अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें?

Reliance JIO Recruitment 2022 : जिओ में 19,000 पदो पर भर्ती सभी के लिए सैलरी 21 हजार से शुरु-Very Useful
Reliance JIO Recruitment 2022 : Reliance Jio में बंपर भर्तियां, रोजगार की तलाश कर रहे सभी बेरोजगार युवाओं के लिए बहुत अच्छी खबर है। 19 हजार पदों पर बंपर भर्ती, इस भर्ती में उम्मीदवारों के लिए 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। तो ऐसे में सभी उम्मीदवार इस नौकरी के अवसर का लाभ उठा सकते हैं और अपने सभी सपने पूरे कर सकते हैं। तो चलिए दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से पूरी जानकारी देंगे नीचे लिखे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
Reliance JIO Recruitment
आपको बता दें कि अगर आप 12वीं पास हैं तो आप इस भर्ती में आवेदन कर सकते हैं। इस रिलायंस जियो भर्ती के लिए अखिल भारतीय उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। महिला उम्मीदवार हो या पुरुष उम्मीदवार इस नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं दोनों उम्मीदवार इस नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस पद के लिए कौन सी योग्यता मांगी गई है। और आपको बता दें कि हमारे पूरे देश में स्मार्ट मार्केट की शुरुआत हो चुकी है।
Reliance JIO Recruitment 2022
तो अगर बिग बाजार की बात करें तो यहां आपको इस कंपनी में काम करने का मौका मिलेगा। निजी क्षेत्र में नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए रिलायंस विभाग द्वारा विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इस रिलायंस जियो में 1 9 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती की गई है। इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं। यह भर्तियां रिलायंस जियो द्वारा विभिन्न पदों पर की गई हैं। जिसके लिए आपको 10वीं और 12वीं स्नातक और डिप्लोमा पास उम्मीदवारों को पद के अनुसार आवेदन करना होगा।
Reliance JIO Recruitment Details
रिलायंस जियो भर्ती 2022 में उन उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है। और इस भर्ती में उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा पदों के अनुसार अलग-अलग रखी गई है। एप्लिकेशन की बात करें तो सबसे पहले आपको रिलायंस जियो की वेबसाइट पर जाना होगा। वहां होम पेज पर आपको जॉब का ऑप्शन दिखेगा , उस पर आपको क्लिक करना है।
क्लिक करने के बाद आपके सामने इससे जुड़ी सारी जानकारी खुल जाएगी। आप जिस पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं। तो आपने उस पद के अनुसार जो योग्यता मांगी है उसे भरें। इसके बाद आपको अपनी ईमेल आईडी से लॉगइन करना होगा। और उस भर्ती के लिए आवेदन पत्र में पूछी गई सभी जानकारी भरकर आवेदन पत्र को सबमिट कर दें।
निष्कर्ष – Reliance JIO Recruitment 2022
इस तरह से आप अपना Reliance JIO Recruitment 2022 क कर सकते हैं, अगर आपको इससे संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं | दोस्तों यह थी आज की Reliance JIO Recruitment 2022 के बारें में सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट में आपको Reliance JIO Recruitment 2022, इसकी सम्पूर्ण जानकारी बताने कोशिश की गयी है |
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क्या आप चेन्नई सुपर किंग्स और रिलायंस रिटेल में निवेश करना चाहते हैं? जानिए कैसे!
नए जमाने के ब्रोकर और क्रांतिकारी तकनीकी प्लेटफार्मों के माध्यम से रिटेल निवेशकों (आपके और हमारे जैसो) के लिए शेयर बाजारों में निवेश करना बहुत आसान हो गया है। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है, कि आप ओयो रूम्स, चेन्नई सुपर किंग्स और रिलायंस रिटेल जैसी निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकते हैं?
आपने मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला पर प्री-आईपीओ कंपनियों में निवेश करके करोड़ों कमाने पर लेख पढ़ा होगा। दशकों तक, निजी इक्विटी बाजार केवल हाई -नेटवर्थ वाले व्यक्तियों (high net-worth individuals) और उनके जैसे उद्यम पूंजीपतियों के लिए ही सुलभ थे। लेकिन आज चीजें बदल रही हैं! इस लेख में, भारत के निजी इक्विटी बाजार और शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने से पहले आप फर्मों में कैसे निवेश कर सकते हैं, इसके बारे में अधिक जानेंगे।
निजी इक्विटी क्या है?
भारत में हम अक्सर प्रमुख उद्यम पूंजीपतियों और हाई -नेटवर्थ वाले व्यक्तियों द्वारा निजी स्वामित्व वाली कंपनियों( privately-owned companies) या स्टार्टअप में निवेश करने की खबरें सुनते हैं। इन निवेशों को बाजार के संदर्भ में निजी इक्विटी (private equity) के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह, फर्मों को अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को चलाने, नए उत्पादों या प्रौद्योगिकी पर काम करने और विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस तरह के निजी निवेश का उपयोग विस्तार, विविधीकरण या अधिग्रहण के लिए भी किया जाता है। अपनी व्यापक वित्तीय संसाधन के साथ, संस्थानों को आकर्षक व्यवसाय मॉडल तक पहली पहुंच मिलती है। जैसे-जैसे कंपनियां बढ़ती हैं और सार्वजनिक हो जाती हैं, ये शुरुआती निवेशक और प्रमोटर अपने शेयर बहुत अधिक मूल्य पर बेचते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, भारत में स्थित निजी कंपनियां और स्टार्टअप अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करके फले-फूले हैं। 2020 में, निजी बाजार में निवेश सार्वजनिक बाजार की तुलना में 2.5 गुना अधिक था। EY रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फर्मों में PE और उद्यम पूंजी निवेश 2021 में 77 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, 2020 की तुलना में 62% की वृद्धि। हमारे देश में ई-कॉमर्स, फिनटेक और एड-टेक सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। ऐसेमे भारतीय व्यवसायों में कौन निवेश नहीं करना चाहेगा।
दुर्भाग्य से, रिटेल निवेशकों को हमेशा निजी इक्विटी बाजारों में प्रवेश बाधा का सामना करना पड़ा है। निजी फर्मों के निवेश दौर और लेन-देन लाखों डॉलर में (थोक में) किए जाते हैं और छोटे निवेशकों के जेब के अनुकूल नहीं होते हैं। निजी इक्विटी निवेश भी तरल नहीं होते हैं और इनमें सख्त लॉक-इन अवधि होती है। ज्यादातर मामलों में, इन लेनदेन में पारदर्शिता का अभाव होता है। जब Happiest Minds Tech, Nykaa, और लेटेंट व्यू एनालिटिक्स जैसी कंपनियों ने अपने IPO जारी किए, तो हममें से अधिकांश ने उनमें जल्द से जल्द निवेश करना चाहा होगा। इसके अलावा, कम कीमत वाली कंपनियों के शेयर खरीदना हमेशा निवेश का सार रहा है।
मैं निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकता हूं?
रिटेल निवेशकों के रूप में, हम अक्सर अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए नए तरीकों की अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें? तलाश करते हैं। इस प्रकार, निजी कंपनियों की इक्विटी में निवेश करने से हम उनकी विकास के सफ़रका हिस्सा बन सकते हैं। इस तरह के निवेश अब लीडऑफ (Leadoff) नामक एक नए मंच के माध्यम से संभव हैं, जिसका उद्देश्य भारतीयों के लिए निजी इक्विटी का लोकतंत्रीकरण करना है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म अनिवार्य रूप से प्रवेश की बाधा को तोड़ता है और आपको प्रमुख निजी कंपनियों में निवेश करने की अनुमति देता है। यह एक सहज एवं सरल निवेश मंच प्रदान करने के लिए बिचौलियों और समय लेने वाली प्रलेखन प्रक्रियाओं को कम करता है। आप इसकी मदत से चेन्नई सुपर किंग्स, जल्द ही सार्वजनिक होने वाली Oyo Rooms, PharmEasy, और Reliance Retail जैसी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, जिसकी न्यूनतम राशि केवल 10,000 रुपये है! इन उच्च-विकास फर्मों की वित्तीय रिपोर्टों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से कोई भी तर्कसंगत निवेश का निर्णय ले सकते है। निवेशकों को निवेश करने से पहले हमेशा इन रिपोर्टों को अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए।
यह कैसे काम करता है?
लीडऑफ़ ने निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के शुरुआती निवेशकों, संस्थापकों और अन्य शेयरधारकों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। इस प्रकार, वे विभिन्न संस्थाओं से शेयर प्राप्त करते हैं और उन्हें सीधे अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को हस्तांतरित करते हैं। शेयर की कीमतों का मूल्यांकन संबंधित कंपनियों और उनकी ऑडिटिंग फर्मों द्वारा किया जाता है। और जब आप ऑर्डर देते हैं, तो लीडऑफ़ शेयरों को सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर देता है!
प्लेटफ़ॉर्म बैंक-स्तरीय सुरक्षा और उपयोगकर्ता के अनुकूल डैशबोर्ड प्रदान करता है ताकि आप अपने लेनदेन पर नज़र रख सकें। पोजीशन/होल्डिंग्स को कंपनी शेयर बायबैक के माध्यम से या सार्वजनिक लिस्टिंग के समय बाहर निकाला जा सकता है। साथ ही, भारत में निजी इक्विटी शेयरों में किए गए सभी लेनदेन कानूनी हैं!
निवेश करने का निर्णय लेने से लेकर वास्तव में शेयर प्राप्त करने तक, आप 3 आसान चरणों में लेनदेन करने के लिए सक्षम होंगे:
- जिस कंपनी में आप निवेश करना चाहते हैं उसकी पूरी जांच पड़ताल करे। पूरी तरह से स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद लीडऑफ ने कई उच्च-विकास फर्मों को चुना है।
- सूचित निर्णय लेने के लिए इन-प्लेटफ़ॉर्म रिपोर्ट की सहायता से कंपनी के बारे में शोध करें।
- भुगतान करें, और शेयर 24-48 घंटों में सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।
हाल ही में हमने देखा है, कि अधिकांश IPO ओवरसब्सक्राइब हो रहे हैं और कुछ भाग्यशाली निवेशक महत्वपूर्ण लिस्टिंग लाभ का आनंद ले रहे हैं। ज़रा सोचिए, कि अगर आप बहुत पहले कार्रवाई करने में सक्षम होंगे, तो रिटर्न क्या होगा! आप इस प्लेटफार्म के सहायता से सक्रिय निवेशकों के क्लब में शामिल हो सकते है, जो भारत के निजी बाजारों के विकास के लिए उत्साहित हैं! जबकि लीडऑफ़ (Leadoff) अभी भी ‘वेटलिस्ट’ मोड में है, आप मार्केटफ़ीड रीडर की कतार को छोड़ सकते हैं और यहां से प्लेटफॉर्म में शामिल हो सकते हैं।
कर्तव्य-ध्वजा का ध्वंस या सांसारिक समर्पण
मुद्दा एनडीटीवी नहीं है। मुद्दा प्रणव रॉय-राधिका रॉय भी नहीं हैं। और,, रवीश कुमार तो मुद्दा हैं ही नहीं। जिनके लिए ये सब मुद्दे हैं, उनके लिए होंगे। मेरे लिए मुद्दा यह है कि नरेंद्र भाई मोदी को मीडिया के इतने विशाल खारे समंदर में एक छोटे-से टापू पर मौजूद थोड़े-बहुत मीठे पानी की झील से इतना गुरेज़ क्यों था कि उन्हें खरबों रुपए के कर्ज़ में डूबे अपने एक अमीर दोस्त को वस्त्रहीन हो कर गोताखोरी के लिए प्रेरित करना पड़ा? वे कहेंगे, मैं ने कहां प्रेरित किया? मगर दुनिया तो मान रही है कि यह बिसात उन्हीं ने बिछवाई। तो मैं भले ही मान लूं कि शेयर बाज़ार में एनडीटीवी के दस्तरख्वान पर गौतम भाई अडानी बदनीयती से आ कर नहीं बैठे थे, मगर मेरे अलावा कौन नरेंद्र भाई और गौतम भाई की इस मासूमियत पर भरोसा करेगा?
सो, अब भारतीय मीडिया के सातों कसैले समंदरों का पानी भी मिल कर नरेंद्र भाई और गौतम भाई के हाथों पर चढ़े दस्तानों पर लगे एनडीटीवी के लहू को धो तो नहीं ही पाएगा। चूंकि लहू लहू है, सो, वह पुकारता भी रहेगा। सही हो, ग़लत हो, इस प्रसंग ने एनडीटीवी को एक प्रतीक-घटना बना दिया है। एनडीटीवी इसका हक़दार हो-न-हो, वह दीये और तूफ़ान की कहानी बन गया है। मैं न उन से सहमत हूं, जो पूरे संस्थान को कब्ज़े में ले लेने के बावजूद एक पत्रकार को न ख़रीद पाने की जगत-सेठ की अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें? विवशता का ज़श्न मना रहे हैं, और न उन से, जो एनडीटीवी के मरण-दिवस का उत्सव मनाते थिरक रहे हैं।
मैं नहीं मानता कि रवीश कुमार भारतीय मीडिया संसार के ‘न भूतो, न भविष्यति’ पत्रकार अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें? हैं। लेकिन मैं यह भी मानता हूं कि अनुचर शिशु मंदिर से पढ़ कर निकले जो भक्तियुगीन एंकर-एंकरनियां उन के इस्तीफ़े पर नृत्य-मग्न हैं, उन्हें रवीश के कर्तव्यबोध की सतह छूने में मौजूदा जन्म तो कम पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि जो रवीश कर रहे थे, वह कोई और कर ही नहीं सकता था। मगर ऐसा भी नहीं है कि कोई भी चौआ-पौआ वह सब कर लेता। रवीश को हिंदी की वर्तमान टीवी पत्रकारिता का पर्याय मान लेने वाले अशिक्षित हैं। उन्हें एनडीटीवी का पर्याय मान लेने वाले भी अर्द्धशिक्षित हैं। रवीश उतनी ही औसत या अतिरिक्त प्रतिभा के धनी हैं, जितने बाकी कई। उन्हें चिट्ठियां पढ़ते-पढ़ते वैसे ही मंच मिल गया, जैसे प्राध्यापकी करते-करते प्रणव रॉय को मिल गया था। दोनों ने अपने-अपने बाज़ार में उसे अपनी-अपनी सलाहियत से भुना लिया।
अनुकूल बगीचा न हो तो ट्यूलिप भी कुम्हला जाते हैं। दिलदार धरती हो तो गेंदा भी फल-फूल जाता है। मेधा और क़ाबलियत भी खाद-पानी मिलने पर ही अपने रंग बिखेर पाते हैं। अगर कोई मुझ से कहे कि एनडीटीवी और अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें? इंडिया टुडे जैसे मीडिया समूहों की बेलें बिना तत्कालीन सत्ताओं की विशेष अनुकंपाओं का सहारा लिए हमारी राष्ट्रीय प्राचीर पर पसर गईं तो मैं उसे मूर्ख-दिवस पर जन्मा मानूंगा। सवा चार दशक में प्रणव रॉय से अरुण पुरी और सुभाष चंद्रा तक की मीडिया उड़ानों के किस्से मेरे जैसे बहुत-से चश्मदीद आप को बता-सुना सकते हैं। कौन, कैसे, किस-किस की बाहें थाम कर कहां-से-कहां पहुंचे; किस ने कब-कब कैसे-कैसे रंग बदले; किस ने अपने लिए कौन-कौन सी सहयोगी प्रतिमाएं गढ़ीं; किस ने किन-किन प्रतिमाओं को नष्ट किया; इस की एक पूरी बिनाका-गीतमाला है। इसलिए ‘निर्बल से लड़ाई बलवान की’ के संगीत पर थाप देते वक़्त इतने भी भावभीने मत हो जाइए कि आंखों से आंसू थमने का नाम ही न लें!
प्रज्ञावान होने के साथ-साथ अगर आप बाज़ार की ज़रूरतों के हिसाब से तमाशेबाज़ होने की सिफ़त भी रखते हैं तो अपनी शोहरत में चार क्या, आठ चांद लगा सकते हैं। तीक्ष्ण बुद्धि वाले प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को पछुआ-छुअन वाले अंग्रेज़ीदां प्रणव रॉय और उन के पुरबिया हिंदी संस्करण रवीश कुमार पांडे इसीलिए अपने आदर्श लगते हैं। तेज़ी से उभरा एक नए बुद्धिजीवी वर्ग इसलिए उन पर रीझा हुआ है कि उसे लगता है कि वे दोनों चमत्कारी ढंग से एक जनोन्मुखी बौद्धिक कार्य में लगे हुए हैं। मैं मानता हूं कि एनडीटीवी का पूरा पत्रकार-दल और उस के मालिक़ान स्थूलतः ऐसे काम में लगे भी हुए थे। मगर यह भी है कि चेहरे पर अगर कोई दाग हो तो वह इस घूंघट की आड़ में आसानी से छिप भी जाता है।
सैकड़ों करोड़ रुपए का कर्ज़ लेते वक़्त जब प्रणव रॉय अपनी कंपनी के शेयर का, ख़ासी बढ़ी-चढ़ी कीमत पर, सौदा कर रहे थे और जानते थे कि कर्ज़ न चुका पाने की स्थिति में ये शेयर कर्ज़ देने वाले के हो जाएंगे तो अब सेंधमारी का बहाना ले कर हाय-हाय क्यों? क्या कभी किसी रवीश ने तब अपने रोज़गारदाता से पूछा था कि क्या ये ख़बरें सही हैं कि उन्होंने तीसियों असली-नकली कंपनियों के ज़रिए 11 अरब रुपए सचमुच इकट्ठे किए हैं, क्या उन में से चार अरब रुपए मॉरिशस अपनी कंपनी के शेयर कैसे बेचें? की एक कंपनी के ज़रिए एनडीटीवी में लगाए हैं और सात अरब रुपए ब्रिटेन और हॉलैंड में रख दिए हैं? नहीं न! लेकिन अब अपने इस्तीफ़े का शहीद-स्मारक बना कर उम्मीद की जा रही है कि आप-हम सलामी शस्त्र मुद्रा में खड़े हो जाएं?
अगर मौजूदा मीडिया की फ़िलवक़्त सब से पावन मानी जा रही धरा का काम भी कमोबेश सांसारिक कर्मकांड के ज़रिए ही चल रहा था तो हम इसे धर्मपालन की कर्तव्य-ध्वजा का ध्वंस मान कर दीदे कैसे बहा सकते हैं? संसार की यही रीत है कि अगर आप के ढोल में पोल है और ढोल भाई को पसंद आ गया तो फिर अपना ढोल आप को भाई के हवाले करना ही पड़ेगा। भाई ढोल की जो कीमत दे दे। वही हुआ। आप जिस ढोल को अपने गले में लटका कर बजा रहे थे, उसे बजाने का आप का तरीका भाई को नागवार गुज़र रहा था। तो भाई ने ढोल आप से छीन कर खुद के गले में डाल लिया। अब आप को मलाल है कि भाई ने यह छल-कपट कर के किया। काहे का छल-कपट? आप भी सांसारिक प्राणी हैं, भाई भी सांसारिक प्राणी है। कौन नहीं जानता कि आप के अर्पण-समर्पण के पीछे सांसारिक कारण हैं। आप कोई धर्म-युद्ध लड़ते हुए मारे नहीं गए हैं। आप ख़ामोशी से सिर्फ़ किनारे हो गए हैं। आप जानते थे कि अब इस में ही गरिमा है।
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लेखक न्यूज़-व्यूज़ इंडिया और ग्लोबल इंडिया इनवेस्टिगेटर के संपादक हैं।