करेंसी का विनियमन

फूट गया क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला
आभासी मुद्रा बिटक्वाइन की निवेश की दुनिया में काफी चर्चा हो रही है। कुछ समय पहले से बिटक्वाइन की कीमत आसमान को छू रही थी लेकिन अचानक इसकी कीमत में 30 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ गई। ऐसे में स्वयं निवेशक यह सवाल करने लगे हैं कि क्या बिटक्वाइन समेत अन्य क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला फूट गया है? 19 मई को बिटक्वाइन, इथेरियम,डॉजकाइन समेत लगभग सभी क्रिप्टो करेंसी में गिरावट देखी गई। इसके पीछे कई कारण हैं। क्रिप्टो करेंसी को आनलाइन बेचा-खरीदा जाता है। नोट सरकारें छापती हैं और मुद्रा का उठना-गिरना बना रहता है। डिजिटल मुद्रा की शुरूआत 2009 में की गई, जो किसी सरकार के अधीन नहीं है। बिटक्वाइन की खरीद-फरोख्त की कोई आधिकारिक व्यवस्था भी नहीं है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप से आपकी जेब में नहीं होती, यह पूरी तरह से आनलाइन होती है और बिना किसी नियमों के इसके जरिये व्यापार होता है। भारत में तो 2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। आरबीआई ने डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाते हुए सरकार को कोई निर्णय लेने से पहले इस मामले पर कानून बनाना चाहिए। पिछले महीने आरबीआई ने एक बार फिर कहा था कि वे भारत की खुद की क्रिप्टो करेंसी को लाने और उसके चलन को लेकर विकल्प तलाश रही है। सरकार ने साफ किया कि वे क्रिप्टो करेंसी को रखने वालों को इसे बेचने के लिए वक्त देगी। ऐसा कोई आंकड़ा हमारे पास नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं। यह निश्चित है कि भारतीयों ने भी डिजिटल करेंसी में निवेश किया हुआ है और महामारी के दौरान इसमें बढ़ौतरी हुई है।
जब बिटक्वाइन की शुरूआत हुई तो लोगों को इस बारे में ज्यादा समझ नहीं थी और इसका मूल्य कम था। परन्तु महामारी के दौरान पिछले वर्ष लाकडाउन हुआ तो सरकारों ने कई तरह के प्रोत्साहन दिए, तब यूरोप, अमेरिका, कोरिया, जापान आैर चीन में अनेक आनलाइन निवेशक बाजार में उतरे। क्योंकि उन्हें सरकार से आर्थिक मदद मिल रही थी, ऐसे में लोग उन पैसों से इसे खरीदने लग गए। क्रिप्टो मुद्रा पारदर्शी नहीं है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के लिए निवेशक सुरक्षा निधि होती है। यदि निवेशक का पैसा डूब जाता है तो एक्सचेंज उसकी क्षतिपूर्ति करवाता है, सेबी इसका विनियमन करता है परन्तु डिजिटल मुद्रा का किसी एक्सचेंज के साथ कोई विनियमन नहीं है। ऐसे में यदि आपका पैसा डूब जाए तो किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। इसका मूल्य गिरने से निवेशकों को काफी नुक्सान पहुंचा है। इसका मूल्य गिराने के कारणों में चीन द्वारा अपने वित्तीय संस्थानों और पेमेंट कम्पनियों को क्रिप्टो करेंसी से संबंधित करेंसी का विनियमन लेन-देन या अन्य किसी प्रकार की सेवा देने के लिए प्रतिबंधित करना भी रहा। यह खबर बाजारों में फैलते ही पैनिक सेलिंग शुरू हो गई। देखते ही देखते कुछ ही घंटों में क्रिप्टो करेंसी सिर के बल पर गिर गई। इसकी कीमतों में गिरावट के लिए अकेला चीन ही जिम्मेदार नहीं। पिछले हफ्ते इलैक्ट्रिक कार बनाने वाली कम्पनी रेस्ला के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने यह घोषणा की थी कि पर्यावरणीय नुक्सान को देखते हुए अब अपनी कार की बिक्री के लिए बिटक्वाइन को टेस्ला को पेमेंट करेंसी का विनियमन मोड के रूप में स्वीकार नहीं करेगी। हालांकि इससे एक हफ्ते पहले उन्होंने बिटक्वाइन का पेमेंट के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर स्वीकृति दी थी। इससे भी निवेशक भ्रम की स्थिति में आ गए। एलन मस्क पहले बिटक्वाइन की बड़ी तारीफ करते थे लेकिन अन्य क्रिप्टो करेंसीज आने के बाद उनका रुख बदल गया।
क्रिप्टो करेंसी के साथ एक समस्या यह है कि इसकी कीमत कैसे तय हो? सोना है, उसके आभूषण हैं और सिक्के हैं जबकि बिटक्वाइन मुद्रा तो कम्प्यूटर में लिखा एक कोड है। यदि आप इसे तोड़ते (बिटक्वाइन माइजिंग) है अत्याधिक बिजली की खपत होती है। लोगों ने इसे जल्दी अमीर बनने की योजना जैसा समझ लिया है, जहां बेहद कम समय में अत्याधिक लाभ मिल जाता है। जिन्होंने इसेे बहुत सस्ते में खरीद कर ट्रेडिंग की और काफी फायदा कमाया, वह तो ठीक रहे लेकिन जिन्होंने इसे होल्ड करके रखा, उन्हें काफी नुक्सान हुआ। कई देशों की सरकारें और राष्ट्रीय बैंक जनता को चेतावनी दे चुके हैं कि आभासी मुद्रा किसी सरकार के अधिनियम के तहत नहीं है। फिर भी लालचवश लोग इसमें जा रहे हैं। कुछ दिन पहले इंटरनेट कम्प्यूटर के नाम से एक नया क्वाइन ईजाद हुआ। एक ही दिन में यह 45 अरब डालर का हो गया। किसी को नहीं पता कि यह किसने ईजाद किया। भारत में आभासी मुद्रा के ट्रेडिंग की अनुमति नहीं। इस पर टैक्स कैसे लगाया जाए यह भी किसी को पता नहीं है। इस पर टैक्स रिटर्न में सरकार पूछ रही है कि यदि आपके पास क्रिप्टो करेंसी है तो आप इस बारे में बताइये। अभी भारत कोरोना की महामारी से लड़ रहा है, देर-सवेर सरकार को क्रिप्टो मुद्रा के लिए कानून लाना ही पड़ेगा। अगर भारत सरकार ऐसी खुद की आभासी मुद्रा लाता है तो देखना होगा कि क्या लोग इसे स्वीकार करेंगे या नहीं?
Bitcoin जैसी Crypto currency में पैसा करते हैं निवेश तो हो जाएं सावधान, कभी भी हो सकता है तगड़ा घाटा
Budget 2022 को लेकर लोगों में कई तरह की चर्चा हो रही हैं, जिनमें क्रिप्टो करेंसी से कमाई पर लगने वाला 30 प्रतिशत टैक्स अहम है, वहीं वित्त मंत्री ने भारत की अपनी Digital currency की लॉन्च को लेकर घोषणा भी की। जिसके बाद आज वित्त सचिव ने इन करेंसी को एक लेकर नया बयान दिया है, जिसमें कहा गया, कि बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी रूप से देश में नहीं अपनाई जाएंगी। यानी बात साफ हैं, आप कितना भी क्रिप्टो में निवेश कर लिजिए, केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी डिजिटल रुपया को भारत में लीगल माना जाएगा।
एएनआई से बात करते हुए, वित्त सचिव ने कहा, "डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा, जो कभी भी डिफ़ॉल्ट नहीं होगा। यह पैसा आरबीआई का होगा लेकिन डिजिटल होगा। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होगा। "बाकी सभी भारत में legal tender नहीं हैं, और ना ही होंगे। उनके मुताबिक बिटकॉइन, एथेरियम, या अभिनेता की एनएफटी बनने वाली कोई भी तस्वीर कभी भी देश में legal tender नहीं बन पाएगी।" बताते चलें, कि भारत में बिटकॉइन की कीमत आज 6:49 बजे 30.84 लाख रुपये है, जबकि भारत में एथेरियम की कीमत 2.23 लाख रुपये है।
निवेश के सफल होने की नहीं है गारंटी
वित्त सचिव सोमनाथन ने कहा कि क्रिप्टो संपत्ति ऐसी संपत्ति है जिसका मूल्य दो लोगों के बीच निर्धारित किया जाता है, आप सोना, हीरा और क्रिप्टो संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन उस मूल्य को सरकार द्वारा अधिकृत नहीं किया जाएगा। निजी क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि इसके पास सरकार का प्राधिकरण नहीं है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि करेंसी का विनियमन आपका निवेश सफल होगा या नहीं, किसी को पैसा गंवाना पड़ सकता है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है।
अवैध नहीं है Crypto
वित्त सचिव ने स्पष्ट किया कि जो चीजें कानूनी नहीं हैं, उनका मतलब यह नहीं है कि वे अवैध हैं। सोमनाथन ने कहा, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बिटकॉइन या एथेरियम अवैध है, लेकिन यह वैध भी नहीं है। लेकिन मैं कह सकता हूं कि अगर क्रिप्टोकुरेंसी के लिए विनियमन आता है तो यह legal नहीं होगी।" विनियमन केवाईसी, विक्रेता के लाइसेंस की मांग कर सकता है, लेकिन सरकार द्वारा बाद में हितधारकों के साथ परामर्श से निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम यह भी देखेंगे कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है।
क्रिप्टोकरेंसी बिल : वित्त मंत्री ने कहा, सरकार एक नई क्रिप्टो विधेयक लाएगी, पुराना क्रिप्टो बिल निरस्त
आगामी क्रिप्टोक्यूरेंसी बिल के बारे में निवेशकों के बीच सभी संदेह और घबराहट को दूर करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार भारत में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक नए बिल पर काम कर रही है। राज्यसभा में जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, "इसके कई अन्य आयाम थे और विधेयक पर फिर से काम किया जाना था और अब हम एक नए विधेयक पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।"
हालांकि, निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने वाले विधेयक पर किसी भी सवाल का जवाब देने से परहेज किया। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार के पास देश में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव है, इसपर वित्त मंत्री कहा, "नहीं।" उन्होंने यह भी कहा कि क्रिप्टो "एक जोखिम भरा क्षेत्र था और पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं था।"
वित्त मंत्री ने टीवी और अखबारों में आने वाले क्रिप्टो के विज्ञापनों पर कहा, "क्रिप्टोकरेंसी के बारे में विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन निवेशकों को आगाह किया गया है। जब विधेयक आएगी तो और भी चीजें सामने आएंगी।"
सीतारमण ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सदन के औचित्य को ध्यान में रखते हुए, अब कोई भी उत्तर विधेयक के आने के बाद होने वाली चर्चा को प्रिएम्प्ट कर देगा।
सरकार का इरादा संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन पेश करने का है। यह सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने और केंद्रीय बैंक की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा पेश करने का प्रयास करता है।
राज्यसभा में एक अन्य प्रश्न पर कि क्या सरकार को प्रस्ताव के विवरण और डिजिटल मुद्रा पेश करने की योजना के साथ केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) पेश करने का कोई प्रस्ताव मिला है, इसपर सरकार ने कहा कि केंद्रीय बैंक जांच करके चरणबद्ध तरीके से लागू करने की रणनीति पर काम कर रहा था।
वित्त राज्य मंत्री पंकज के चौधरी ने कहा कि आरबीआई ने अक्टूबर में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें 'बैंक नोट' की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन करने की मांग की गई थी। उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा, "डिजिटल मुद्रा बनाने का उद्देश्य महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करना है, जैसे कि नकदी पर कम निर्भरता, कम लेनदेन लागत और कम निपटान जोखिम के कारण उच्च पदभार।"
मंत्री ने कहा कि एक नई डिजिटल मुद्रा भी संभवतः अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित भुगतान विकल्प को जन्म देगी। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी थी और इससे जुड़े जोखिम थे जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता थी।
पूंजीगत व्यय पर एक अन्य प्रश्न में, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मंत्रालयों और विभागों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान पूंजीगत व्यय के रूप में 2.29 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे।
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आरबीआई ने पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड कानपुर का लाइसेंस रद्द किया
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (People’s Co-operative Bank Limited), कानपुर, उत्तर प्रदेश का लाइसेंस रद्द कर दिया है क्योंकि बैंक धारा 22(3) (ए), 22 (3) (बी), 22(3)(सी), 22(3) (डी) और 22(3)(ई)- बैंकिंग करेंसी का विनियमन विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के तहत की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के तहत धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों के तहत बैंक में पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाओं की कमी पाई जाती है – ‘सहकारी समितियों पर लागू करने के लिए अधिनियम संशोधनों के अधीन’।
बैंक को 21 मार्च 2022 को कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 में उल्लिखित धारा 5 (बी) में परिभाषित जमाराशियों की स्वीकृति और जमा की चुकौती जैसे अपने ‘बैंकिंग’ व्यवसाय को जारी रखने से प्रतिबंधित किया गया है।
मौजूदा आभासी मुद्रा फ्रेमवर्क के लिए टिप्पणियां / सुझाव आमंत्रित
आभासी करेंसी का परिचालन जो डिजिटल/क्रिप्टो करेंसी के रूप में भी जाना .
आभासी करेंसी का परिचालन जो डिजिटल/क्रिप्टो करेंसी के रूप में भी जाना जाता है, एक चिंता का विषय रहा है। इसे समय-समय पर विभिन्न मंचो पर भी अभिव्यक्त किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने दिनांक 24 दिसंबर, 2013 और 1 फरवरी, 2017 की अपनी प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए बिटक्वाइन सहित आभासी करेंसी के उपयोगकर्ता, धारकों और व्यापारियों को इसके वित्तीय, प्रचालनात्मक, विधिक, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी उन संभावित जोखिमों के बारे में सतर्क कर दिया है।
मौजूदा ढांचे को जांचने के लिए आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय ने 15 मार्च, 2017 को विशेष सचिव (आर्थिक कार्य) की अध्यक्षता में एक अंतर अनुशासनात्मक समिति गठित की है इसमें आर्थिक कार्य विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, राजस्व विभाग (सीबीडीटी), गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि भी होंगे।
समिति (i) भारत और विश्व दोनों में आभासी करेंसी की वर्तमान स्थिति का पता लगाएगी (ii) आभासी मुद्रा को अधिशासित करने वाले मौजूदा वैश्विक विनियामक और विधिक ढांचे की जांच करेगी (iii) उपभोक्ता सुरक्षा, धन शोधन इत्यादि करेंसी का विनियमन मुद्दों सहित ऐसी आभासी मुद्राओं से निपटने के लिए उपायों को सुझाएगी; और (iv) आभासी करेंसी से संबंधित किसी अन्य मामले की जांच कर सकेगी।
निम्नलिखित प्रश्नों पर जनता से 31 मई, 2017 तक बेवसाइट MyGov.in पर टिप्पणी या सुझाव मांगे जाते हैं।
क) क्या आभासी करेंसी को प्रतिबंधित, विनियमित अथवा निगरानी में रखा जाए?
ख) यदि आभासी करेंसी विनियमित की जाती है तो:
i) उपभोक्ता सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
ii) आभासी करेंसी को व्यवस्थित रूप में विकसित करने को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
iii) कौन से उपयुक्त संस्थान आभासी करेंसी का निरीक्षण/विनियमन करें?
ग) यदि आभासी करेंसी को विनियमित नहीं किया जाए तो:
i) प्रभावी स्वत: विनियामक तंत्र क्या होना चाहिए?
ii) इस परिदृश्य में उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय अपनाए जाने चाहिए?