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IPO क्या होता है?

IPO क्या होता है?
IPO क्या है

IPO Meaning In Hindi

IPO क्या है और इसका फुल फॉर्म क्या हैं पूरी जानकारी

What is IPO Full Information in hindi : - हम रोजाना मार्केट से कपड़े, सब्जी और अन्य किसी भी तरह का सामान खरीदना, मोबाइल रिचार्ज, टिकट्स बुक करना या किसी अन्य सर्विस के लिए पेमेंट करने का सबसे बढ़िया ऑप्शन पेटीएम को माना जाता हैं।

अभी फिलहाल के लिए पेटीएम के पास 35 करोड़ से भी ज्यादा कस्टमर्स है। लेकिन अभी कुछ समय पहले मतलब करीब 3 सालों से Paytm कंपनी Loss में चल रही है। यह loss करोड़ों अरबों रुपयों का हुआ। जिसके कारण अब पेटीएम कंपनी अपने को ओर ज्यादा बेहतरीन बनाने के लिए, इन्डियन मार्केट का सबसे बड़ा IPO लाई है

तो इस IPO का क्या मतलब होता हैं ? IPO किसे कहते हैं ? अगर कंपनी IPO लाती है तो क्या होता है ? इन सभी सवालों के जवाब आज के इस ब्लॉग में मिलने वाले हैं IPO KYA HAI IN HINDI IPO का क्या मतलब होता है ?

जिसका मतलब हम आसान शब्दों में समझे तो किसी ऐसी प्राइवेट कम्पनी जिनका मालिक फैमिली, रिश्तेदार, फ्रेंड्स और उसी कंपनी के टैलेंटेड एम्लॉयज और शेयर होल्डर्स होते हैं। लेकिन यह प्राइवेट कंपनी अपने बिजनेस को ओर ज्यादा बढ़ाना चाहती है। बिजनस को आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती हैं।

इस पैसे की पूर्ति करने के लिए कंपनी अगर लोन उठाएगी तो उसको लोन+ब्याज देना होगा जिससे कंपनी को एक तरह से नुकसान उठाना पड़ेगा। तो कंपनी इस पैसे की पूर्ति करने के लिए IPO क्या होता है? लोन न उठा कर, कंपनी पहली बार शेयर मार्केट के अंदर लिस्ट होगी। और उसके बाद कंपनी पहली बार अपने शेयर बेचेगी मतलब IPO रिलीज करेगी।

अगर आपको भी यह नहीं पता कि शेयर क्या होते हैं और कैसे खरीदे जाते हैं तो हमारे द्वारा लिखा गया यह ब्लॉग पढ़ सकते हैं

इस आईपीओ के जरिए कंपनी को डायरेक्ट पब्लिक से पैसा मिल जाएगा, अब यह कंपनी प्राइवेट न होकर के पब्लिक हो गई। मतलब इसमें पब्लिक का पैसा लग गया है। जिसके कारण इस कंपनी का मालिक फैमिली, रिश्तेदार और शेयरहोल्डर्स न होकर के पूरी पब्लिक इस कंपनी के मालिकाना हक में हिस्सेदार हो गई

आईपीओ क्या होता है? IPO क्यों लाया जाता है? इसके क्या कारण होते है? ipo kya hota hai.

IPO kya hoya hai.

ipo kya hota hai हेलो दोस्तों कैसे है सब उम्मीद करता ठीक ही होंगे सब आज में आपके लिए ऐसी इन्वेस्टमेंट के बारे बताने बाला हूँ जिसे आप पढ़ कर आपके सरे सवालों जबाब मिल जायेंगे। की आईपीओ क्या होता है ipo kya hota hai. इसे कंपनी क्यों लती है और इसमें हम इन्वेस्टमेंट कैसे कर सकते है इसके लिए क्या करना होगा। तो शुरू करता हूँ

आईपीओ क्या होता है ipo kya hota hai

IPO (Initial Public Offering) सार्वजनिक प्रस्ताव

जब कोई company अपने share पहली बार लोगों के लिए जारी करती है। तो उसे IPO कहा जाता है। ज़्यादा तर company छोटे स्तर पर काम कर रही होती है। और वह अपने काम को ओर ज्यादा बढ़ाना चाहती है। तब बो लोगों को शेयर बेचती है।

जिसमें लोगों को उस company का मालिकाना हक मिल जाता है। जैसे अगर company को profit हो रहा हो तो वह profit शेयर holders को भी होता है। और अगर company को नुकसार हुआ तो share holders को भी नुकसान होगा।

IPO क्या होता है

IPO क्यों लाया जाता है? इसके क्या कारण होते है?

कोई company IPO तब लाती है। जब कंपनी पैसे की जरूरत होती है। ताकि वह अपने काम को ओर ज्यादा बढ़ा सके। जैसे कि कोई company नया product लाना चाहती है। तो उसे लाने के लिए कंपनी को पैसा चाहिए होता है। तो फिर कंपनी IPO लाती है।

IOP लाने से company को फायदा होता है क्योंकि IPO लाने से जो भी पैसा आया होता है उसे वापिस नही करना होता है। यही इसका सबसे बड़ा कारण होता है।

IPO कितने प्रकार के होते हैं?

IPO को दो तरह से बाँटा जा सकता है। जिसके कारण उसकी कीमतों के निर्धारण किया जाता है।

  • फिक्स प्राइस इशू या फिक्स प्राइस आईपीओ (Fix price issue and Fix price IPO).
  • बुक बिल्डिंग इशू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book bilding issue and Book bilding IPO).

फिक्स प्राइस इशू या फिक्स प्राइस आईपीओ (Fix price issue and Fix price IPO).

IPO जारी करने वाली company कभी भी डारेक्ट IPO इशू नही करती सबसे पहले वह investment bank के साथ बात करती हैं। investment bank के साथ meeting में company IPO का Price Decide करती है। उस decide किए गए Price को फिक्स प्राइस इशू या फिक्स प्राइस आईपीओ (Fix price issue and Fix price IPO). बोला जाता है। उस price पर कोई inverster खरीद सकता है। या IPO के लिए apply कर सकता है।

आईपीओ (ipo) क्या होता है - What is IPO in Share Market in Hindi

जब कोई कंपनी को धन की आवश्यकता होती है तब उसके पास दो रास्ते होते है । पहला रास्ता यह है कि वो कंपनी किसी बैंक के पास कर्ज ले । दूसरा रास्ता यह है कि वह IPO क्या होता है? कंपनी अपना आईपीओ (IPO) से जनता से धन जुटाए । जिसमें लोगों के द्वारा उस आईपीओ में हिस्सेदारी लेने के बदले कंपनी पैसा लेगी और उससे अपनी कंपनी के ज़रूरी काम आगे बढ़ा सकेगी ।

  • आईपीओ (ipo) में lot size क्या होता है ?

आईपीओ में lot size का महत्व यह है कि उसके एक फिक्स संख्या तय कि गई होती है । मतलब कि , निवेशकों को आईपीओ अप्लाई करते वक्त उस लोट साइज़ के मुताबिक आईपीओ लेना पड़ेगा । अपनी मर्ज़ी के हिसाब से नहीं लिया जा सकता है ।

IPO लॉन्च की Process क्या है ?

एक निजी कंपनी को Public होने के लिए कई कदम उठाने पड़ते हैं। जो निम्न है :

पहला कदम एक Investment Bank को एक हामीदार के रूप में चुनना है। यहां, एक Investment Bank की भूमिका कंपनी को विभिन्न विवरण स्थापित करने में मदद करना है।
उद्धरण के तौर पर माने :

  • Company को कितना Fund जुटाने की उम्मीद है
  • Securities के प्रकार की पेशकश की जाएगी
  • प्रति शेयर Starting Price
    एक बड़े IPO के लिए, कई Investment Bank शामिल हो सकते हैं। संक्षेप में में कहा जाए तो – Investment Bank , IPO प्रक्रिया में सूत्रधार के रूप में कार्य करते हैं।

Red Herring Prospectus बनाना :

IPO Process का अगला चरण ‘Red Herring Prospectus बनाना है। यह अंडरराइटर्स की मदद से किया जाता है। Prospectus में Financial Records , कंपनी के लिए भविष्य की योजनाएं, Market में संभावित Risk और Expected Share Price Range (अपेक्षित शेयर मूल्य सीमा) जैसे विभिन्न खंड (Sections) शामिल हैं। कई बार, हामीदार Red Herring Prospectus बनाने के बाद संभावित Institutional Investors (संस्थागत निवेशकों) को आकर्षित करने के लिए Road Show पर जाते हैं।

Prospectus Securities and Exchange Board of India (SEBI) को प्रस्तुत किया जाता है। यदि SEBI संतुष्ट है, तो वह Initial Public Offering (IPO) प्रक्रिया को हरी झंडी देता है। इसके अलावा, यह IPO के लिए एक तारीख और समय भी देता है। लेकिन अगर SEBI संतुष्ट नहीं है, तो यह Public Investors के साथ Share Prospectus करने से पहले बदलाव करने के लिए कहता है।

IPO Full Form In Hindi

IPO यानि Initial public offering या आसान हिंदी में कहें तो प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निजी कंपनी अपने शेयरों की बिक्री आम जनता को सार्वजनिक तौर पर कर सकती है यह एक नई, युवा कंपनी या एक पुरानी कंपनी हो सकती है जो एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने का फैसला करती है और इसलिए यह सार्वजनिक हो जाती है। यहाँ किसी कंपनी के सार्वजनिक होने या पब्लिक होने का मतलब है कि अब इस कंपनी के शेयर आम लोगों को जारी किये जा सकते हैं और ये लोग इन्हें शेयर बाजार में खरीद और बेच सकते हैं।

IPO क्या है

IPO क्या है

IPO की सहायता से कंपनियां सार्वजनिक रूप से नए शेयर जारी करके इक्विटी पूंजी बढ़ा सकती हैं या मौजूदा शेयरधारक कंपनी की पूंजी बढ़ाये बिना अपना शेयर जनता को बेच सकते हैं। सरकार भी आईपीओ के द्वारा पब्लिक सेक्टर कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी पब्लिक को बेच सकती है। यदि कंपनी अपना बिजनेस बढ़ाना चाहती है तो लोन लेने के बजाये आईपीओ पूँजी जुटाने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। मगर इसके लिए प्रोमोटरों में यह आत्मविश्वास भी होना चाहिए कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी से ऐसा व्यवसाय कर पाएगी कि उस बढ़ी हुई पूँजी पर बेहतर रिटर्न दे पाए। पूँजी जुटाने के बाद इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि बढ़ी पूँजी की मदद से कंपनी की ग्रोथ कई गुना बढ़ जायेगी। IPO फेस वैल्यू पर भी हो सकता है और प्रीमियम वैल्यू पर भी।

IPO शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए ज़रूरी

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी जो कि अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है और उसकी पूँजी एक करोड़ रुपये है। अब कंपनी अपनी IPO क्या होता है? पूँजी को बढ़ा कर दस करोड़ करना चाहती है। कंपनी नौं करोड़ रुपये का IPO ले कर आएगी। इसका मतलब हुआ की IPO के बाद कंपनी के प्रमोटरों के पास एक करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास उस कंपनी के नौं करोड़ रुपये के शेयर होंगे।

एक और उदाहरण लेते हैं। मान लीजिये कि एक कंपनी की पूँजी दस करोड़ रुपये है और सभी शेयर प्रमोटरों के पास हैं। अब प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी को पचास प्रतिशत कम करना चाहते हैं तो वे IPO द्वारा ऐसा कर सकते हैं। इस उदहारण में IPO के बाद प्रमोटरों के पास पांच करोड़ रुपये के और पब्लिक के पास भी पांच करोड़ रुपये के शेयर होंगे। पहले उदाहरण में नौं करोड़ रुपये कंपनी के पास जायेंगे और उसकी पूँजी एक करोड़ से बढ़ कर दस करोड़ हो जायेगी। दूसरे उदाहरण में पांच करोड़ कंपनी के प्रमोटरों के पास जायेंगे और कंपनी की पूँजी IPO के बाद भी दस करोड़ ही रहेगी।

सेकेंडरी मार्किट

जो कंपनी IPO क्या होता है? अपने शेयरों की पेशकश करती है उसे ‘जारीकर्ता’ यानी इशुअर कहा जाता है। कम्पनियां अपना IPO निवेश बैंकों की मदद से जारी करतीं है। IPO के बाद कंपनी के शेयरों का खुले बाजार में कारोबार होता है उन शेयरों को सेकेंडरी मार्किट के माध्यम से निवेशकों द्वारा ख़रीदा और बेचा जा सकता है। यहाँ यह जानकारी दे दें की आईपीओ में शेयर की बिक्री को प्राइमरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है और सूचीबद्ध होने के बाद शेयर मार्किट में शेयरों की बिक्री को सेकेंडरी मार्किट में बिक्री कहा जाता है।

आईपीओ जारी करने वाली कंपनी इसके लिए प्रॉस्पेक्टस prospectus जारी करती है। निवेश से पहले इसे सावधानी पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। प्रॉस्पेक्टस में कंपनी और IPO के बारे में सारी जानकारी दी जाती है। इसे पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि कंपनी बढ़ी हुई पूँजी का प्रयोग कहाँ करेगी। इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि कंपनी अपनी बढ़ी हुई पूँजी से बेहतर रिटर्न जुटा पाएगी या नहीं। निवेश करने से पहले प्रोमोटरों का पिछला रिकार्ड भी देखिये और आईपीओ पर विशेषज्ञों की राय भी जानिये।

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