ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है

उपलब्धता एक और लाभ है, जहां लोग उन उत्पादों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं जो घरेलू खुदरा चैनलों के माध्यम से उपलब्ध नहीं हैं।
FATF and Pakistan: सरल भाषा में जानिए क्या है ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट, आखिर इससे क्यों चिंतित है पाकिस्तान? एक्सपर्ट व्यू
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अविश्वास प्रस्ताव का संकट है उधर दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास लाने पर अड़ा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अविश्वास प्रस्ताव का संकट है, तो दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर अड़ा है। इससे इमरान सरकार को खतरा उत्पन्न हो गया है। उधर, इस महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग की बैठक से पहले पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट में खिसकने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि पाकिस्तान पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि ग्रे लिस्ट के बाद पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट की संभावना क्यों बढ़ गई। इसके पीछे क्या है बड़े कारण। एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान के पास क्या है विकल्प।
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि इमरान सरकार पाकिस्तान में सक्रियआतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। इमरान सरकार ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठनों के सामने घुटने टेक दिए हैं। पाकिस्तान सरकार के हाल के फैसलों से एफएटीएफ के आदेशों का उल्लंघन होने की संभावनाएं हैं। प्रो पंत का कहना है कि पाकिस्तान टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लांड्रिंग को लेकर पाकिस्तान को खुद सबूत देने होंगे। पिछले वर्ष अक्टूबर में एफएटीएफ ने बिल्कुल साफ किया था कि पाकिस्तान सरकार खुद साबित करे कि उसने क्या कार्रवाई की है।
2- इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से पाकिस्तान सरकार ने अब तक 30 पर ही कार्रवाई की है। बाकी के चार अहम बिंदुओं को उसने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में उसके ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्ती से ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है अमल करने को कहा था।
3- प्रो पंत का कहना है कि ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। एफएटीएफ इसकी मानिटरिंग करता है। कुल मिलाकर आप इसे ‘वार्निंग विद मानिटरिंग’ कह सकते हैं। ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मानेटरी एजेंसी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। इसके अलावा व्यापार में भी दिक्कत होती है।
4- अगर किसी मुल्क के खिलाफ जब सबूतों से यह प्रमाणित हो जाता है कि उक्त देश से टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग हो रही है। इसके बाद एफएटीएफ उक्त मुल्क को एलर्ट जारी करता है। आतंकी संगठनों पर उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद उक्त देश को पहले ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है, इसके बाद लगातार उल्लंघन की स्थिति में उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल एजेंसी आर्थिक मदद नहीं देती। इसके अलावा मल्टी नेशनल कंपनियां भी उस देश से अपना कारोबार समेट ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है लेती हैं। रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।
ग्रे लिस्ट और पाकिस्तान
पाकिस्तान 2008 में पहली बार ग्रे लिस्ट हुआ। 2009 में यह ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ था। 2012 पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। 2016 में इससे निकल पाया। वर्ष 2018 में फिर ग्रे लिस्ट में आया। वर्ष 2021 अब तक इसी लिस्ट में शामिल हुए। जी-7 देशों की पहल पर 1989 में स्थापना हुई । पेरिस में हेडक्वार्टर साल में तीन बैठक होती है। इस 39 सदस्य। भारत 2010 में इसका मेंबर है। 1990 में पहली ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है बार सिफारिशें लागू हुई। 1996 से 2012 तक चार अपडेट हुए।
इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी, ग्रे लिस्ट में शामिल होना तय, ब्लैक लिस्ट का खतरा, जानें-एक्सपर्ट व्यू
FATF की ग्रे लिस्ट से निकलने को बेचैन पाकिस्तान को अभी और इंतजार करना होगा। आखिर क्या है ग्रे लिस्ट। पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर आने को क्यों है बेचैन। ग्रे लिस्ट में रहने से पाक को क्या है नुकसान।
नई दिल्ली/इस्लामाबाद, आनलाइन डेस्क। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से निकलने को बेचैन पाकिस्तान को अभी और इंतजार करना होगा। यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान को अगले वर्ष अप्रैल तक ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा। गौरतलब है कि मंगलवार से शुरू हुई एफएटीएफ की बैठक गुरुवार तक जारी रहेगी। इस बैठक पर भारत की भी नजर है। आखिर क्या है ग्रे लिस्ट। पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर आने को क्यों है बेचैन। ग्रे लिस्ट में रहने से पाक को क्या है नुकसान।
पाक को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का एक और मौका
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि एफएटीएफ की अब अगली बैठक अप्रैल, 2022 में होगी। मतलब साफ है कि पाकिस्तान को इस ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए अभी कम से कम छह महीने इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान के लिए राहत की बात यह है एफएटीएफ ने उसे ब्लैक लिस्ट में नहीं डाला है। यानी पाकिस्तान को सुधरने के लिए उसे एक मौका और दिया जा रहा है। इमरान सरकार के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि इस दौरान वह यह सिद्ध करे कि वह आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अगर पाक की कथनी और करनी में अंतर नहीं दिखा तो 2022 में वह ब्लैक लिस्ट में भी शामिल हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के लिए बड़ा संकट होगा।
एक्शन प्लान की शर्तों को पूरा नहीं कर रहा पाक
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। पाकिस्तान को एक एक्शन प्लान पर अमल के लिए कहा गया था। इस एक्शन प्लान में पाकिस्तान 28 में से 26 शर्तें पूरी कर चुका है, लेकिन बकाया दो शर्तें वह पूरा नहीं कर सका है। खास बात यह है कि यह दोनों शर्तें काफी अहम हैं। इसके चलते उसे आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन यूनियन से किसी तरह का कर्ज नहीं मिल पा रहा है। इमरान सरकार चीन तुर्की और मलेशिया की मदद से इस ग्रे लिस्ट से बाहर आना चाहती है, लेकिन भारत अमेरिका और फ्रांस के आगे इन देशों की चलती नहीं है।
ग्रे लिस्ट और पाकिस्तान
भारत यह कहता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादी समूहों की मदद करता रहा है। वर्ष 2008 में दुनिया के सामने पाकिस्तान पहली बार तब बेनकाब हुआ, जब वह ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। हालांकि, वर्ष 2009 में वह इस लिस्ट से बाहर आ गया, लेकिन उसने आतंकवादियों को मदद करना जारी रखा। इसके चलते एफएटीएफ ने उसे दोबारा 2012 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया। एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंक कर वह फिर 2016 में बाहर निकल गया। दो वर्ष बाद 2018 में एक बार फिर वह ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ और उसके बाद से वह इस लिस्ट से निकलने को बेताब है। वह लगातार आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है।
आखिर क्या है ग्रे लिस्ट
एफटीएएफ के ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। एफएटीएफ इसकी मॉनिटरिंग करती है। अगर इन देशों में सुधार सामने आता है तो उनको इस लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है। इस लिस्ट में शामिल देशों को सबसे बड़ी दिक्कत कर्ज लेने में आती है। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मॉनेटरी बॉडी या किसी देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। उक्त देशों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी प्रभावित होता है।
आखिर क्या है ब्लैक लिस्ट
एफटीएफ में जब यह साबित हो जाता है कि कोई देश टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। इसके नतीजे ग्रे लिस्ट से ज्यादा खतरनाक होते हैं। ब्लैक लिस्ट में डाले गए देशों को आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद कतई नहीं करती। ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों से मल्टीनेशनल कंपनियां कारोबार समेट लेती है। रेटिंग एजेंसीज नेगेटिव लिस्ट में डाल देती है। कुल मिलाकर ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।
काले बालों के साथ ट्राई करें ये लोलाइट्स कलर, मिलेगा क्लासी लुक
आजकल हर कोई यही चाहता है कि उसके लुक, ड्रेसिंग सेंस या फिर पर्सनालिटी में समय-समय पर बदलाव आता रहे। इसलिए खासतौर पर महिलाएं अपने लुक को बदलने के लिए तरह-तरह के मेकअप, नए आउटफिट्स और न्यू हेयरस्टाइल ट्राई करती हैं।
कई महिलाएं हेयर कलरिंग या हाइलाइट भी करवाती हैं क्योंकि हेयर कलर पर्सनालिटी को एक नया लुक देने का काम करता है। आजकल वैसे भी बालों को कलर करने के ढेर सारे ऑप्शन हमारे पास मौजूद हैं, लेकिन इस बार आप अपने बालों पर लोलाइट्स ट्राई करके देखें।
खासकर वो महिलाएं जिनके काले बाल हैं क्योंकि लोलाइट्स के कई कलर काले बालों को क्लासी लुक देने का काम करते हैं। अगर आपके भी काले बाल हैं तो यकीनन इस लेख में बताए गए कलर आपको जरूर पसंद आएंगे।
ग्रे विद ब्लैक हेयर लोलाइट्स
अगर आपके बाल लंबे हैं तो आप ग्रे लोलाइट करवा सकती हैं। यह कलर पिछले साल से बहुत ट्रेंड में है। हालांकि, ज्यादातर लड़कियां अपने बालों पर ग्रे लोलाइट के साथ गोम्बे हेयर कलर करवा रही हैं। अगर आप भी अपने बालों को लोलाइट के साथ डबल शेड दे रही हैं, तो आपके लिए यह कॉम्बिनेशन बेस्ट है। आप बालों पर डार्क ग्रे लोलाइट भी करवा सकती हैं।
रानी विद ब्लैक हेयर लोलाइट्स
आजकल बाजार में बालों को हाइलाइट या लोलाइट करने के लिए ढेरों विकल्प मौजूद हैं। आप लोलाइट का चुनाव अपने बालों के कलर की मैचिंग के हिसाब से कर सकती हैं, लेकिन अगर आप अपने बालों को खूबसूरत और एक नेचुरल लुक देना चाहती हैं तो अपने बालों पर पहले जेट ब्लैक कलर करें।
इसके बाद रानी कलर की लोलाइट करवा लें। यह कलर न सिर्फ आपके सफेद बालों को छिपाने का काम करेगा बल्कि आपके बालों को एक क्लासी लुक देगा।
लाइट ब्राउन विद ब्लैक हेयर लोलाइट्स
अगर आपके बाल सिल्की हैं तो लाइट ब्राउन की लोलाइट करवा बेस्ट ऑप्शन है। यह लोलाइट आपके बालों को एक स्टाइलिश और खूबसूरत लुक देने का काम करेगी। इसके साथ आप कोई भी आउटफिट्स पहन सकती हैं। ध्यान रहे यह कलर हल्के शैड में ही करवाएं, नहीं तो ओवर भी लग सकता है।
लाइट ऑबर्न विद ब्लैक हेयर लोलाइट्स
कई महिलाओं को डार्क हेयर कलर करवाना पंसद नहीं होता है। अगर आपको भी डार्क हेयर कलर करवाना नहीं पसंद है, तो लाइट ऑबर्न लोलाइट ट्राई कर सकती हैं। यह कलर न सिर्फ आपके बालों पर खूबसूरत लगेगा बल्कि आपको एक डिफरेंट लुक भी देगा। बता दें कि यह कलर शॉर्ट और लॉन्ग दोनों हेयर पर काफी अच्छा लगेगा।
लोलाइट्स हेयर का ऐसे ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है रखें ध्यान
- अपने बालों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाएं।
- ऐसे शैंपू का इस्तेमाल करें जो खासतौर पर कलर्ड बालों के लिए बनाए गए हों।
- ज्यादा हेयर हीटिंग मशीन यूज करने से बचें।
- अपने कलर्ड बालों को वॉश करने के लिए फिल्टर पानी का ही इस्तेमाल करें।
- आप अपने बालों को गर्म पानी से न धोएं।
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कोरोना या ब्लैक फंगस के लिए इंश्योरेंस लेने से पहले जान लें ये बातें, होगी आपके पैसे की बड़ी बचत
कोरोना की दूसरी लहर में इस बीमारी के शिकार लोगों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी भी तेजी से फैल रही है। ब्लैक के बाद व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आए हैं। कोरोना के इलाज को देखते हुए पिछले साल बीमा.
कोरोना की दूसरी लहर में इस बीमारी के शिकार लोगों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी भी तेजी से फैल रही है। ब्लैक के बाद व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आए हैं। कोरोना के इलाज को देखते हुए पिछले साल बीमा नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों ने कोरोना का कवर देने का निर्देश दिया था। हालांकि, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत कुछ श्रेणी में हर तरह का कवर शामिल है जिसमें कोरोना और ब्लैग फंगस भी शामिल है। लेकिन कुछ मामलों में इसका कवर आपको लेना पड़ता है।
कंप्रिहेंसिव पॉलिसी में कवर शामिल
बीमा विशेषज्ञों के अनुसार, कंप्रिहेंसिव स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में ब्लैक फंगस का इलाज शामिल होता है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है कंप्रिहेंसिव यानी वृहद् जिसमें ज्यादातर बीमारियों का कवर शामिल होता है। इसका प्रीमियम सामान्य पॉलिसी की तुलना में कुछ महंगा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय को देखते हुए बीमा कंपनी से जानकारी लें और पता करें कि आपकी पॉलिसी में कवर या नहीं।
कब लें अलग पॉलिसी
विशेषज्ञों का कहना है कि आपके पास कंप्रिहेंसिव स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है तो ब्लैक फंगस के लिए अलग से पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं होने पर जल्द से जल्द आपको इसके कवर के लिए पॉलिसी लेनी चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना के कवर के लिए कंपनियां अलग से भी विशेष प़ॉलिसी दे रही हैं जिसका चुनाव आप कर सकते हैं।
सरकारी बीमा पॉलिसी में मिल रहा कवर
यदि आपके पास प्रधानमंत्री जन्य आरोग्य बीमा पॉलिसी है तो कोरोना या ब्लैक फंगस के लिए अलग से प़ॉलिसी लेने की जरूरत नहीं है। इस सरकारी पॉलिसी में कोरोना का 1.50 लाख रुपये तक कवर शामिल है। इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ज्योतिराव फुले जन्य आरोग्य बीमा योजना में भी 1.50 लाख रुपये तक का कवर दे रही है।
ग्रे मार्केट पर सस्ते फोन कैसे खरीदें
प्रौद्योगिकी एक सांस्कृतिक क्रांति के दौर से गुजर रही है, जिसमें कई गैजेट कट्टरपंथी 'ग्रे मार्केट' पर उपलब्ध सस्ते, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विकल्पों के पक्ष में कला के राज्य से दूर, उच्च अंत प्रौद्योगिकी हैं।
हालांकि, ग्रे मार्केट वेबसाइटों की विश्वसनीयता पर चिंताएं हैं, जहां खरीदार आश्चर्यजनक रूप से सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद पा सकते हैं।
उत्पादों की वैधता पर सवाल निराधार नहीं हैं, क्योंकि कई उपयोगकर्ता अनुभवों ने वास्तविक सौदे के रूप में बेचे जाने वाले अत्यधिक ठोस नकली की खोज को विस्तृत किया है।
लेकिन उपयोगकर्ताओं को काफी कम कीमतों पर प्रामाणिक उत्पादों को याद किया जा सकता है। शुक्र है, DESIblitz ग्रे मार्केट पर ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है खरीदने के पेशेवरों और विपक्षों के माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए यहां है।
ग्रे मार्केट क्या है?
ब्लैक मार्केट के लिए अपनी व्युत्पत्ति की समानता के बावजूद, प्रसिद्ध ऑफ-द-ग्रिड कुछ भी बाजार में जाता है जहां लोग ड्रग्स, हथियार और अन्य अवैध सामग्री खरीद सकते हैं, ग्रे मार्केट अवैध नहीं है।
बल्कि, ग्रे मार्केट एक ऑनलाइन चैनल है जो अनधिकृत वितरकों को सामान खरीदने और बेचने की सुविधा देता है जो सामान्य रूप से यूके में उपलब्ध नहीं होते हैं।
ऐसे उत्पाद जो चीन और एशिया के लिए अनन्य हैं, आप ग्रे मार्केट में भारी रियायती दर पर अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद पा सकते हैं।
हालांकि इन उत्पादों को ब्रिटेन में बेचने का इरादा नहीं है, लेकिन ऐसा करना अवैध नहीं है।
क्या ग्रे मार्केट पर खरीदना एक अच्छा विचार है?
ग्रे मार्केट के बारे में बात करते समय कई सवाल उठते हैं। क्या यह कानूनी है? क्या ये असली उत्पाद हैं? क्या मेरे पार्सल इसे सीमा शुल्क के माध्यम से बनाएंगे? अगर मैं फट गया तो क्या होगा?
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ये वैध चिंताएं हैं, खासकर जंगली पश्चिम के संबंध में जो ऑनलाइन मार्केटप्लेस हैं, लेकिन शुक्र है कि ये ऐसे सवाल हैं जिनका आसानी से जवाब दिया जा सकता है।
वैधता का मुद्दा आपके देश के स्वयं के आयात सीमा शुल्क कानूनों के अनुसार है, लेकिन अधिकांश मामलों के लिए ग्रे मार्केट के माध्यम से तकनीक आयात करते समय कोई कानूनी मुद्दे नहीं हैं।
अधिकांश ग्रे मार्केट खुदरा विक्रेताओं के लिए, जैसे Coolicool और गीक खरीदप्रस्ताव पर उत्पाद कानूनी रूप से सही हैं, लेकिन यह हमेशा आपके देश के आयात कानूनों की जाँच करने के लायक है।
ग्रे मार्केट पर खरीदने के फायदे
इस तरह से तकनीक खरीदने के दो प्रमुख लाभ हैं: मूल्य और उपलब्धता।
कोई भी यह तर्क नहीं दे सकता था कि सस्ता होने के लिए स्मार्टफ़ोन या टैबलेट प्राप्त करना एक बुरी बात है, और अक्सर इन उत्पादों को महत्वपूर्ण छूट पर खरीदा जा सकता है।
इसका ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है कारण बिक्री के इच्छित क्षेत्र के लिए नीचे आता है। यूएस और यूके में बेचे जाने वाले उत्पाद विनिमय दरों के कारक होने पर भी अलग-अलग कीमतों पर दिखाई देते हैं क्योंकि इन देशों में अलग-अलग बिक्री कर कानून हैं।
यूके में टेक आधारित उत्पाद उत्पाद के कुल मूल्य के 20% पर मूल्य वर्धित कर के अधीन हैं। दूसरी ओर, भारत में वैट है जो 5% -15% से कहीं भी क्षेत्र में भिन्न होता है।
हालांकि सीमा शुल्क में विचरण को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
सीमा शुल्क शुल्क कई कम करने वाले कारकों पर निर्भर करते हैं, लेकिन आप पाएंगे कि कई वितरक वेबसाइटें, विशेष रूप से कूलिकूल, यूरोपीय संघ के देशों में गोदाम हैं, सीमा शुल्क की लागत को कम करते हैं।
यदि आपकी पसंद का वितरक EU क्षेत्र के बाहर है तो माल की लागत के शीर्ष पर आयात वैट के कुछ रूप का भुगतान करने की उम्मीद है।
उपलब्धता एक और लाभ है, जहां लोग उन उत्पादों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं जो घरेलू खुदरा चैनलों के माध्यम से उपलब्ध नहीं हैं।
यदि आप प्रतिस्पर्धी चश्मे के साथ एक सस्ते स्मार्टफोन की तलाश में हैं, तो अक्सर आपका सबसे अच्छा विकल्प ग्रे मार्केट वेबसाइटों के माध्यम से खरीदना होता है, जिनके पास चीनी और दक्षिण एशियाई निर्माताओं जैसे कि हुआवेई, श्याओमी और उमी के उपकरणों तक पहुंच होती है।
यदि आप ग्रे मार्केट से खरीदारी करते हैं तो क्या देखना है
नॉक-ऑफ उत्पाद ऑनलाइन ग्राहकों के लिए एक समस्या है। कुछ खुदरा विक्रेताओं, जैसे कि कूलिकूल, यह विश्वास दिलाता है कि उनके सभी उत्पाद 100% प्रामाणिक हैं, लेकिन अक्सर नकली भी उत्सुक प्रेक्षक को चकमा दे सकते हैं।
अक्सर आप यह नहीं बता पाएंगे कि उत्पाद तब तक नकली है जब तक आप इसे प्राप्त नहीं करते हैं, और ग्रे मार्केट खुदरा विक्रेताओं की वापसी नीति के साथ लगभग गैर-मौजूद है, यह एक महंगी गलती हो सकती है।
अनौपचारिक खुदरा विक्रेताओं से खरीदारी करते समय आपको कई चीजें देखनी चाहिए।
कीमत एक बड़ी है। जबकि ऑनलाइन खरीदने का मुख्य लाभ कम कीमत पर आइटम प्राप्त करने की क्षमता है, आप उन सौदों पर ठोकर खा सकते हैं जो सच होना बहुत अच्छा लगता है। सुनिश्चित करें कि आप कुछ सौदों को देखते हुए मूल्य निर्धारण की तुलना करते हैं।
उदाहरण के लिए, सैमसंग गैलेक्सी एस 7, आमतौर पर £ 600- £ 700 के लिए ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है रिटेल करता है, हालांकि आप कुछ बिंदु पर लाइन को सस्ता के लिए पाएंगे।
यदि आप एक रिटेलर को एक के लिए £ 200- £ 300 चार्ज करते हुए पाते हैं, तो संभावना है कि यह काफी कम निर्मित गुणवत्ता के साथ एक दस्तक है।
रिटेलर द्वारा सूचीबद्ध स्पेसिफिकेशन्स के साथ लिस्टेड स्पेसिफिकेशन्स को चेक करने के लिए एक और आसान ट्रिक है। कोई भी विसंगतियां यह संकेत दे सकती हैं कि रिटेलर उत्पाद के बारे में झूठ बोल रहा है।
सुरक्षित और जिम्मेदार ऑनलाइन शॉपिंग
अंततः ग्रे मार्केट वेबसाइटें अमेजन जैसी मुख्यधारा की साइटों के समान विश्वसनीय हैं। यदि आप सतर्क हैं और पहले से कुछ पढ़ रहे हैं, तो आप उच्च स्तरीय तकनीक पर एक अविश्वसनीय सौदा प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
उत्पादों को आम तौर पर अच्छी तरह से पैक किया जाता है, और कुछ ग्राहकों को आयात शुल्क के साथ संघर्ष करना होगा, अधिकांश साइटें मुफ्त शिपिंग प्रदान करती हैं।
हालांकि, यदि आप अच्छे सौदे और कम जोखिम की तलाश में हैं, तो कई निर्माता सीधे अपनी वेबसाइट से बेचते हैं। उदाहरण के लिए, चीनी स्मार्टफोन कंपनी वनप्लस £ 200- £ 300 के लिए कस्टम एंड्रॉइड ओएस के साथ उच्च अंत वाले स्मार्टफोन पेश करती है।
जब तक आप कुछ शोध करते हैं, ग्रे मार्केट सस्ती तकनीकी खरीद के लिए एक अमूल्य उपकरण हो सकता है। यदि संदेह में है, तो एक विशेषज्ञ से परामर्श करें। यह एक बड़ी खरीद करने से पहले आंखों की दूसरी जोड़ी पाने के लिए चोट नहीं करता है।