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एकीकृत खेती से मिल सकता है जमीन का अधिकतम लाभ

अब फसलों के जरिये मुनाफा कमा पाना काफी मुश्किल हो चुका है। ऐसी स्थिति में अगर खेती के साथ कृषि से जुड़ी सह गतिविधियों को भी जोड़ दिया जाए तो खेती को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के साथ किसानों की शुद्ध आय को भी बढ़ाया जा सकता है। ऐसा एकीकृत खेती के जरिये किया जा सकता है जिसमें जमीन के उसी टुकड़े से खाद्यान्न, चारा, खाद और ईंधन भी पैदा किया जा सकता है। हालांकि इस तरह की विविध खेती प्रणाली में समाहित किए जा सकने वाले कृषि उद्यमों का चयन बेहद सावधानी से करना चाहिए। इन सभी तरीकों को एक दूसरे के साथ तालमेल में होना चाहिए और जमीन एवं अन्य संसाधनों की कम-से-कम खपत करने वाला होना चाहिए। एक साथ किए जा सकने वाले कृषि-अनुषंगी कार्यों की कोई कमी नहीं है। इनमें पशुपालन, बागवानी, हर्बल खेती, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन, मत्स्य पालन और कृषि-वानिकी जैसे काम शामिल हैं।

वैसे किसान मिश्रित खेती की अवधारणा से अपरिचित नहीं हैं। करीब 80 फीसदी किसान नियमित तौर पर खेती के साथ मवेशी भी रखते हैं जिनमें गाय एवं भैंसों की बहुतायत होती है। मवेशी पालने से किसानों का कृषि से संबंधित जोखिम तो कम होता ही है, उसके अलावा उनकी आय और पोषण स्तर में भी बढ़ोतरी होती है। कई किसान बकरियां, भेड़ें या मुर्गियां भी रखते हैं। लेकिन अधिकांश खेतों में जिस तरह की मिश्रित खेती की जाती है वह एकीकृत खेती की श्रेणी में आने के लायक नहीं है। दरअसल मिश्रित खेती में विभिन्न सहयोगी गतिविधियों को इस तरह से समाहित किया जाता है कि वे संबंधित क्षेत्रों के लिए लाभदायक साबित हो सकें।

सुविचारित एकीकृत खेती प्रणाली के तहत एक अवयव के अपशिष्टों, अनुत्पादों और अनुपयोगी जैव ईंधन का इस तरह से पुनर्चक्रण किया जाता है कि वह दूसरे अवयव अधिकतम लाभ के लिए इनपुट के तौर पर इस्तेमाल हो जाता है जिससे लागत में भी कमी आती है और उत्पादकता एवं लाभदायकता में बढ़ोतरी होती है। मेरठ के मोदीपुरम स्थित भारतीय खेती प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईआईएफएसआर) के वैज्ञानिकों का कहना है कि एक खेती प्रणाली में जरूरत भर के 70 फीसदी पोषक तत्त्व अपशिष्ट पुनर्चक्रण और अन्य तरीकों से ही हासिल किए जा सकते हैं। मवेशियों के मल-मूत्र अधिकतम लाभ से बनी देसी खाद के जरिये उर्वरकों से मिलने वाले नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का एक-चौथाई हिस्सा हासिल किया जा सकता है। एक और फायदा यह है कि रासायनिक उर्वरकों के बजाय देसी खाद का इस्तेमाल करने से मिट्टïी की उत्पादकता और उसके भौतिक स्वास्थ्य को दुरुस्त किया जा सकता है। खेती के दौरान उपजने वाले अवशिष्टों को केंचुए की मदद से कंपोस्ट खाद में भी तब्दील किया जा सकता है। कंपोस्ट खाद मिट्टïी की उत्पादकता को बढ़ाकर खेती के लिए भी लाभदायक साबित होती है।

इस तरह की एकीकृत खेती प्रणाली का अगर वैज्ञानिक तरीके से अनुपालन किया जाए तो वह खेती में लगे परिवारों को पूरे साल की आजीविका देने के अलावा उनकी आय वृद्धि का भी माध्यम बन सकता है। इसके अलावा इन खेती प्रणालियों में श्रम की अधिक आवश्यकता को देखते हुए संबंधित कृषक परिवार के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी रोजगार मिल सकता है। आईआईएफएसआर के निदेशक ए एस पंवार कहते हैं, 'एकीकृत खेती प्रणाली से किसान की आय दोगुनी होने के साथ अधिकतम लाभ ही कृषि अवशिष्टों का पुनर्चक्रण करने से पर्यावरण को भी फायदा होता है।' एकीकृत खेती प्रणाली में अगर एक अवयव नाकाम भी होता है तो दूसरे अवयवों के कारगर होने से उस परिवार की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। हालांकि इसके लिए इन प्रणालियों को उस स्थान-विशेष के मुताबिक तैयार किया जाना बेहद जरूरी होता है। पंवार कहते हैं, 'खेती प्रणालियों को इस तरह डिजाइन करना चाहिए कि वे खेतों में ऊर्जा सक्षमता में अच्छी-खासी बढ़ोतरी करें और विभिन्न अवयवों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।'

एकीकृत खेती प्रणाली के लिए खेत का आकार अधिक मायने नहीं रखता है। सच तो यह है कि इस तरह की प्रणाली छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए कहीं अधिक कारगर साबित होती है। देश भर में छोटे एवं सीमांत आकार के खेतों की संख्या बढऩे से एकीकृत कृषि प्रणाली की उपयोगिता और अधिक बढ़ रही है। इस प्रणाली को अपनाकर छोटे एवं सीमांत किसान अधिक उपज वाली फसलों के साथ ही मशरूम, फल, सब्जियां, अंडे, दूध, मांस और शहद जैसे लाभदायक उत्पाद भी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा वे जैव-ईंधन भी पैदा कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। दरअसल एकीकृत खेती का मूल यह है कि एक किसान की जमीन का अधिकतम इस्तेमाल किया जाए।

कृषि कार्यों के साथ अगर मत्स्यपालन को भी जोड़ दिया जाए तो संबंधित किसान की कमाई काफी अधिक बढ़ सकती है। मछली का लुभावना उत्पादन होने के अलावा इस प्रणाली में तालाबों अधिकतम लाभ के तटबंधों का इस्तेमाल फलदार वृक्ष या जलावन वाले पेड़ लगाने के लिए किया जाता है। मत्स्य-पालन वाले तालाब की तलछट पोषक तत्त्वों से भरपूर होती है और उसका इस्तेमाल खेतों में खाद के तौर पर किया जा सकता है। इसके साथ ही तालाबों का पानी खेतों में सिंचाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में उपजे आर्थिक संकट से निपटने में एकीकृत खेती की भूमिका काफी अहम हो सकती है। यही वजह है कि इस साल के गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से पेश की गई झांकी में भी एकीकृत खेती को ही विषय बनाया गया था। उस झांकी में एकीकृत खेती प्रणाली से संबंधित विभिन्न पहलुओं और उनके लाभों को प्रदर्शित किया गया था। राज्य सरकारों और कृषि विकास में लगी विभिन्न संस्थाओं को इस तरह की पर्यावरण-अनुकूल एवं लाभप्रद कृषि प्रणाली को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि किसानों को अपनी जमीन से अधिकतम लाभ मिल सके।

Weight Loss : बढ़ते मोटापे की समस्‍या से हैं परेशान तो डाइट में शामिल करें ये फूड्स, तेजी से घटेगी चर्बी

नई दिल्‍ली। पेट की चर्बी जमा होने के सामान्य कारण वही होते हैं जो वजन बढ़ने (weight gain) के कारण होते हैं, जैसे खराब डाइट, व्यायाम की कमी, आदि इस क्षेत्र में फैट कम करना तुलनात्मक रूप से कठिन होता है. हालांकि पेट की चर्बी को कम करने वाले फूड्स (Foods) भारी मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है. अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तेजी से पेट की चर्बी कैसे घटाएं? पेट की चर्बी घटाने के तरीके (Ways To Reduce Belly Fat) बताएं या पेट की चर्बी घटाने (fat loss) का उपाय तमाम तरह के सवाल हैं जो हमारे मन में उठते हैं. पेट के आसपास की चर्बी दो तरह की होती है: विसरल फैट (अंगों को घेरती है) सबक्यूटेनियस फैट (त्वचा के नीचे बैठती है) से ज्यादा हानिकारक होती है. अपने वजन को बनाए रखने और पेट की चर्बी से बचने के लिए सही खाने के बारे में जानना जरूरी है. कुछ फूड्स बेली फैट बर्न (burn belly fat) कर सकते हैं. इसके अलावा अपने आहार में उन चीजों को शामिल करें जो पेट में वसा को जमा होने से रोकते हैं.

पेट के फैट को कम करने के लिए फूड्स (Foods To Reduce Belly Fat Fast)
दही
दही (Curd) आपके वजन घटाने के आहार में शामिल करने के लिए एक बेहतरीन डेयरी प्रोडक्ट है. ग्रीक योगर्ट विशेष रूप से वेट मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है क्योंकि इसमें नियमित दही की तुलना में दोगुना प्रोटीन होता है. ग्रीक योगर्ट में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया (probiotic bacteria) भी होते हैं जो आंत के कार्य में सुधार कर सकते हैं.

नट्स
नट्स हाई फैट वाले फूड्स हैं, लेकिन वे प्रोटीन, फाइबर और पौधों (Protein, fiber and plants) के यौगिकों से भी भरे होते हैं जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. वे एक बेहतरीन स्नैक हैं क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि नट्स खाने से मेटाबॉलिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और वजन घटाने को बढ़ावा मिलता है.

यह भी पढ़ें | वजन घटाने के लिए बड़े काम का है आलू! बस जान लीजिए खाने का सही तरीका

ब्रॉकली
ब्रोकोली, गोभी, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी कुरकुरी सब्जियां फाइबर से भरी होती हैं, जो आपको भर देती हैं. इन सब्जियों में कुछ प्रोटीन भी होता है. उनके पास कम ऊर्जा घनत्व या कम कैलोरी होती है, जिसका अर्थ है कि वे आपके वजन घटाने अधिकतम लाभ के आहार में जोड़ने के लिए एकदम सही हैं.

ओट्स
ओट्स (Oats) को वजन कम करने वाला सुपरफूड माना जाता है क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर और कैलोरी में कम होते हैं. इसलिए अगर आप एक सपाट पेट पाना चाहते हैं, तो अपने आहार में दलिया शामिल करें. ओट्स को पचने में समय लगता है, जिससे आपका शरीर इस प्रक्रिया में कैलोरी बर्न करता है. इतना ही नहीं, अधिकतम लाभ अधिकतम लाभ ओट्स आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखता है, जिससे आप अस्वास्थ्यकर भोजन करने से बचते हैं. ओट्स आपको पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करता है और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है.

फलियां
काली बीन्स, किडनी बीन्स और फलियां जैसे दालें प्रोटीन और फाइबर से भरी होती हैं, जो तृप्ति को बढ़ावा देती हैं. ऐसे में कुछ भी अनहेल्दी खाने से बचते हैं और पेट को अधिकतम लाभ कम करने में मदद मिलती है.

साल्मन
इस फैटी फिश में प्रोटीन, हेल्दी फैट और अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं. यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है, अधिक खाने से रोकता है और इस प्रकार आपको अपने वजन घटाने के लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है. इसके अलावा, साल्मन मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है. ये सूजन को कम कर सकते हैं, जिसे मोटापे और मेटाबॉलिज्म रोग में भूमिका के लिए जाना जाता है.

जौ
जौ एक साबुत अनाज है जो हेल्दी फाइबर और बीटा-ग्लूकन से भरपूर होता है, ये दोनों कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी होता है, इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. वजन घटाने और पेट की चर्बी कम करने के लिए जौ का पानी आपकी सुबह के रूटीन में शामिल करने के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है. यह पेय एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और आंत को साफ करता है.

सेब
सेब एक ऐसा फल है जो पेट की चर्बी को कम करता है. फाइबर से भरपूर वे एक बेहतरीन सुबह या दोपहर के स्नैक्स के लिए अच्छा है, तृप्ति को बढ़ावा देते हैं और आपको पूरे दिन भरा हुआ रखते हैं. उनमें कैलोरी और चीनी में कम होती है, इस प्रकार आपके वजन घटाने के प्रयासों को अधिकतम लाभ बढ़ावा देते हैं. साथ ही सेब में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स पेट की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं.

सन का बीज
ये छोटे बीज फाइबर, ओमेगा -3 फैटी एसिड और लिग्नन्स से भरे होते हैं, जो उन्हें पाचन के लिए अच्छा बनाते हैं. वे कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं और टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर के खतरे को कम करते हैं. अपने वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अलसी का सेवन करें.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के उद्देश्‍य से पेश की गई है, इन पर हम अधिकतम लाभ किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

सूरत : पीएलआई योजना का अधिकतम लाभ सूरत और दक्षिण गुजरात उठा सकते हैं: चैंबर अध्यक्ष आशीष गुजराती

मोदी सरकार ने टेक्सटाईल उद्योग के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) स्कीम लागु की है जिसका ‌अधिक से अधिक लाभ दक्षिण गुजरात की टेक्सटाईल इंडस्ट्री उठा सकती है

चैंबर द्वारा दिए गए सुझावों को इस योजना में शामिल करने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय कपड़ा और वाणिज्य मंत्री और रेल मंत्री का चैंबर द्वारा आभार व्यक्त किया

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एमएमएफ टेक्सटाइल और टेक्निकल टेक्सटाइल्स को कवर करने वाले 13 सब-डिवीजनों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी। कपड़ा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित पीएलआई योजना का अधिकतम लाभ सूरत और दक्षिण गुजरात उठा सकते हैं।

चैंबर के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि उद्योगपति लंबे समय से इस योजना की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे जिसे आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी और इसके लिए 10,683 करोड़ रुपये की बडी राशि भारत सरकार ने इस स्कीम के तहत आवंटीत की है। इसमें से करीब 7,000 करोड़ रुपये एमएमएफ टेक्सटाइल सेक्टर को और करीब 4,000 करोड़ रुपये टेक्निकल टेक्सटाइल सेक्टर को आवंटित किए गए हैं। शुरुआत में यह योजना केवल परिधान और एपरल क्षेत्र के लिए थी। इस संबंध में चैंबर द्वारा प्रधान मंत्री को एक अभ्यावेदन दिया गया था और इस योजना के तहत एमएमएफ कपड़े के उत्पादन को शामिल करने का अनुरोध भी किया गया था। आज जब ‌इस योजना की घोषणा की गई होने की जानकारी चैंबर अधिकतम लाभ को प्राप्त हुई है जिसके अनुसार यह कहना सुरक्षित है कि एमएमएफ कपड़े को भी योजना में शामिल किया गया है। इस पीएलआई योजना के तहत नई निवेश इकाइयों को 31 मार्च, 2013 से पहले आवेदन करना होगा और इकाइयों को दो साल में अपने निवेश की लागत से कम से कम दोगुना कारोबार करना होगा और उनका उत्पादन 31 मार्च, 2025 तक जारी रखना होगा। इस योजना को योजना-1 और योजना-2 में बांटा गया है। योजना-1 में अधिकतम 15% और न्यूनतम 11% तक प्रोत्साहन प्रदान करती है। योजना-2 में न्यूनतम 7 % और अधिकतम 11% प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, एकीकृत कपड़ा क्षेत्र में कम से कम 60% मूल्यवर्धन किया जाना है और कम से कम 30% मूल्यवर्धन स्टैंड अलोन स्वतंत्र इकाई द्वारा किया जाना है। उल्लेखनिय है कि जो इकाइयां आरओएसटीसीएल / आरओडीटीईपी जैसी योजनाओं का लाभ उठा रही हैं, वे भी इस योजना के अलावा पीएलआई योजना का लाभ उठा सकेंगी। यदि दोनों योजनाओं के लाभों को मिला दिया जाए तो कपड़ा इकाइयों को उनके टर्नओवर के मुकाबले 21% का नकद रिफंड मिल सकता है। तकनीकी कपड़ा क्षेत्र में भारत वर्तमान में विशेष यार्न के लिए संपूर्ण आयात पर निर्भर है। इसलिए इस योजना के आने से विशेष सूत का उत्पादन भी बढ़ेगा, जो भारत को वास्तव में आत्मनिर्भर बनाएगा। वर्तमान में पूरी दुनिया चीन +1 रणनीति के तहत योजना बना रही है, इसलिए इस अवसर का लाभ इस योजना के शुरू होने के बाद दक्षिण गुजरात में कपड़ा उद्योग से जुड़े उद्योगों को बड़ी संख्या में मिलने की संभावना है। चैंबर इस योजना के तहत एमएमएफ फैब्रिक को कवर करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कपड़ा और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कपड़ा और रेल मंत्री दर्शना जरदोश को धन्यवाद देना चाहता है।

चैंबर के उपाध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने कहा कि दक्षिण गुजरात जिसमें विशेष रूप से सूरत जिला एमएमएफ वस्त्रों के उत्पादन में लगभग 65% योगदान देता है। इस योजना के लागू होने के बाद एमएमएफ टेक्सटाइल के क्षेत्र में सूरत जिले का योगदान काफी बढ़ सकता है। कहा जा रहा है कि यह योजना टियर-3 शहरों में निवेश को बढ़ावा देगी। इस योजना के तहत सूरत, तापी और नवसारी जैसे दक्षिण गुजरात के जिलों में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है।

Weight Loss : बढ़ते मोटापे की समस्‍या से हैं परेशान तो डाइट में शामिल करें ये फूड्स, तेजी से घटेगी चर्बी

नई दिल्‍ली। पेट की चर्बी जमा होने के सामान्य कारण वही होते हैं जो वजन बढ़ने (weight gain) के कारण होते हैं, जैसे खराब डाइट, व्यायाम की कमी, आदि इस क्षेत्र में फैट कम करना तुलनात्मक रूप से कठिन होता है. हालांकि पेट की चर्बी को कम करने वाले फूड्स (Foods) भारी मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है. अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तेजी से पेट की चर्बी कैसे घटाएं? पेट की चर्बी घटाने के तरीके (Ways To Reduce Belly Fat) बताएं या पेट की चर्बी घटाने (fat loss) का उपाय तमाम तरह के सवाल हैं जो हमारे मन में उठते हैं. पेट के आसपास की चर्बी दो तरह की होती है: विसरल फैट (अंगों को घेरती है) सबक्यूटेनियस फैट (त्वचा के नीचे बैठती है) से ज्यादा हानिकारक होती है. अपने वजन को बनाए रखने और पेट की चर्बी से बचने के लिए सही खाने के बारे में जानना जरूरी है. कुछ फूड्स बेली फैट बर्न (burn belly fat) कर सकते हैं. इसके अलावा अपने आहार में उन चीजों को शामिल करें जो पेट में वसा को जमा होने से रोकते हैं.

पेट के फैट को कम करने के लिए फूड्स (Foods To Reduce Belly Fat Fast)
दही
दही (Curd) आपके वजन घटाने के आहार में शामिल करने के लिए एक बेहतरीन डेयरी प्रोडक्ट है. ग्रीक योगर्ट विशेष रूप से वेट मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है क्योंकि इसमें नियमित दही की तुलना में दोगुना प्रोटीन होता है. ग्रीक योगर्ट में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया (probiotic bacteria) भी होते हैं जो आंत के कार्य में सुधार कर सकते हैं.

नट्स
नट्स हाई फैट वाले फूड्स हैं, लेकिन वे प्रोटीन, फाइबर और पौधों (Protein, fiber and plants) के यौगिकों से भी भरे होते हैं जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. वे एक बेहतरीन स्नैक हैं क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि नट्स खाने से मेटाबॉलिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और वजन घटाने को बढ़ावा मिलता है.

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ब्रॉकली
ब्रोकोली, गोभी, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी कुरकुरी सब्जियां फाइबर से भरी होती हैं, जो आपको भर देती हैं. इन सब्जियों में कुछ प्रोटीन भी होता है. उनके पास कम ऊर्जा घनत्व या कम कैलोरी होती है, जिसका अर्थ है कि वे आपके वजन घटाने के आहार में जोड़ने के लिए एकदम सही हैं.

ओट्स
ओट्स (Oats) को वजन कम करने वाला सुपरफूड माना जाता है क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर और कैलोरी में कम होते हैं. इसलिए अगर आप एक सपाट पेट पाना चाहते हैं, तो अपने आहार में दलिया शामिल करें. ओट्स को पचने में समय लगता है, जिससे आपका शरीर इस प्रक्रिया में कैलोरी बर्न करता है. इतना ही नहीं, ओट्स आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखता है, जिससे आप अस्वास्थ्यकर भोजन करने से बचते हैं. ओट्स आपको पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करता है और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है.

फलियां
काली बीन्स, किडनी बीन्स और फलियां जैसे दालें प्रोटीन और फाइबर से भरी होती हैं, जो तृप्ति को बढ़ावा देती हैं. ऐसे में कुछ भी अनहेल्दी खाने से बचते हैं और पेट को कम करने में मदद मिलती है.

साल्मन
इस फैटी फिश में प्रोटीन, हेल्दी फैट और अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं. यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है, अधिक खाने से रोकता है और इस प्रकार आपको अपने वजन घटाने के लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है. इसके अलावा, अधिकतम लाभ साल्मन मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है. ये सूजन को कम कर सकते हैं, जिसे मोटापे और मेटाबॉलिज्म रोग में भूमिका के लिए जाना जाता है.

जौ
जौ एक साबुत अनाज है जो हेल्दी फाइबर और बीटा-ग्लूकन से भरपूर होता है, ये दोनों कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी होता है, इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. वजन घटाने और पेट की चर्बी कम करने के लिए जौ का पानी आपकी सुबह के रूटीन में शामिल करने के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है. यह पेय एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और आंत को साफ करता है.

सेब
सेब एक ऐसा फल है जो पेट की चर्बी को कम करता है. फाइबर से भरपूर वे एक बेहतरीन सुबह या दोपहर के स्नैक्स के लिए अच्छा है, तृप्ति को बढ़ावा देते हैं और आपको पूरे दिन भरा हुआ रखते हैं. उनमें कैलोरी और चीनी में कम होती है, इस प्रकार आपके वजन घटाने के प्रयासों को बढ़ावा देते हैं. साथ ही सेब में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स पेट की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं.

सन का बीज
ये छोटे बीज फाइबर, ओमेगा -3 फैटी एसिड और लिग्नन्स से भरे होते हैं, जो उन्हें पाचन के लिए अच्छा बनाते हैं. वे कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं और टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर के खतरे को कम करते हैं. अपने वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अलसी का सेवन करें.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के उद्देश्‍य से पेश की गई है, इन पर हम किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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