगर डॉक्युमेंट दुरुस्त हों तो वेरिफिकेशन हो जाता है और 15 मिनट में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं. जियोटस जैसे प्लेटफॉर्म पर एक साथ 100 से ज्यादा क्रिप्टोकरंसी की जानकारी मिलती है जहां 100 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. इसके लिए प्लेटफॉर्म पर पैसा जमा करना होता है. कुछ प्लेटफॉर्म पैसा जमा करने के लिए शुल्क लेते हैं, कुछ नहीं. इसी जमा पैसे से क्रिप्टो में निवेश शुरू होता है.
कैसे खोलें खाता
क्रिप्टोकरंसी में निवेश के इच्छुक किसी व्यक्ति को पहले अपना अकाउंट खोलना होता है. एक पैन कार्ड पर क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए एक अकाउंट ही खोल सकते हैं. जैसा बैंकों में निमय है, वैसा ही क्रिप्टो के लिए भी है. हालांकि एक पैन से क्रिप्टो के अलग-अलग एक्सचेंज में कई अकाउंट खोल सकते हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज में 24 घंटे और सातों दिन ट्रेडिंग कर सकते हैं. नए निवेशकों के लिए सलाह दी जाती है कि जोखिम को ध्यान में रखते हुए ही क्रिप्टो की ट्रेडिंग करें. क्रिप्टो के दाम उतार-चढ़ाव में या तो तेजी से गिरते हैं या तेजी से चढ़ते हैं. यानी ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है कि भारी मुनाफे के साथ भारी गिरावट का भी खतरा होता है. इसलिए दिल थाम कर क्रिप्टो की ट्रेडिंग में हाथ लगाना चाहिए.
बिटकॉइन से करें शुरुआत
हर क्रिप्टोकरंसी अपने आप में यूनिक है और उसी हिसाब से उसकी ट्रेडिंग होती है. नए निवेशक जब खरीदारी करने चलें तो उसके बारे में ठीक से रिसर्च कर लें. जैसे नंबर टू क्रिप्टोकरंसी इथीरियम एक प्लेटफॉर्म भी है जिसे अलग-अलग ऐप के जरिये खरीदा जा सकता है. ऐसा नहीं है कि किसी खास ऐप से ही इसकी ट्रेडिंग और खरीदारी होगी. जैसे मोबाइल में एंड्रॉयड सिस्टम अलग-अलग मोबाइल कंपनियों में काम करता है, वैसे ही इथीरियम अलग-अलग ऐप पर भी काम करता है. नए निवेशकों को एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बिटकॉइन और इथीरियम में पैसा लगाकर शुरुआत करनी चाहिए. ठीक वैसे ही जैसे इक्विटी में एसआईपी के जरिये निवेश शुरू करते हैं.
सावधानी के साथ करें निवेश
भारत में ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है अभी क्रिप्टोकरंसी रेगुलेटेड नहीं है, सरकार और रिजर्व बैंक का अभी रुख साफ नहीं है. ऐसे में कम पैसे में निवेश करने की सलाह दी जाती है. ट्रेडिंग का मतलब होता है कि खरीदारी पर कितना मुनाफा कमाते हैं. कोई किप्टो कितने में खरीदते हैं, ट्रेडिंग का मकसद यह नहीं होता है. इसी हिसाब से क्रिप्टो में पैसे लगाने और उसे जारी रखने पर फोकस करना चाहिए. नए निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में 2-3 परसेंट क्रिप्टोकरंसी को रखना चाहिए. बाद में मार्केट की समझ हो जाए तो निवेश बढ़ा सकते हैं.
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग सिस्टम कैसे काम करता है मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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