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ट्रेडिंग उदाहरण

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Station Guruji

शॉर्ट सेलिंग क्या है और शेयर बाजार में इसे कैसे किया जाता है?

शॉर्ट सेलिंग क्या है?

Table of Contents

यदि आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो शॉर्ट सेलिंग (Short selling) के बारे में सुने होंगे। आप में से कई लोग शॉर्ट सेलिंग करते भी होंगे। लेकिन शॉर्ट सेलिंग के बारे में पूरी जानकारी नहीं होने के कारण आप इससे अनजान होंगे।

आज मैं आपको शॉर्ट सेलिंग के बारे में पूरी जानकारी दे रहा हूं। शॉर्ट सेलिंग क्या होता है? यह किस प्रकार काम करता हैै? Short selling द्वारा प्रत्येक दिन हजारों का मुनाफा कमा सकते हैं।

कुछ दिन पहले मैंने बताया था कि शेयर बाजार में निवेश कैसे करें? फिर इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में प्रतिदिन हजार रुपे कैसे कमाए? अच्छा शेयर का चुनाव कैसे करें?

P/E Ratio का क्या महत्व क्या है? इस प्रकार आपको स्टॉक मार्केट का काफी जान हो गया है। अब मैं आपको वह बता रहा हूं जो आप के लिए स्टॉक मार्केट में काफी सहायक सिद्ध होगा।

हम एक दूसरे को कहते हैं कि जब भी हम शेयर खरीदते हैं उसका दाम नीचे आ जाता है। जब भी हम निवेश करने की सोचते हैं शेयर मार्केट नीचे आ जाता है। मैं आपको शॉर्ट सेलिंग के बारे में बता रहा हूं। स्टॉक मार्केट भले ही नीचे गिरे लेकिन शॉर्ट सेलिंग से आप का मुनाफा उपर ही जाएगा।

यदि आप गिरते हुए मार्केट में Intraday Trading करते हो तो आपका नुकसान पक्का है और जानबूझकर नुकसान उठाना कोई भी नहीं चाहता है। शॉर्ट सेलिंग वह तरीका है जिसमें यदि मार्केट नीचे जा रही है तब भी आप निवेश करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अभी शायद आप मेरी बातों को नहीं समझ रहे हैं। आगे मैं आपको उदाहरण के द्वारा इसे समझा रहा हूं।

शॉर्ट सेलिंग(Short selling) कैसे करें?

शॉर्ट सेलिंग में पहले हम शेयर को बेचते हैं और बाद में उसे खरीदते हैं। आप सोच रहे होंगे जो शेयर मेरे पास है ही नहीं उसे हम कैसे बेंच सकते हैं। इसका जवाब यह है कि आपका ब्रोकर उस कंपनी को विश्वास दिलाता है कि शाम तक आपका शेयर खरीद लेंगे तभी कोई निवेशक शॉर्ट सेल कर पाता है।

आप अभी भी नहीं समझे। इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं। मान लिया कि अभी टाटा मोटर्स के 1 शेयर के दाम ₹400 है। आपको लगता है कि आज इस शेयर का दाम नीचे जाएगा। आपने टाटा मोटर्स के 50 शेयर ₹ 400 में बेच यानि शॉर्ट सेलिंग कर दिया।

एक घंटा बाद उस शेयर का दाम ₹380 हो गया। फिर आप उनको खरीद लिया। एक शेयर पर ₹20 मुनाफा हुआ। चुकी आप 50 शेयर बेचे थे इसलिए 50 × 20 = 1000 यानी आपको 1 घंटे में ₹ 1000 का मुनाफा हो गया। इसे इंट्राडे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं।

इस प्रकार आप किसी भी कम शेयर पहले बेच देंगे और उसके बाद उसे खरीद लेंगे। यदि उसका दाम नीचे आया तो आपको मुनाफा हो जाएगा।

इंन्ट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में मैंने आपको बताया था कि आप किसी भी कंपनी का शेयर खरीद लीजिए जो आपको लगता है इसका दाम ऊपर जाएगा और जब उसका दाम ऊपर चला जाता है आप उसे बेचकर मुनाफा कमा ले है।

शॉर्ट सेलिंग, इंन्ट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) का बिल्कुल उल्टा है। पहले इसमें शेयर बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं। यह पूरा प्रोसेस आपको उसी दिन करना होता है। 3:30 बजे से पहले पहले आपको पूरी प्रक्रिया कर लेना है।

9:15 के मार्केट खुलता है और 3:30 पर शेयर मार्केट बंद होता है। इस बीच में आप इंट्राडे और शॉर्ट सेलिंग दोनों काम पूरे करने होते हैं। यदि आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं पहले शेयर बेच दे और जब उसका दाम नीचे आ गया तो उसे खरीद लें।

चुकी शॉर्ट सेलिंग में आपने वह शेयर बेचा है जो आपके डिमैट अकाउंट में था ही नहीं इसलिए आपके अकाउंट में कुछ भी शेयर नहीं आएगा। सिर्फ केवल मुनाफा या नुकसान आपके अकाउंट में आएगा।

शॉर्ट सेलिंग (Short selling) से क्या फायदे हैं?

इस प्रकार आप शॉर्ट सेलिंग समझ गए होंगे। अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि शॉर्ट सेलिंग से क्या फायदे हैं? शॉर्ट सेलिंग से कई फायदे हैं जो इस प्रकार है-

1. जिस दिन मार्केट नीचे की ओर जा रहा है उस दिन भी आप शॉर्ट सेलिंग द्वारा मुनाफा कमा सकते हैं।

2. कौन सा शेयर ऊपर जाएगा यह अंदाज लगाना मुश्किल है। लेकिन किस शेयर का दाम नीचे जाएगा यह अंदाज लगाना काफी आसान है। इस प्रकार आप शॉर्ट सेलिंग में आसानी से शेयर को चुन सकते हैं।

3. शेयर मार्केट के सेंसेक्स ऊपर जाने के कुछ विशेष कारण नहीं होते लेकिन नीचे जाने की कई कारण होते हैं। जैसे कोरोना महामारी, चीन से तनाव, अमेरिका से संबंध खराब, चक्रवात, मानसून इत्यादि।

इसलिए गिरते मार्केट में मुनाफा कमाने का मूल मंत्र है शॉर्ट सेलिंग हैं।

4. चुकी आपको उसी दिन शॉर्ट सेलिंग में शेयर को बेचना और खरीदना होता है। इसलिए आपको कल की चिंता नहीं करनी पड़ती है कि कल मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे आएगा।

5. शॉर्ट सेलिंग में आप को ज्यादा पैसे लगाने की आवश्यकता नहीं होती। आपके अकाउंट में जितना पैसा है उसके 5 से 10 गुना ज्यादा आप शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं।

जैसे आपके अकाउंट में मान लीजिए ₹ 10,000 है तो आप 50,000 से 1,00,000 तक का शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं।

शॉर्ट सेलिंग (Short selling) से नुकसान

जैसा कि आप जानते हैं कि जिस में फायदा है इसमें नुकसान भी होता है। दुनिया की कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसमें फायदा ही फायदा है नुकसान नहीं। ठीक उसी प्रकार शॉर्ट सेलिंग में भी कुछ नुकसान है।

यदि आपका अनुमान गलत हो गया और शेयर का दाम नीचे आने के बजाय ऊपर चला गया तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। जैसे आपने किसी कंपनी का शेयर ₹ 100 पर शॉर्ट सेल किया।

शाम तक उस शेयर का मूल्य ₹ 100 से ₹ 120 पर पहुंच गया। आपको उस शेयर करो ₹ 120 में बाय करना पड़ेगा। इस प्रकार आपको₹ 20 प्रति शेयर नुकसान उठाना पड़ेगा।

इसके अलावा केई नुकसान है जो इस प्रकार है-

1. कई बार होता है कि जिस कंपनी का शेयर हम Short selling किए हैं दिन के अंत तक खरीद नहीं हो पाता है। क्योंकि उसे कोई खरीदार है ही नहीं। शेयर खरीद नहीं होने के कारण हम डिफॉल्टर के श्रेणी में आ जाते हैं। सेबी द्वारा हम पर जुर्माना लगाया जाता है।

2. बहुत से ऐसे कंपनी है जिसमें शॉर्ट सेलिंग नहीं की जाती है। कई बार हम उस शेयर का चुनाव कर लेते हैं और शॉर्ट सेलिंग नहीं होने के कारण हमें निराशा हाथ आती है।

3. शॉर्ट सेलिंग करने के बाद कई बार उस शेयर में लोअर सर्किट लगा दिया जाता है जिससे हमो उसे शेयर को बेचने में बहुत परेशानी आती है।

4. कई बार अनुमान गलत होने से काफी नुकसान उठाना पड़ता है। चुकी हमें यह काम उसी दिन पूरा करना होता है। इसलिए यदि शेयर को हम इस उम्मीद में शॉर्ट सेलिंग करते हैं कि इसका दाम नीचे जाएगा और यदि दाम उपर चला जाता है तो हमें ना चाहते हुए भी उसे नुकसान पर खरीदने होते है।

5. कई बार शॉर्ट सेलिंग में जानबूझकर कंपनी के शेयर का दाम गिराया जाता है। जिसके कारण मार्केट में उथल पुथल मच जाता है।

क्या हमें शॉर्ट सेल (Short selling) करना चाहिए?

दोस्तों मैं कोई भी सलाह तभी देता हूं जब मैं वह काम स्वयं करता हूं। मैं पिछले 10 सालों से शेयर मार्केट में निवेश करता हूं और वही सलाह आपको देता हूं जो सही है।

शॉर्ट सेलिंग शेयर मार्केट से लाभ कमाने का एक अच्छा तरीका ट्रेडिंग उदाहरण है। भारत में लाखों लोग शॉर्ट सेलिंग करते हैं। लेकिन इसमें कई प्रकार के रिस्क भी हैं। यदि आप जोखिम उठाने के लिए तैयार हो तभी आप Short selling करें।

कई बार इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। निवेश ट्रेडिंग उदाहरण करने से पहले अच्छी तरह जांच पड़ताल कर लें तभी निवेश करें। किसी के कहने और सुनने से कभी भी निवेश ना करें। उतना ही पैसा निवेश करें जितना नुकसान आप सहन कर सकते हैं। कभी भी कर्जा लेकर निवेश ना करें।

स्टेशन गुरुजी

मेरे वेबसाइट का नाम स्टेशन गुरुजी है। मैं मोटिवेशनल कहानी, पढ़ाई लिखाई, वित्तीय जानकारी इत्यादि विषयों पर सच्ची एवं अच्छी जानकारी देता रहता हूं। यह आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

आप कभी भी गूगल में जाकर स्टेशन गुरुजी और उसके आगे अपना सवाल लिख दे। आपको उसका जवाब मिल जाएगा। यदि आपके मन में कोई और सवाल हो तो आप मुझे ईमेल कर दे। मैं आपको जवाब देने का प्रयास करूंगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected].

ग्रिड ट्रेडिंग क्या है?

ग्रिड ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग बॉट है जो फ्यूचर्स अनुबंधों की खरीद और बिक्री को स्वचालित करती है। इसे एक कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित अंतराल पर बाजार में ऑर्डर देने के लिए डिजाइन किया गया है।

ग्रिड ट्रेडिंग तब होती है जब ऑर्डर एक निर्धारित मूल्य से ऊपर और नीचे रखे जाते हैं, जिससे बढ़ती कीमतों पर ऑर्डर का एक ग्रिड तैयार होता है। इस तरह, यह एक ट्रेडिंग ग्रिड का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यापारी बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर खरीद-ऑर्डर दे सकते हैं, साथ ही बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर बिक्री-ऑर्डर भी दे सकते/सकती हैं। यह विभिन्न परिस्थितियों का लाभ उठाता है।

ग्रिड ट्रेडिंग अस्थिर और साइडवे मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है जब मूल्य में एक निश्चित दायरा के अंदर उतार-चढ़ाव होता है। यह तकनीक छोटे मूल्य परिवर्तनों पर लाभ कमाने के लिए है। आप जितने अधिक ग्रिड शामिल करेंगे/करेंगी, व्यापारों की आवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। हालांकि,यह एक खर्च के साथ आता है क्योंकि प्रत्येक ऑर्डर से आपको होने वाला लाभ कम होते हैं।

इस प्रकार, यह कई व्यापारों से कम लाभ कमाने वाली रणनीति बनाम कम आवृत्ति वाली रणनीति के बीच एक ट्रेडऑफ है लेकिन प्रति ऑर्डर एक बड़ा लाभ उत्पन्न करता है।

बायनेन्स ग्रिड ट्रेडिंग अब USDⓈ-M फ्यूचर्स पर लाइव है। उपयोगकर्ता ग्रिड की ऊपरी और निचली सीमा और ग्रिड की संख्या निर्धारित करने के लिए ग्रिड के मापदंडों को अनुकूलित और सेट कर सकते हैं। एक बार ग्रिड बन जाने के बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित कीमतों पर ऑर्डर खरीदेगा या बेचेगा।

मान लीजिए कि आप अगले 24 घंटों में बिटकॉइन की कीमत $50,000 से $60,000 के आसपास रहने की उम्मीद करते/करती हैं। इस मामले में, आप इस अनुमानित सीमा के अंदर व्यापार करने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग सिस्टम सेट कर सकते/सकती हैं।

  • मूल्य दायरा की ऊपरी और निचली सीमा,
  • कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर रखे जाने वाले ऑर्डर की संख्या,
  • प्रत्येक खरीद और बिक्री-सीमित ऑर्डर के बीच की चौड़ाई।

इस परिदृश्य में, जैसे ही बिटकॉइन की कीमत $ 55,000 तक गिरती है, ग्रिड ट्रेडिंग बॉट बाजार की तुलना में कम कीमत पर खरीद पोजीशन को जमा करेगा। जैसे ही कीमतों में सुधार होगा, बॉट बाजार की तुलना में अधिक कीमत पर बेचेगा। यह रणनीति अनिवार्य रूप से मूल्य प्रत्यावर्तन से लाभ का प्रयास करती है।

जोखिम चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने स्वयं के जोखिम पर किया जाता है। आपके द्वारा सुविधाओं के उपयोग किए जाने से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके प्रति उत्तरदायी नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि उपयोगकर्ताओं को ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए।

अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति सेट करें

यदि आप बायनेन्स एप का उपयोग कर रहे/रही हैं, तो [फ्यूचर्स] - [USDⓈ-M फ्यूचर्स] - [ग्रिड ट्रेडिंग]पर टैप करें।

2. रणनीति को निष्पादित करने के लिए एक संकेत चिह्न का चयन करें और ग्रिड मापदंड सेट करें। पुष्टि करने के लिए [बनाएं] पर क्लिक करें।

  1. जब आप वर्तमान में चयनित संकेत चिह्न पर ग्रिड ट्रेडिंग चला रहे/रही हों।
  2. जब आपके पास चयनित संकेत चिह्न पर ओपन ऑर्डर या पोजीशन हों।
  3. जब आप हेज पोजीशन मोड में हों, तो कृपया वन-वे मोड में समायोजित करें।
  4. जब आप काम करने की कुल मात्रा और ट्रिगर ग्रिड ट्रेडिंग की सीमा 10 से अधिक हो जाते/जाती हैं।

ग्रिड ट्रेडिंग युक्ति

उपयोगकर्ता तुरंत ग्रिड लिमिट ऑर्डर शुरू करना चुन सकते हैं या जब बाजार मूल्य एक निश्चित मूल्य पर पहुंच जाए तो ट्रिगर करना चुन सकते हैं। जब चयनित ट्रिगर मूल्य (अंतिम मूल्य या अंकित मूल्य) आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर मूल्य से ऊपर या नीचे गिर जाते हैं, तो ग्रिड ऑर्डर ट्रिगर हो जाएंगे।

प्रारंभिक संरचना नवीनतम बाजार मूल्य (खरीद, बिक्री, मध्य-मूल्य) के अनुसार मूल्य स्तरों की एक श्रृंखला निर्धारित करने के लिए है, बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री सीमित ऑर्डर दें, और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर एक खरीद सीमित ऑर्डर दें, और मूल्य के ट्रिगर होने की प्रतीक्षा करें।

ध्यान दें कि प्रारंभिक निर्माण के समय सीमित ऑर्डर की संख्या ग्रिड +1 की संख्या है क्योंकि कोई पोजीशन नहीं है। उनमें से एक (नवीनतम बाजार मूल्य के पास वाला) आरंभिक ओपनिंग ऑर्डर है जो निष्पादित होने की प्रतीक्षा कर रहा है;

तटस्थ ग्रिड के लिए, रणनीति बिना किसी प्रारंभिक पोजीशन के शुरू होगी। प्रारंभिक पोजीशन तब शुरू होगा जब बाजार प्रारंभिक निर्माण के बाद निकटतम मूल्य बिंदु से आगे व्यापार करेगा।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती हैं

आज हम समझेंगे Types of Trading Style कि हम कितने प्रकार से ट्रेडिंग कर सकते हैं जब एक बार आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का निर्णय ले लेते हैं तो उसके बाद सबसे बड़ा निर्णय यह होता है कि आप किस प्रकार की शेयर ट्रेडिंग करना चाहते हैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं आज इन्ही तरीकों को समझने का प्रयास करेंगे ट्रेडिंग करने का कोई सा भी तरीका बहुत ज्यादा अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि आपकी बाजार से उम्मीदें बाजार की जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए सही या गलत हो सकता है एक अच्छा ट्रेडिंग स्टाइल चुनने के लिए आपको आपके इमोशन Technical Analysis की जानकारी और ट्रेडिंग साइकोलॉजी का Analysis करना पड़ता है यह जानने के लिए कि कौन सा ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए अच्छा है ट्रेडिंग की शुरुआत में आप सभी ट्रेडिंग स्टाइल को ट्राई करके जरूर देखें और उसके बाद यह Analysis करिए कि कौन से ट्रेडिंग स्टाइल में आपका सक्सेस रेट अच्छा है उसके बाद जिस ट्रेडिंग स्टाइल पर आपको पूरा विश्वास है कि आप उसे सही तरीके से कर सकते हैं उसी ट्रेडिंग स्टाइल को चुनिए

तो चलिए अब हम कुछ ट्रेडिंग टाइप को समझ लेते हैं जो कि शेयर बाजार में बहुत ही पॉपुलर हैं सबसे पहले हम समझते हैं स्कल्पिन ट्रेडिंग को

दोस्तों यह ट्रेडिंग करने का सबसे छोटे समय का तरीका है स्कल्पिग ट्रेडिंग में शेयर्स को लेने के बाद कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटओं में बेच दिया जाता है इससे बाजार में जो छोटे-छोटे मोमेंट आते हैं उनका फायदा उठाया जाता है और बाजार के बंद होने तक बहुत सारे ट्रेड किए जाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए ABC शेयर का प्राइस ₹100 और आपने ₹100 के प्राइस पर 10000 शेयर खरीद लिए आप जैसे ही ABC शेयर का प्राइस ₹100 से बढ़कर ₹100.50 पैसे हो जाता है आप यह 10000 शेयर बेच देते हैं तो इसमें आपको ₹5000 का प्रॉफिट होगा इसे ही स्कल्पिग ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं दूसरा तरीका इसे कहते हैं BTSTऔर STBT मतलब कि Buy Today Sell Tomorrow, Sell Today Buy Tomorrow इस में शेयर्स को आज के दिन की आखरी कैंडल में खरीदा या बेचा जाता है और अगले दिन बाजार आज की कैंडल के क्लोज प्राइस से ज्यादा या कम ओपन होता है इसका फायदा उठाने को बीटीएसपी और एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

उदाहरण:- के लिए मान लीजिए कि abc शेयर का प्राइस आज 10% गिर चुका है और आपको Technical Analysis की मदद से यह लगता है कि कल शेयर और गिरेगा यह शेयर बहुत गिर चुका है कल यह थोड़ा सा ऊपर जाएगा तो इस आधार पर अगर आप आज शेयर खरीदारी करते हैं या बिकवाली करते हैं और कल बाजार खुलते ही Exit कर लेते हैं इसे ही बीटीएसटी एंड एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

अब हम समझते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग को जिसे day ट्रेडिंग भी कहते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग के अंदर शेयर्स को खरीदकर कुछ घंटों या मार्केट बंद होने से पहले बेंच दिया जाता है इसमें दिन के दरमियान आने वाले मोमेंट का फायदा उठाया जाता है

उदाहरण:- के लिए मान abc शेयर की कीमत ₹100 आपने इस शेयर को ₹100 की प्राइस पर खरीद लिया है अब बाजार बंद होने से पहले abc शेयर का जो भी प्राइस हो आपको प्रॉफिट हो या लॉस। बुक करके निकलना ही होगा इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं

हम समझते हैं स्विंग ट्रेडिंग को जब शेयर्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रखकर सेल कर दिया जाता है तो इससे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं उदाहरण:- के लिए मान लीजिए abc शेयर अभी 100 रुपए पर चल रहा है और शेयर ने आज ही breakout दिया है तो आने वाले 1 से 2 हफ्तों में जो शेयर का मोमेंट होगा उसका फायदा उठा कर पैसा कमाना स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है

अब हम समझते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग को इसमें किसी शेयर को खरीद कर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों या 1 साल के अंदर बेच दिया जाता है इसे पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं इसमें लंबे मूवमेंट का फायदा उठाकर प्रॉफिट कमाया जाता है

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि abc शेयर्स जिसका प्राइस ₹100 और अपने कंपनी के फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह जान लिया है कि abc शेयर आने वाले 8 से 10 महीनों में 140 से ₹150 तक जा सकता है और शेयर खरीदकर 10 महीने बाद बेच देते हैं इसे ही पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं मोमेंटम ट्रेडिंग को जब किसी शेयर में ब्रेक आउट होता है तो उस ब्रेकआउट पर ट्रेडिंग करने को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते हैं ब्रेकआउट कई प्रकार के होते हैं

ट्रेडिंग उदाहरण

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Cryptocurrency : क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, इसपर ट्रेडिंग के लिए कैसे खोलते हैं अकाउंट? जानें सबकुछ

Cryptocurrency Exchange क्रिप्टो इकोसिस्टम का बहुत ही अहम हिस्सा है. भारत में भी बहुत से क्रिप्टो एक्सचेंज काम करते हैं, हम आपको बता रहे हैं कि ये कैसे काम करते हैं और इनके साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोला जा सकता है.

Cryptocurrency : क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, इसपर ट्रेडिंग के लिए कैसे खोलते हैं अकाउंट? जानें सबकुछ

Cryptocurrency Exchange : क्रिप्टो एक्सचेंज किसी ब्रोकरेज फर्म की तरह होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट (Cryptocurrency Market) ने पिछले कुछ सालों में जबरदस्त तेजी से सुर्खियां हासिल की हैं, यहां तक कि जो लोग वर्चुअल करेंसी के कॉन्सेप्ट को लेकर नाक-भौं सिकोड़ते हैं, वो भी एक बार इसे देखे-जाने बिना नहीं रह पा रहे. सबसे बड़ी बात कि बहुत कम देश ऐसे हैं, जहां पिछले कुछ सालों में क्रिप्टो को उतनी पॉपुलैरिटी और ग्रोथ मिली है, जितनी इसे भारत में मिली (Cryptocurrency in India) है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टो को लेकर 'चिंताएं जताई थीं', लेकिन इसके बावजूद देश में क्रिप्टो का बाजार बड़ा ही हुआ है, खासकर पिछले एक साल में. लेकिन, लेकिन. हमें इसकी ग्रोथ और स्पीड को देखकर ही निवेश करना नहीं शुरू कर देना चाहिए, हमें इस बाजार के हर पहलू को समझना चाहिए. और इसी क्रम में हम इस लेख में आपको क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (Cryptocurrency Exchange) के बारे में बता रहे हैं, जो कि क्रिप्टो इकोसिस्टम का एक बहुत ही अहम हिस्सा है.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज क्या है?

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क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफॉर्म होता है, जहां क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग होती है. ट्रेडिंग में क्रिप्टो को दूसरे किसी असेट (यानी या तो कोई दूसरा क्रिप्टो कॉइन या टोकन, या फिर फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर वगैरह) की खरीद-बिक्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है. क्रिप्टो एक्सचेंज खरीददार और विक्रेता के बीच में इंटरमीडियरी यानी मध्यस्थ की तरह काम करते हैं. इनकी आय के स्रोत कमीशन और ट्रांजैक्शन फीस होती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज काम कैसे करता है?

एक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज किसी ब्रोकरेज फर्म की तरह काम करता है, यानी यह बायर और सेलर के बीच का माध्यम होता है. किसी एक्सचेंज के हिसाब से निवेशक पेमेंट के किसी भी माध्यम जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, कार्ड ट्रांजैक्शन, यूपीआई वगैरह से इसपर अपना पैसा डिपॉजिट कर सकते हैं, जिसे वहां से क्रिप्टो कॉइन या टोकन खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सुविधा उपलब्ध कराने के बदले निवेशक को क्रिप्टो एक्सचेंज को एक फीस देनी होती है.

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क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोलते हैं?

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के लिए ट्रेडिंग अकाउंट खोलना बहुत आसान है. लेकिन, ऐसा प्लेटफॉर्म ढूंढने के लिए, जो आपको बेसिक सुविधाएं तो दे ही, कुछ दूसरे बेनेफिट्स भी दे, इसके लिए आपको थोड़ी रिसर्च करनी पड़ेगी. मान लीजिए आप देश के पॉपुलर एक्सचेंज WazirX के साथ अपना अकाउंट खोलना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ये स्टेप फॉलो करने होंगे-

- अपने स्मार्टफोन में WazirX ऐप डाउनलोड करिए और इसकी वेबसाइट पर जाकर साइन अप करिए.
- साइन अप के लिए अपनी एक ईमेल आईडी डालिए और एक पासवर्ड सेट करिए.
- आपको इस ईमेल आईडी पर एक ईमेल आएगा, वहां जाइए, उसमें आपको Verify Email का ऑप्शन आएगा, जिसपर क्लिक करिए.
- इसके बाद आपके सामने चेकबॉक्स होगा, जिसपर क्लिक करने से पहले जरूरी है कि आप सभी टर्म्स एंड कंडीशन पढ़ लें. फिर चेकबॉक्स पर क्लिक करें.

लेकिन आपको ट्रेडिंग शुरू करने से पहले एक KYC (Know Your Customer) वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होगा, जोकि अलग-अलग एक्सचेंज पर अलग-अलग हो सकता ट्रेडिंग उदाहरण है.

क्रिप्टो एक्सचेंज क्या-क्या सुविधाएं देते हैं?

भारत में WazirX, CoinDCX, Binance और Unocoin जैसे एक्सचेंज सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं और इस्तेमाल किए जाते हैं. उदाहरण के लिए WazirX पर निवेशक क्रिप्टो कॉइन्स की आसानी से बाइंग, सेलिंग और ट्रेडिंग कर सकते हैं. WazirX निवेशकों को P2P (Peer-to-Peer) नेटवर्किंग की सुविधा भी देता है, जिसमें निवेशक सीधे दूसरे निवेशक के साथ ट्रेडिंग कर सकते हैं, इसमें उन्हें किसी थर्ड पार्टी और मध्यस्थ की जरूरत नहीं पड़ती है. सबसे दिलचस्प बात कि आप क्रिप्टो एक्सचेंज पर क्रिप्टो को फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर जैसी ट्रेडिशनल करेंसी में भी कन्वर्ट करा सकते हैं, जोकि कन्वर्जन के बाद निवेशक के सोर्स अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

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