अमीर कैसे बने?

सीनियर सिटीजन के लिए, एफडी रेट वर्तमान में प्रति वर्ष लगभग 7.5 प्रतिशत अमीर कैसे बने? है. तो, प्रति माह 50,000 रुपये या प्रति वर्ष लगभग 6 लाख रुपये प्राप्त करने के लिए, आपको लगभग 80 लाख रुपये का निवेश करने की जरूरत है.
दिल्ली MCD चुनाव में किसी भी पार्टी ने गैर हिंदी भाषी को टिकट नहीं दिया है
दिल्ली एमसीडी चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर | ANI
मिनी इंडिया का दर्जा हासिल कर चुकी देश की राजधानी दिल्ली सियासत में सबको बराबर का हक देने में नाकाम रही. उसके पास आगामी 4 दिसंबर को होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनावों में अपनी छवि को उजला करने का मौका था. वह अपने को बदल सकती थी. पर दिल्ली इस बार नहीं बदली. उसे यथास्थितिवादी रहना ही पसंद आता रहा. वह चाहती तो मुंबई की तरह समावेशी हो सकती थी. उसके पास अनुपम अवसर था बांग्ला, तमिल, मराठी, तेलुगू, गुजराती भाषियों को अपना नगर सेवक चुनने का.
भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 250 सदस्यों के निगम के सदन के लिए किसी गैर-हिन्दी भाषी को टिकट नहीं दिया. अफसोस कि इन्हें एक भी गैर-हिन्दी भाषी नहीं मिला जिसे ये अपना उम्मीदवार बना पाते. ये सब दिल्ली में दशकों से रह रहे हैं और इस महानगर को समृद्ध कर रहे हैं. इन सबने दिल्ली में दर्जनों श्रेष्ठ स्कूल खोले, जिनसे लाखों बच्चों ने पढ़ाई की और वे बेहतर नागरिक बने. ये दिल्ली के खेल, शिक्षा और बिजनेस जगत में भी अपनी छाप छोड़ते रहे हैं.
सबसे अमीर कौन
आमतौर पर माना जाता है कि दिल्ली में पैसा पंजाबियों और बनियों ने सबसे ज्यादा कमाया है. तमिल भाषी शिव नाडार इस सोच को ध्वस्त करते हैं. वे मूलरूप से तंजावुर जिले से हैं. शिव नाडार की नेटवर्थ- 14.3 बिलियन डॉलर है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिव नाडार राजधानी के सबसे धनी शख्स हैं. उन्होंने यहां आकर कुछ साल डीसीएम डाटा प्रोडक्ट्स में नौकरी की. उसे 1976 में छोड़कर एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की और एक गैराज से केलकुलेटर और माइक्रो प्रॉसेसर बनाने लगे. आगे चलकर उन्होंने एचसीएल टेक्नोलॉजी की स्थापना की.अब करीब आधा अमीर कैसे बने? दर्जन देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, करीब एक लाख पेशेवर उनके साथ जुड़े हैं.
दिल्ली-नोएडा में तो शिव नाडर के दफ्तरों की भरमार है. फिलहाल, एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स बेचकर होती है. शिव का बचपन अभावों में बीता. उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के लिए बड़े पापड़ बेले हैं. इसलिए वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा बेहतर स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान स्थापित करने में इनवेस्ट करना पसंद करते हैं. शिव ने दिल्ली से जितना लिया उससे ज्यादा वह इसे दे रहे हैं. उनसे मिलते-जुलते अनेक उदाहरण मिल सकते हैं. दिल्ली ने गैर-हिन्दी भाषियों को आगे बढ़ने के मौके दिए पर सियासत के संसार से दूर ही रखा.
सिर्फ हिंदी भाषियों को टिकट
अपने को राष्ट्रीय होने का दावा करने वाले दलों ने इस बार भी निकाय चुनाव में टिकट सिर्फ हिंदी भाषियों को ही दिये हैं. यहां पर पूर्वोतर राज्यों के लाखों लोगों की बात करना ही व्यर्थ है. उन्हें कौन दिल्ली की राजनीति में हक देता है. अब ये मत कहिए कि गैर-हिंदी भाषियों ने स्थानीय सियासत में अपना हक नहीं मांगा. वे मांगते रहे हैं, पर एक-दो उदाहरणों को छोड़कर उनके हिस्से में निराशा ही आई है.
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आप 1958 से लेकर, होने जा रहे नगर निगम चुनावों के इतिहास के पन्नों को खंगालिए. आप पाएंगे कि सिर्फ एक गुजराती भाषी यहां पर नगर निगम पार्षद बना. उनका नाम था शांति देसाई. वे मूल रूप से गुजरात से थे और दिल्ली की राजनीति में अपनी जगह बनाने में सफल रहे थे. वे 2000 में दिल्ली के मेयर भी रहे. वे इससे पहले दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भी थे. वे चांदनी चौक से नगर निगम का चुनाव लड़ते थे. शांति देसाई के अलावा कोई दूसरा गैर-हिंदी भाषी नगर सेवक नहीं मिलता.
ना पसीना बहाने की जरूरत है और ना ही बाहर जाने की इन खास नंबर के नोटों से आज ही बने अमीर जाने कैसे होगा ये करिश्मा
Special Number Notes :- ना पसीना बहाने की जरूरत है और ना ही बाहर जाने की इन खास नंबर के नोटों से आज ही बने अमीर,जाने कैसे होगा ये करिश्मा। पुराने नोट और सिक्के बेच कर कमा सकते हो लाखो रूपये जानिए इसकी पूरी प्रोसेस दुनिया में लोगों को अजीबो-गरीब चीजों को इकट्ठा करने का शौक होता है। ऐसा ही एक शौक होता है पुराने और एंटीक सिक्कों को कलेक्ट करना, पुराने सिक्कों को कलेक्ट करने का यह शौक कुछ लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। लोग इन पुराने सिक्कों के लिए लाखों रुपये तक देने को तैयार रहते हैं।
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इन नोटों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड There is a lot of demand for these notes in the international market.
आपकी जानकारी के लिए बता दे 786 सीरियल नंबर वाले नोट सभी किसी को चाहिए। इन नोटों की डिमांड इंटरनेशनल मार्किट में बहुत ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि इस्लाम लोग इस नंबर को काफी ज्यादा लकी मानते है और इसलिए वो इस नंबर वाले नोट को अपने पास रखना चाहते है। कहा तो ये भी जा रहा है कि ये संख्या सिर्फ इस्लाम के लिए ही नहीं बल्कि हिन्दुओं के लिए और साथ ही बाकी धर्मों के लिए भी काफी लकी है इसलिए लोग इस नोटों के लिए आपको मुँह मांगी रकम देने को तैयार रहते है।
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कहां बेचें 786 सीरियल नंबर वाले नोट Where to sell notes with serial number 786
आप eBay की वेबसाइट और coinbazzar.com वेबसाइट पर बेच सकते है। जानिए आपको इस खास नंबर के नोट को कैसे ऑनलाइन बेच सकते है आइये जानते है पूरी प्रोसेस।
Retirement Schemes: रिटायरमेंट के बाद भी मिलेंगे हर महीने 50 हजार रुपये, जानें आपके पास क्या हैं Investment ऑप्शन
पोस्ट रिटायरमेंट प्लान
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 29 नवंबर 2022,
- (Updated 29 नवंबर 2022, 6:37 PM IST)
हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है
हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है. ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर आप इसके बारे में सोचना शुरू कर दें. किसी भी व्यक्ति का पोस्ट रिटायरमेंट वाला समय और उसके कमाई के जीवन का समय बराबर होता है. इसलिए किसी व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी सर्विस की शुरुआत से ही रिटायरमेंट प्लान के बारे में सोचना शुरू कर दें. ताकि बिना ज्यादा तनाव लिए एक पोस्ट रिटायरमेंट अमाउंट इकठ्ठा हो सके. इसलिए, जितनी जल्दी आप रिटायरमेंट के लिए प्लान बनाकर इन्वेस्ट करना शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर होगा.अमीर कैसे बने?
मौजूदा समय की बात करें तो एक व्यक्ति को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रति माह कम से कम 50,000 रुपये की जरूरत होती है. हालांकि, अगर आप कुछ साल बाद ही रिटायर होने जा रहे हैं, तो हर साल से साथ मासिक आवश्यकता बढ़ती जाएगी. चलिए देखते हैं कि अलग-अलग इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत वर्तमान में 50,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की जरूरत होगी.
Gautam Adani interview to Financial Times: NDTV खरीदना हमारा दायित्व, सरकार सही करे तो उसे भी दिखाने का साहस होना चाहिए, प्रणय रॉय बने रहें चेयरमैन- बोले गौतम अडानी
गौतम अडानी (ANI PHOTO)
Gautam Adani’s interview to Financial Times: दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी (Gautam Adani) ने समाचार चैनल एनडीटीवी (NDTV) खरीदने को लेकर एक बयान दिया है। इसमें उन्होंने एनडीटीवी खरीद को ‘व्यावसायिक अवसर’ (Business Opportunity) से ज्यादा ‘दायित्व’ (Responsibility) बताया है। उन्होंने फाइनेंसियल टाइम्स (Financial Times) से इंटरव्यू में कहा कि नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (एनडीटीवी) को खरीदना व्यवसाय से अधिक जिम्मेदारी है। अडानी ने यह भी कहा कि प्रणय रॉय (Prannoy Roy) इसके चेयरमैन बने रहें, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।
NDTV डील के अगले चरण में पहुंचे गौतम अडाणी, कंपनी के शेयर हुए Adani Group को ट्रांसफर
Adani Group and NDTV Deal : पिछले कुछ दिनों से गौतम अडानी का नाम मीडिया हाउस न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के अधिग्रहण को लेकर लगातार सुर्ख़ियों में बना हुआ है। हालांकि, जब से वो भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने हैं। वह पहले ही चर्चा में रहने लगे थे, लेकिन बीते दिनों खबर आई थी कि, अडानी ग्रुप (Adani Group) के स्वामित्व वाली कंपनी के NDTV के अधिग्रहण करने की खबर सामने आई थी, तब से सभी की उत्सुकता इस खबर को लेकर और ज्यादा बढ़ गई थी, हर कोई जानना चाहता था कि, यह डील कितने में होगी और कैसे-कैसे हिस्सेदारी का बंटवारा होगा। वहीँ, अब खबर है कि, NDTV द्वारा कुछ प्रतिशत शेयर Adani Group को ट्रांसफर कर दिए गए हैं।