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इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है?

इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है?

इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है?

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Investment Tips : सोना है खरा निवेश, आपको भी करना है गोल्‍ड में इनवेस्‍टमेंट तो इन विकल्‍पों पर डालें नजर

बढ़ती महंगाई में सोना एक बढिया निवेश विकल्‍प है.

सोने में निवेश (Gold Investment) करने के बहुत से विकल्‍प हैं. सोने में निवेश के ये सभी साधन सोने की कीमत से ही जुड़े हुए . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 08, 2022, 12:38 IST

नई दिल्‍ली. बढ़ती महंगाई और शेयर बाजार (Stock Market) में आ रहे उतार-चढ़ाव से के कारण अब सोने में निवेश बढ़ रहा है. क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency) में आई भारी गिरावट से भी निवेशकों का रुख सोने (Gold) की ओर हुआ है. बढ़ती महंगाई में सोना एक बढि़या निवेश विकल्‍प है. भारत में सोने में निवेश (Gold Investment) के कई विकल्‍प उपलब्‍ध हैं. अगर आपका इरादा भी सोने में निवेश का है तो इस बात को जरूर ध्‍यान में रखें की सोने से शॉर्ट टर्म में रिटर्न की उम्‍मीद नहीं है. यह लॉन्‍ग टर्म में अच्‍छा लाभ देने वाला विकल्‍प है.

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्‍यत: महंगाई ज्‍यादा करेंसी के बाजार में आने का परिणाम है. अमेरिका और भारत सहित बहुत से देशों के केंद्रीय बैंकों ने कोरोना महामारी के दौरान अपनी ब्‍याज दरों को काफी कम कर दिया था. अब केंद्रिय बैंकों को बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए अपनी मौद्रिक नीति को फिर से कड़ा करना पड़ रहा है ताकि कैश फ्लो कम हो और इससे मांग में कमी आए तो महंगाई पर कुछ लगाम लगे. वहीं, दूसरी ओर सोने की आपूर्ति सीमित है. इसलिए जब लोग ज्‍यादा सोना खरीदते हैं तो इसके दाम चढ़ जाते हैं.

डेड एसेट है सोना
सोने को डेड एसेट कहा जाता है. इसमें किया गया निवेश बिजनेस से जुड़ा हुआ नहीं होता है. शेयरों में किया गया निवेश कंपनी के प्रॉफिट कमाने पर बढ़ता है. लेकिन सोने के साथ ऐसा नहीं है. सोने पर निवेशक को कोई डिविडेंड भी नहीं मिलता है. सोने पर कोई ब्‍याज भी नहीं मिलता है. कई बार ऐसा भी हुआ है कि सोने से लॉन्‍ग टर्म तक कोई रिटर्न हासिल नहीं हुआ है. वहीं इस दौरान स्‍टॉक मार्केट ने अच्‍छा रिटर्न दिया. उदाहरण के लिए वर्ष 2021 के बाद निफ्टी का 10.5 फीसदी सीएजीआर दिया है तो सोने का सीएजीआर 8.2 फीसदी रहा है.

सोने में निवेश के कई विकल्‍प
सोने में निवेश करने के बहुत से विकल्‍प हैं. आप सर्राफा बाजार से सोने के गहने, सोने के सिक्‍के या फिर बिस्किट खरीद सकते हैं. आप गोल्‍ड सेविंग फंड्स और गोल्‍ड एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) से सोने की यूनिट खरीद सकते हैं. इसके अलावा आप सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍डस (SGBs) में भी निवेश कर सकते हैं. सोने में निवेश के ये सभी साधन सोने की कीमत से ही जुड़े हुए हैं. लेकिन, हर एक का उद्देश्‍य अलग है. अगर आप सर्राफा मार्केट से सोने लेते हैं तो इसके आप गहने बनाकर पहन सकते हैं. जो लोग सोने में ट्रेड करना चाहते हैं उनके लिए ईटीएफ सही है. जो लोग सोने में दीर्घकालीन निवेश करना चाहते हैं उनके लिए सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड्स अच्‍छा विकल्‍प है, क्‍योंकि इसका लॉक इन पीरियड 8 साल का होता है.

क्‍या डिजिटल गोल्‍ड लेना सही है
पिछले कुछ सालों से कुछ फिनटेक कंपनियां डिजिटल गोल्‍ड खरीदने का ऑफर भी निवेशकों को दे रही हैं. डिजिटल गोल्‍ड किसी ऐप से खरीदा जाता है और पार्टनर कंपनी की तिजोरी में रहता है. लेकिन, यह अनरेगुलेटिड है. पिछले साल ही सेबी ने डिजिटल गोल्‍ड को लेकर कंपनियों पर सख्‍ती की थी, जिसके बाद इसको काफी धक्‍का लगा है. किसी भी तरह का रेगुलेशन न होने के कारण डिजिटल गोल्‍ड में निवेश बहुत रिस्‍की है.

कितना लगता है टैक्‍स?
अगर आप सर्राफा बाजार से सोना लेते हैं तो आपको इस पर 3 फीसदी की दर से वस्‍तु एवं सेवा कर चुकाना होता है. जीएसटी सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड्स और ईटीएफ पर लागू नहीं होता. अगर आप 3 साल बाद सोने को बेचते हैं और आपको लाभ होता है तो आपको उस पर कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स चुकाना पड़ता है. आपकी आय जिस टैक्‍स स्‍लैब में आती है, उसी अनुसार यह टैक्‍स लगता है. अगर आप सोना खरीदने के तीन साल से ज्‍यादा समय के बाद उसे बेचकर मुनाफा इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? कमाते हैं तो आपको उस पर 20 फीसदी की दर से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स देना होता है. कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स सर्राफा बाजार से खरीदे सोने और ईटीएफ पर चुकाना होता है. सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड्स से हुए मुनाफे पर यह टैक्‍स नहीं लगता है.

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Investment Tips: क्या आपका म्यूचुअल फंड निवेश नुकसान में है? तो जानिए अपनी कैपिटल बचाने के सटीक तरीके

म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक बेहतरीन इनवेस्‍टमेंट टूल है.

म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक बेहतरीन इनवेस्‍टमेंट टूल है.इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है?

ऐसे निवेशक जो कम जोखिम उठाकर इक्विटी मार्केट में निवेश (Investing In Equity Market) करना चाहते हैं उनके लिए म्‍यूचुअल फ . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 21, 2022, 12:29 IST

हाइलाइट्स

म्‍यूचुअल फंड के माध्‍यम से इक्विटी मार्केट में निवेश को अन्‍य तरीकों से ज्‍यादा जोखिमरहित माना जाता है.
बाजार में गिरावट के दौरान भी अगर निवेशक निवेश बरकरार रखता है तो उसे लॉन्‍ग टर्म में फायदा होता है.
नुकसान से बचने के लिए निवेश में विविधता होनी आवश्‍यक है.

नई दिल्‍ली. जब आप इक्विटी मार्केट (Equity Market) या इससे संबंधित इनवेस्‍टमेंट टूल्‍स में निवेश करते हैं तो फायदे के साथ-साथ नुकसान होने की संभावना भी रहती है. अगर निवेशक ने जैसा सोचकर निवेश किया है और वैसा न हो तो इनवेस्‍टर अपनी मूल पूंजी (कैपिटल) भी खो सकता है. हालांकि यह भी एक हकीकत है कि हाई रिस्‍क निवेश शानदार रिटर्न भी देता है.

ऐसे निवेशक जो कम जोखिम उठाकर इक्विटी मार्केट में निवेश (Investing In Equity Market) करना चाहते हैं उनके लिए म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक बेहतरीन इनवेस्‍टमेंट टूल है. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि म्‍यूचुअल फंड में घाटा नहीं होता. इसमें भी निवेश कई बार नुकसान में चला जाता है. लेकिन, म्‍यूचुअल फंड निवेश के घाटे को दूर किया जा सकता है. इसके लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखना पड़ता है.

निरंतर निवेश
इक्विटी मार्केट में कमाई का मूल मंत्र है ‘निरंतर और विविध निवेश’ (Invest regularly and invest diversified). शेयर बाजार में मंदी के दौर में अपनी पूंजी को सुरक्षित रखना काफी महत्‍वपूर्ण हो जाता है, ताकि आपका निवेश और रिटर्न प्रभावित न हो. जी बिज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इपिसिलोन मनी के सीईओ अभिषेक देव का कहना है कि बाजार में अस्थिरता उन निवेशकों की परम मित्र है जो दीर्घावधि निवेश करते हैं. ऐसे ही जो लोग निरंतर निवेश करते हैं, उनके मंदी में दोनों हाथ में लड्डू होते हैं. निरंतर निवेश एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में ज्‍यादा यूनिट जोड़ने का अवसर प्रदान करता है जब बाजार में गिरावट आती है.

मंदी में खरीदारी करके वह अपने एवरेज कॉस्‍ट को घटा सकता है. अभिषेक का कहना है कि आज सारा विश्‍व आपस में जुड़ चुका है. विश्‍व में कहीं घटित एक घटना का असर भी भारतीय बाजार पर हो सकता है. ऐसा यूएस फेड द्वारा ब्‍याज दरों में वृद्धि करने और यूक्रेन संकट के कारण हो भी चुका है. अभिषेक का कहना है कि बाजार में आगे क्‍या होगा, इसकी भविष्‍यवाणी करना बहुत मुश्किल है. इसलिए मंदी के प्रभाव को कम करने का एक ही तरीका है कि इसका सामना करने के लिए तैयार रहें और बाजार गिरावट में भी निवेश करते रहें.

निवेश में विविधता
अपनी पूंजी को एक ही जगह लगाना समझदारी नहीं है. निवेश में हमेशा विविधिकरण होना चाहिए. सभी फाइनेंशियल प्‍लानर्स का कहना है कि निवेशक को अपनी पूंजी एसेट क्‍लास, इक्विटी, फिक्‍स्‍ड इनकम, सोने और विदेशी सिक्‍योरिटीज में लगानी चाहिए. निवेश में विविधिकरण होने से फायदा यह होता है कि जब एक एसेट क्‍लास में नुकसान होता इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? है तो आपका इसके अलावा कहीं किया गया दूसरा निवेश अच्‍छा रिटर्न दे रहा होता है. इस तरह आपका पोर्टफोलियो नुकसान से बच जाता है.

अभिषेक का कहना है कि एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मार्केट के झटके सहने मे ज्‍यादा सक्षम होता है. अगर आपने अपनी सारी पूंजी इक्विटी जैसी एक ही एसेट क्‍लास में लगा रखी है तो आपको भारी घाटा होने की संभावना बहुत होती है. इसलिए आपको हमेशा अपनी पूंजी को अलग-अलग जगह निवेश करना चाहिए.

SIP से निवेश
एसआईपी से निवेश करना सबसे सुरक्षित निवेश है. जब बाजार में मंदी होती है तो यह अपने पोर्टफोलियो में ज्‍यादा यूनिट जोड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका है. जब आप इक्विटी मार्केट में सिप के माध्‍यम से निवेश करते हैं तो यह अस्थिरता से मुकाबला करने में आपकी बहुत मदद करता है. इससे लॉन्‍ग टर्म में निवेशक बढिया मुनाफा कमा सकता है. यहां यह जानना जरूरी है कि इक्विटी मार्केट ने दस साल की अवधि में कभी नेगेटिव रिटर्न नहीं दिया है.

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Gold Bond, Digital Gold और Gold ETF : सोने के गहनों में नहीं, इनमें करें निवेश, जानें कौन है सबसे बेहतर

Investment in Gold : फिजिकल सोना खरीदने से अच्छा है सोने के अन्य ऑप्शन्स में इनवेस्ट करना. निवेश के मकसद से सोने के गहने, सिक्के या गोल्ड बिस्किट खरीदने से बेहतर गोल्ड इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड या डिजिटल गोल्ड का ऑप्शन है.

Gold Bond, Digital Gold और Gold ETF : सोने के गहनों में नहीं, इनमें करें निवेश, जानें कौन है सबसे बेहतर

Gold Investment : सोने में कई तरीकों से किया जा सकता है निवेश. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत जैसे देश में लोग सोने से संपत्ति (Gold Asset) के साथ-साथ एक इमोशनल टच से भी जुड़े हुए होते हैं. सोने को लोग हमेशा से सबसे ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद निवेश का माध्यम (Gold Investment) मानते रहे हैं. अगर निवेश की बात करें तो सेफ इनवेस्टमेंट के लिए लोग हमेशा से बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तरफ आकर्षित हुए हैं. FD से मिलने वाला रिटर्न पूर्व निर्धारित होता है. इसके अलावा कुछ लोग शेयर मार्केट में भी पैसा लगाते हैं, हालांकि शेयर मार्केट काफी जोखिमों से भरा हुआ है और बहुत से लोगों को शेयर मार्केट की सही समझ भी नहीं होती, ऐसे में लोग शेयर मार्केट में निवेश करने में उतने सहज नहीं होते. लेकिन सोने-चांदी की बात हो तो निवेश का ये विकल्प लोगों को लुभाता है.

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वैसे, आप अगर निवेश के मकसद से सोना खरीदना चाहते हैं तो फिजिकल सोना खरीदने के अच्छा है सोने के अन्य ऑप्शन्स में इन्वेस्टमेंट करना. निवेश के मकसद से सोने के गहने, सिक्के या गोल्ड बिस्किट खरीदने से बेहतर गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड या डिजिटल गोल्ड का ऑप्शन है.

गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond)

केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की योजना चलाती है. सरकार की इस स्कीम के तहत आम लोग सोने में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. इस स्कीम के माध्यम से सरकार सोने के भौतिक रूप की डिमांड में कमी लाने की कोशिश में रहती है. वहीं गोल्ड बॉन्ड का बड़ा फायदा ये है कि सरकारी गोल्ड बॉन्ड की कीमत गोल्ड के मार्केट प्राइस से कम होती है. वहीं इसे खरीदने से टैक्स छूट भी मिलती इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? है. इस स्कीम की खासियत ये भी है कि इसमें किसी तरह की धोखाधड़ी या फिर अशुद्धता की संभावना नहीं होती है.

गोल्ड बॉन्ड आठ वर्षों के बाद मैच्योर हो जाते हैं. 8 साल के बाद रुपए निकाले जा सकते हैं. इसके अलावा 5 साल के बाद भी इस स्कीम से पैसे निकालने का ऑप्शन होता है. इतना ही नहीं इस स्कीम के माध्यम से बैंक से लोन भी लिया जा सकता है. गोल्ड बॉन्ड खरीदने पर GST भी नहीं देना पड़ता.

डिजिटल गोल्ड (Digital Gold)

इस समय डिजिटल बाजार उछाल पर है. ऐसे में मार्केट में डिजिटल गोल्ड भी मिल रहे हैं. इंवेस्टमेंट के लिहाज से देखें तो डिजिटल गोल्ड एक बेहतर विकल्प है. डिजिटल गोल्ड में बेहतर रिटर्न भी मिलता है. ज्वेलर्स या डीलर की तरफ से डिजिटल गोल्ड कई प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जाता है. वहीं इनमें अमेजन-पे, इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? पेटीएम, फोन-पे जैसे वॉलेट और इंवेस्टमेंट के अन्य प्लेटफॉर्म जैसे कुवेरा, ग्रो और स्टॉक ब्रोकर्स शामिल हैं. डिजिटल गोल्ड में आप जब चाहें इन्वेस्ट कर सकते हैं और जब चाहें इसे सेल भी कर सकते हैं. डिजिटल गोल्ड को खरीदने के लिए आपको इंटरनेट और नेटबैंकिंग की जरूरत होती है.

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)

घर में रखी गोल्ड ज्वेलरी की तुलना में गोल्ड ईटीएफ अधिक सेफ होता है. इलेक्ट्रॉनिक रूप में होने की वजह से इसकी शुद्धता का पूरा भरोसा किया जा सकता है. इस पर तीन वर्षों के बाद लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. इस पर लोन नहीं मिल सकता. इसे एक्सचेंज पर कभी भी बेच दिया जा सकता है और इसको रखने का खर्च भी काफी कम है.

कौन है बेहतर?

सेंट्रल गवर्नमेंट की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम का एक फायदा ये है कि यह बॉन्ड, गोल्ड के मार्केट प्राइस से कम कीमत में मिलते हैं. वहीं दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस योजना में इन्वेस्ट करने पर जीएसटी नहीं चुकाना पड़ता है. जबकि डिजिटल गोल्ड खरीदते वक्त 3 फीसद जीएसटी देना होता है, ऐसे में जीएसटी देने से निवेश की लागत बढ़ जाती है. वहीं डिजिटल गोल्ड को जब सेल करते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स देनदारी बनती है.

गोल्ड ईटीएफ के इनवेस्‍टमेंट क्‍या होती है? मामले में भी ये बात लागू होती है. लिहाजा डिजिटल गोल्ड पर टैक्स प्लस सेस और सरचार्ज चुकाना होता है, जिससे मुनाफा घट जाता है. वहीं डिजिटल गोल्ड को लेकर ऑफिशियल रेगुलेटरी संस्था नहीं है, जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना केंद्र सरकार के तहत काम करती है. वहीं गोल्ड बॉन्ड पर आप लोन ले सकते हैं, जबकि गोल्ड ईटीएफ में ऐसा विकल्प नहीं है. कुल मिला कर देखें तो मुनाफे के लिहाज से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम बेहतर विकल्प है.

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