ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश

कोलकाता. बुलबुल चक्रवात से प्रभावित लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार आगे आये. इस बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगायी है. उन्होंने कहा कि केंद्र के आर्थिक पक्षपात के कारण चक्रवात से प्रभावित लोगों की मदद करने में राज्य सरकार को दिक्कत आ रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय कर वसूली में कमी के कारण राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है.
स्टॉक निवेशकों को डीमैट और ट्रेडिंग खाते का उपयोग जारी रखने के लिए 31 दिसंबर से पहले केवाईसी अपडेट करना होगा
भारत में एक आबादी ऐसी है जो शेयर मार्केट में निबेस करती है, हलाकि शेयर मार्केट में निबेस करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरुरी है। अगर आप भी निबेस करते है तोह ये खबर आपके लिए बहत जरुरी है। दरअसल सेबी की निर्देश की मुताबिक डीमैट अकाउंट की केवाईसी 31 दिसंबर 2021 तारीख तक करना जरुरी है। अगर आप 31 दिसम्बर से पहले केवाईसी नहीं करबाती, तोह आपको कोई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश है। यहाँ तक की आपका अकाउंट बंद भी हो सकता है।
ट्वीट करते हुए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) कहता है, “सभी निवेशकों से अनुरोध है कि वे ध्यान दें कि नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार, छह केवाईसी विशेषताएं, जैसे नाम, पैन, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और आय सीमा को अनिवार्य कर दिया गया है। अपना केवाईसी अपडेट करें अन्यथा आपका डीमैट और ट्रेडिंग खाता निष्क्रिय कर दिया जाएगा।”
स्टॉक लिमिट की रिपोर्ट्स से चीनी की कीमतों में आई नरमी
[ जयश्री भोसले | पुणे ]
हाजिर और वायदा बाजार में बुधवार को चीनी की कीमतों में गिरावट आई। शुगर प्राइसेज में यह कमजोरी उन रिपोर्ट्स से आई है, जिनमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए राज्यों को इस कमोडिटी पर स्टॉक लिमिट लगाने का निर्देश दिया है। पिछले दो दिनों में चीनी की होलसेल कीमतों में करीब 3 फीसदी की तेजी आई थी, लेकिन बुधवार को इसके दाम सोमवार सुबह के स्तर पर पहुंच गए।
बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक जैन का कहना है, 'अगर सरकार स्टॉक लिमिट लगाती है तो शॉर्ट टर्म में चीनी की कीमतों में दबाव देखने को मिलेगा।' ट्रेडर्स का मानना है कि लॉन्ग टर्म में दालों की कीमतों की तरह शुगर प्राइसेज में मजबूती का रुख बना रहेगा। कुछ ट्रेडर्स का कहना है कि अगर सरकार चीनी की कीमतों में नियंत्रण चाहती है तो इसे मिलों की तरफ से की जाने वाली शुगर सेल को कंट्रोल करना चाहिए। एक ट्रेडर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'चीनी मिलें आने वाले समय में दाम बढ़ने की उम्मीद में स्टॉक होल्डिंग कर रही हैं। बेहतर सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार को शुगर की मिल-स्तर पर होने वाली सेल को कंट्रोल करना चाहिए।' स्टॉक लिमिट्स की खबर आने के बाद नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) में बुधवार को चीनी के मई वायदा पर 4 फीसदी का लोअर सर्किट लगा और इसके दाम 3,385 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए। मंगलवार को मई वायदा 3,526 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर बंद हुआ था। जियोफिन कॉमट्रेड की रिसर्च एनालिस्ट पल्लवी मुन्नाकर का कहना है, 'नोटिफिकेशन आने के बाद ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश चीनी की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।' ICRA की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले नौ महीने में चीनी की कीमतों में 37 फीसदी का उछाल आया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'जुलाई 2015 में चीनी की कीमतों के तीन साल के निचले स्तर 23,000 रुपये/एमटी तक पहुंचने के बाद अगस्त 2015 से इसमें तेजी का रुझान बना है। स्टॉक क्लीयरेंस, एक्सपोर्ट्स और महाराष्ट्र में गन्ने का प्रॉडक्शन कमजोर रहने के कारण चीनी के दाम में तेजी आई है।'
अरहर समेत इन दो दालों के भाव में इजाफा, तो सरकार ने कमोडिटी की कीमतों पर सख्त निगरानी के दिए निर्देश
सरकार ने जल्द से जल्द 3 प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है. दरअसल सरकार द्वारा ये फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि दालों की डिमांड और सप्लाई में अंतर और महंगाई देखी गई है. जिन दालों को शुल्क मुक्त आयात करने का फैसला किया है, वो अहरर, मूंग व उड़द हैं.
अरहर समेत इन दो दालों के भाव में इजाफा, तो सरकार ने कमोडिटी की कीमतों पर सख्त निगरानी के दिए निर्देश
सरकार ने जल्द से जल्द 3 प्रमुख दालों (Pulses) के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है. दरअसल सरकार द्वारा ये फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि दालों (Pulses) की डिमांड और सप्लाई में अंतर और महंगाई देखी गई है. जिन दालों (Pulses) को शुल्क मुक्त आयात करने का फैसला किया है, वो अहरर (Arhar), मूंग (Moong) और उड़द (Udad) हैं. दाल के आयात को लेकर सरकार ने ये फैसला 3 साल बाद सुनाया है. आयात नीति में अरहर, मूंग और उड़द को प्रतिबंधित सूची से मुक्त सूची में रख दिया गया है. इस फैसले के बाद घरेलू बाजारों में बढ़ती दालों (Pulses) की कीमतों पर लगाम लगाई जा सकेगी.
सब्जियों की बढ़ी कीमत, मुख्यमंत्री नाराज
कोलकाता : सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. गुरुवार को मुख्यमंत्री ने नवान्न में टास्क फोर्स की बैठक कर तुरंत कीमतों पर लगाम लगाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में बिचौलियों और जमाखोर अगर इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. नवान्न में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृषि विपणन, कृषि, पंचायत, मत्स्य, पुलिस, एसटीएफ, सीआइडी व ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक में राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश उपस्थित थे.
बैठक के बाद सुश्री बनर्जी ने स्वीकार किया कि चक्रवाती तूफान बुलबुल के कारण सब्जियों की कीमत बढ़ने लगी है. कुछ समाज विरोधी लोग किसान से सब्जी खरीद रहे हैं और उन्हें चार गुना अधिक कीमत पर बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि चक्रवात में कुछ सब्जियां नष्ट हो गयी हैं. प्याज की किल्लत है. केंद्र सरकार बाहर से प्याज आयात कर रही है. राज्य सरकार का नाफेड के साथ समझौता हुआ था. इसमें 25 रुपये की दर से प्याज बिक्री की बात हुई थी, लेकिन वह समझौता उल्लंघन कर रहा है.
रेत की कीमतों में लगी आग: अब तक की सबसे ऊंची कीमत, माफियाओं के पास अवैध स्टॉक फिर भी जांच नहीं
वर्तमान में 600 फीट गाड़ी में 10-12 रुपए प्रति फीट के हिसाब से रेत की कीमत 6000 रुपए से 7200 रुपए लोडिंग पड़ रही है, वहीं रॉयल्टी अलग से। रॉयल्टी की कीमत 500 रुपए से बढ़कर 3500 रुपए तक पहुंच चुकी है। इस मामले में अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है।
रायपुर. प्रदेश में रेत की कीमतों में आग लग चुकी है। एक तरफ जब अन्य बिल्डिंग मटेरियल्स की कीमतें स्थिर है, वहीं दूसरी तरफ रेत की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से यह आम लोगों से दूर होता नजर आ रहा है। रेत की कीमतें 2200 रुपए की जगह अब 9 से 10 हजार रुपए गाड़ी (600 वर्गफीट) तक पहुंच चुका है।