स्टार्टअप में निवेश

जमीन से ज्यादा रिटर्न स्टार्टअप में: 5 साल पहले स्टार्टअप में डेढ़ लाख का इन्वेस्टमेंट अब 2.5 करोड़ हो गया
प्रदेश की स्टार्ट अप नीति लांच होने के पहले शासन-प्रशासन अब स्थानीय लोगों को स्टार्ट अप में निवेश करने के लिए लगातार आमंत्रित कर रही है। 13 मई को होने वाली पॉलिसी लांच कार्यक्रम के पहले कलेक्टर मनीष सिंह ने ब्रिलियंट कन्वेन्शन सेंटर में उद्योगपतियों के साथ बैठक की और कहा कि शहर के कई उद्योगपति और प्रोफेशनल जमीन में निवेश करते रहते हैं। इसके बजाए वह अब स्टार्टअप में निवेश करें तो उन्हें ज्यादा फायदा मिल सकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि इंदौर में एंजेल नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। वहीं इंदौर में इकोनॉमिक कॉरिडोर पर स्टार्टअप पार्क बनाया जा रहा है। डाटा सेंटर बनाने के प्रयास हो रहे हैं। इंदौर को स्टार्टअप का हब बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में डॉ. निशांत खरे ने कहा कि इंदौर में निवेशक विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। स्टार्टअप में स्टार्टअप में निवेश भी उन्हें निवेश करना चाहिए। स्टार्टअप में निवेश के उन्होंने फायदे भी बताएं। इंदौर में एक सपोर्ट सिस्टम भी डेवलप किया जा रहा है।
जमीन से ज्यादा रिटर्न स्टार्टअप में
10 प्रतिशत पैसा भी अगर स्टार्टअप में निवेश किया जाता है तो कुछ वर्षों में उससे कई गुना रिटर्न मिल सकता है। ऐसा शहर के कई निवेशकों के साथ हुआ है। किसी ने पांच साल पहले 1.5 लाख रुपये किसी स्टार्टअप में लगाए थे तो वह अब ढ़ाई करोड़ हो गए हैं। जमीन से ज्यादा रिटर्न स्टार्टअप में है। शहर का जो भी उद्योगपति स्टार्टअप में निवेश करना चाहते हैं, अब उनसे हम मिलेंगे और उन्हें स्टार्टअप के साथ बैठक कराएंगे।
संगठनों से बुलाई लिस्ट
स्टार्टअप नीति लांचिंग के साथ ही शासन प्रशासन अब शहर के उद्योगपति, डॉक्टर, सीए, इंजीनियर और रियल एस्टेट से जुड़े व्यापारियों को शहर के स्टार्टअप में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जिसके लिए शहर के सभी प्रमुख संगठनों से निवेश के लिए उत्सुक व्यक्तियों के नाम मंगाए गए हैं। हर संगठन को कहा गया है कि वे 25 से स्टार्टअप में निवेश 50 लोगों के नाम प्रशासन को दे।
2 साल में 1 करोड़ रुपए का निवेश
कार्यक्रम के बाद ग्रुप डिस्कशन हुआ जिसमें सावन लड्डा ने बताया कि स्टार्टअप को कब, क्यों और कैसे निवेश की आवश्यकता होती है। सावन ने कार्यक्रम में आए उद्योगपतियों और स्टार्टअप संचालकों को बताया कि 2 साल में 1 हजार करोड़ का निवेश इंदौर के स्टार्टअप में हुआ है।
Startups: स्टार्टअप में निवेश 40 फीसदी घटकर 6.8 अरब डॉलर
सौदों में 60% से अधिक का औसत आकार 50 लाख डॉलर रहा है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, कुल निवेश में 95 फीसदी मुंबई और एनसीआर के स्टार्टअप को मिला है।
लगातार तीन तिमाहियों में 10 अरब डॉलर से अधिक जुटाने के बाद घरेलू स्टार्टअप कंपनियों में इस साल की दूसरी अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निवेश 40 फीसदी घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया। भू-राजनीतिक संकट के कारण स्टार्टअप कंपनियों को मिलने वाले निवेश में कमी आई है। सौदों में 60% से अधिक का औसत आकार 50 लाख डॉलर रहा है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, कुल निवेश में 95 फीसदी मुंबई और एनसीआर के स्टार्टअप को मिला है। इस दौरान सिर्फ 4 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बनने में सफल रहे। वैश्विक स्तर पर 1,200 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टार्टअप में निवेश को सामान्य होने में एक से डेढ़ साल लग सकते हैं।
विदेशी निवेशकों ने 4,096 करोड़ निकाले
विदेशी संस्थागत निवेशक जुलाई में अब तक घरेलू शेयर बाजार से 4,096 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से इनकी बिकवाली में गिरावट आ रही है।
जनवरी से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2.21 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। 2008 में 52,987 करोड़ निकासी के बाद यह रिकॉर्ड है।
नई दिल्ली। बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच भारतीय बैंक संघ (आईबीए) सरकारी बैंकों (पीएसबी) में शीर्ष पदों के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए संघ ने बैंकिंग क्षेत्र की सलाहकार कंपनियों और संस्थानों से 30 जुलाई तक बोलियां मंगाई है। चयनित कंपनियां बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाएंगी। पूरी कवायद का मकसद भविष्य के लिए नेतृत्व प्रदान करने वाले अधिकारी तैयार करना है, जो डिजिटल रूप से दक्ष हों, रणनीतिक तरीके से सोच सकें और जो अच्छी टीम गठित कर सकें।
विस्तार
लगातार तीन तिमाहियों में 10 अरब डॉलर से अधिक जुटाने के बाद घरेलू स्टार्टअप कंपनियों में इस साल की दूसरी अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निवेश 40 फीसदी घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया। भू-राजनीतिक संकट के कारण स्टार्टअप कंपनियों को मिलने वाले निवेश में कमी आई है। सौदों में 60% से अधिक का औसत आकार 50 लाख डॉलर रहा है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, कुल निवेश में 95 फीसदी मुंबई और एनसीआर के स्टार्टअप को मिला है। इस दौरान सिर्फ 4 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बनने में सफल रहे। वैश्विक स्तर पर 1,200 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टार्टअप में निवेश को सामान्य होने में एक से डेढ़ साल लग सकते हैं।
विदेशी निवेशकों ने 4,096 करोड़ निकाले
विदेशी संस्थागत निवेशक जुलाई में अब तक घरेलू शेयर बाजार से 4,096 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से इनकी बिकवाली में गिरावट आ रही है।
जनवरी से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2.21 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। 2008 में 52,987 करोड़ निकासी के बाद यह रिकॉर्ड है।
नई दिल्ली। बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच भारतीय बैंक संघ (आईबीए) सरकारी बैंकों (पीएसबी) में शीर्ष पदों के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए संघ ने बैंकिंग क्षेत्र की सलाहकार कंपनियों और संस्थानों से 30 जुलाई तक बोलियां मंगाई है। चयनित कंपनियां बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाएंगी। पूरी कवायद का मकसद भविष्य के लिए नेतृत्व प्रदान करने वाले अधिकारी तैयार करना है, जो डिजिटल रूप से दक्ष हों, रणनीतिक तरीके से सोच सकें और जो अच्छी टीम गठित कर सकें।
स्टार्टअप इंडिया - एक स्टार्टअप क्रांति की शुरुआत
स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका स्टार्टअप में निवेश उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।
स्टार्टअप एक इकाई है, जो भारत में पांच साल से अधिक से पंजीकृत नहीं है और जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। यह एक इकाई है जो प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा से प्रेरित नये उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, प्रविस्तारण या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है।
सरकार द्वारा इस संबंध में घोषित कार्य योजना स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं को संबोधित करने और इस आंदोलन के प्रसार में तेजी लाने की उम्मीद करती है।
आप भी बन सकते हैं स्टार्टअप की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा, जानें कैसे करें निवेश
How to invest in Startups: कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें सामान्य से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा
- Khushboo Tiwari
- Updated On - June 15, 2021 / 04:30 PM IST
Successful Startups: पेटीएम (Paytm), फ्लिपकार्ट (Flipkart) से लेकर जोमैटो (Zomato) अब शेयर बाजार पर लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं. इनके IPO को बंपर रेस्पॉन्स की उम्मीदें अभी से हैं. स्टार्टअप्स के तौर पर शुरू हुए इन कारोबार ने बुलिंदियां हासिल कीं और अब भारत हर महीने नए युनिकॉर्न बन रहे हैं.
युनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप्स होते हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर को पार कर चुकी है. अब जब ये सफल हो चुकी हैं तो इनकी लिस्टिंग के बाद रिटेल निवेशक इनमें खरीदारी कर सकते हैं. लेकिन, अगर वाकई स्टार्टअप्स की ग्रोथ स्टोरी पर आपको भरोसा है तो आप शुरुआती स्टेज में भी निवेश कर सकते हैं.
ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें निवेश के लिए आपको सामान्य तौर से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा और रिस्क भी ज्यादा रहेगा. कई सफल स्टार्टअप्स ने अपनी शुरुआत क्राउडफंडिंग से ही की है.
भारत में ही देखें तो DPIIT के तहत 50,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर हो चुके हैं और इन स्टार्टअप्स ने लाखों को रोजगार दिया है. इन स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने के लिए चाहिए फंडिंग जो कई वेंचर कैपिटल्स के जरिए जुटाई जाती है.
आम निवेशक भी अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर सकते हैं. ध्यान रहे, ये निवेश भी SEBI और रेगुलेटरी के अंतरगत आते हैं.
Startup Investments: ये प्लेटफॉर्म आएंगे काम
लेट्स वेंचर (Let’s Venture)
इस प्लेटफॉर्म पर आप पेपरवर्क आसानी से कर सकते हैं और साथ ही कंपनी के हर तिमाही के नतीजे – मुनाफे और आय की जानकारी, युनिट्स का प्रदर्शन जैसी जानकारी पा सकते हैं. आपके निवेश की वैल्यूएशन की सालाना रिपोर्ट भी पा सकते हैं. साइन-अप करने के बाद आप अपने पसंद के स्टार्टअप चुन सकते हैं, और फाउंडर्स के साथ सवाल जवाब भी कर सकते हैं. हालांकि, इस प्लेटफॉर्म पर निवेश के लिए कम से कम 5 लाख रुपये से शुरू करना होगा. जब राउंड में जुटाई जा रही पूरी रकम इकट्ठा हो जाएगी तब आपका निवेश सफल होगा. पूरी कानूनी प्रक्रिया प्लेटफॉर्म की ओर से की जाती है और उसके बाद ही फंड ट्रांसफर करना होता है.
रिपब्लिक (Republic)
ये प्लेटफॉर्म वीडियो गेम्स, क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट और अन्य स्टार्टअप्स (startups) में निवेश का मौका देता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म के जरिए 10 डॉलर जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. हालांकि, ज्यादातर कंपनियां 50 डॉलर से 250 डॉलर तक का कम से कम निवेश एक्सेप्ट करती हैं. प्लेटफॉर्म पर आप स्टार्टअप का प्रोफाइल, उनके पिच देख सकते हैं. छोटा निवेश होने से आप ज्यादा स्टार्टअप्स में डायवर्सिफाई कर सकते हैं. प्लेटफॉर्म का कहना है कि यहां लिस्टेड हर स्टार्टअप में वे खुद भी निवेश करते हैं.
एंजल लिस्ट इंडिया और एंजल लिस्ट अमेरिका (AngelList)
एंजल लिस्ट इंडिया के जरिए भी आप प्री-आईपीओ कंपनियों और स्टार्टअप्स में निवेश कर सकते हैं. ये सिंडिकेट्स और एंजल फंड्स के जरिए निवेश का मौका देते हैं, लेकिन, इसमें निवेश के लिए आपकी एलिजिबिलिटी होनी चाहिए. इंडिवुजुअल निवेशक का नेट टैंजिबल एसेट कम से कम 2 करोड़ रुपये होना चाहिए और अगर वे किसी सीनियर मैनजेमेंट पोजिशन में है या उन्हें बिजनेस का अनुभव है. या फिर, उनके पास अर्ली स्टेज स्टार्टअप्स में निवेश का कुछ अनुभव है.
बतौर एक कॉरपोरेट बॉडी भी इसमें निवेश किया जा सकता है जिसका नेट वर्थ 10 करोड़ रुपये हो. वहीं, अगर आप अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगाने चाहते हैं तो उसके लिए एलिजिबिलिटी अलग है. इसके लिए इंडिविजुअल की नेट वर्थ 10 लाख डॉलर (1 मिलियन डॉलर) होनी चाहिए.
निवेश से पहले दें ध्यान
एंजल इन्वेस्टर और मेंटर अजीत खुराना कहते हैं कि बेस्ट मैनेजमेंट और ग्रोथ और मुनाफे की सबसे बेहतरीन स्टार्टअप्स जरूरी नहीं कि आपको इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर मिलें. ये अधिकतर आपसी पहचान के बीच ही पैसे जुटाती हैं. इसके लिए नेटवर्किंग जरूरी है ताकि आप खुद पहचान सकें कि कौन सी कंपनियां फंड जुटाने पर काम कर रही हैं और उनमें कैसे निवेश हो रहा है. वे कहते हैं कि अगर आप प्लेटफॉर्म और एंजल प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर रहे हैं तो जान लें कि ये एक पूल ऑफ फंड की तरह काम करेगा. आप भले 1 लाख रुपये के निवेश से शुरू कर रहे हों, लेकिन आगे और निवेश करने के लिए तैयार रहें. ये रेगुलेटरी जरूरत है.
कितना समय इंतजार करना होगा?
दो तरह से आप स्टार्टअप में निवेश कर सकते हैं – एक तो जैसे आप लिस्टेड कंपनियों में निवेश करते हैं – आपने निवेश किया और छोड़ दिया. वहीं, दूसरी ओर आप उन कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा भी बन सकते हैं जैसे उनका नेटवर्क बड़ा करने में मदद करें, उन्हें क्लाइंट्स, पार्टनरशिप और कर्मचारियों से संपर्क में ला सकते हैं.
खुराना कहते हैं कि स्टार्टअप्स (startups) में किए अपने निवेश पर कुछ रिटर्न पाने के लिए आपको कम से कम 3 से 5 साल तक का समय लग सकता है. वे मानते हैं कि भारत में स्टार्टअप्स को लेकर फॉर्मल डेटा की कमी है, लेकिन अगर अमेरिकी बाजार को देखें तो स्टार्टअप एक ऐसा सेक्टर हैं जहां रिटर्न इंडेक्स निगेटिव है – यानी कई लोगों के पैसे स्टार्टअप में निवेश का घाटा भी हो रहा है. यही हाल भारत में भी है.
स्टार्टअप निवेश में जोखिम जरूर है. लेकिन, आप अगर उनके इस सफर में ग्रोथ की तरफ साथ देना चाहते हैं तो आप उनके बिजनेस की मदद कर सकते हैं. जो लोग स्टार्टअप में बतौर ऐसेट क्लास निवेश करना चाहते हैं उन्हें रिटर्न के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन, जो लोग इसे बतौर प्रोफेशन चुनकर इन स्टार्टअप्स की ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए बड़ी कमाई का मौका है.
स्टार्टअप निवेश, कितना जोखिम?
अजीत खुराना के मुताबिक आप जितनी जल्दी किसी स्टार्टअप (startups) में निवेश कर रहे हैं जोखिम उतना ही बड़ा है. अगर आप आइडिया स्टेज पर ही स्टार्टअप में निवेश करते हैं तो बेहद कम रकम में लगा पाएंगे लेकिन रिस्क भी उतना ही होगा. वहीं, अगर ये स्टार्टअप सफल हो जाता है तो कमाई भी उतनी ही बड़ी होगी. स्टार्टअप के शुरू होने के बाद उसमें निवेश करेंगे तो रिस्क कम रहेगा, सफलता की गुंजाइश भी होगी लेकिन थोड़ा ज्यादा पैसा लगाना पड़ सकता है और रिटर्न भी कम रहेगा.
सफल होने वाले स्टार्टअप की पहचान कैसे हो?
आज के दौर में सबसे ज्यादा सफल स्टार्टअप बिजनेस को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने पहले से ही मौजूद बिजनेस को और आसान बनाया और इसी में इन्हें ग्रोथ मिली. खुराना उदारहण के तौर पर बताते हैं कि फ्लिपकार्ट ने पहले से मौजूद रिटेल बिजनेस को बस ऑनलाइन लाने का काम किया, ठीक ऐसे ही ओला ने पहले से मौजूद कैब सर्विस का फायदा उठाना आसान बनाया. सफल होने का मंत्र है कि टेक्नोलॉजी के जरिए पहले से मौजूद जरूरतों और दिक्कतों का हल निकाला जाए, उन्हें आसान बनाकर उनमें बिजनेस का मौका खोला जाए.
आप भी बन सकते हैं स्टार्टअप की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा, जानें कैसे करें निवेश
How to invest in Startups: कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें सामान्य से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा
- Khushboo Tiwari
- Updated On - June 15, 2021 / 04:30 PM IST
Successful Startups: पेटीएम (Paytm), फ्लिपकार्ट (Flipkart) से लेकर जोमैटो (Zomato) अब शेयर बाजार पर लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं. इनके IPO को बंपर रेस्पॉन्स की उम्मीदें अभी से हैं. स्टार्टअप्स के तौर पर शुरू हुए इन कारोबार ने बुलिंदियां हासिल कीं और अब भारत हर महीने नए युनिकॉर्न बन रहे हैं.
युनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप्स होते हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर को पार कर चुकी है. अब जब ये सफल हो चुकी हैं तो इनकी लिस्टिंग के बाद रिटेल निवेशक इनमें खरीदारी कर सकते हैं. लेकिन, अगर वाकई स्टार्टअप्स की ग्रोथ स्टोरी पर आपको भरोसा है तो आप शुरुआती स्टेज में भी निवेश कर सकते हैं.
ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें निवेश के लिए आपको सामान्य तौर से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा और रिस्क भी ज्यादा रहेगा. कई सफल स्टार्टअप्स ने अपनी शुरुआत क्राउडफंडिंग से ही की है.
भारत में ही देखें तो DPIIT के तहत 50,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर हो चुके हैं और इन स्टार्टअप्स ने लाखों को रोजगार दिया है. इन स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने के लिए चाहिए फंडिंग जो कई वेंचर कैपिटल्स के जरिए जुटाई जाती है.
आम निवेशक भी अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर सकते हैं. ध्यान रहे, ये निवेश भी SEBI और रेगुलेटरी के अंतरगत आते हैं.
Startup Investments: ये प्लेटफॉर्म आएंगे काम
लेट्स वेंचर (Let’s Venture)
इस प्लेटफॉर्म पर आप पेपरवर्क आसानी से कर सकते हैं और साथ ही कंपनी के हर तिमाही के नतीजे – मुनाफे और आय की जानकारी, युनिट्स का प्रदर्शन जैसी जानकारी पा सकते हैं. आपके निवेश की वैल्यूएशन की सालाना रिपोर्ट भी पा सकते हैं. साइन-अप करने के बाद आप अपने पसंद के स्टार्टअप चुन सकते हैं, और फाउंडर्स के साथ सवाल जवाब भी कर सकते हैं. हालांकि, इस प्लेटफॉर्म पर निवेश के लिए कम से कम 5 लाख रुपये से शुरू करना होगा. जब राउंड में जुटाई जा रही पूरी रकम इकट्ठा हो जाएगी तब स्टार्टअप में निवेश आपका निवेश सफल होगा. पूरी कानूनी प्रक्रिया प्लेटफॉर्म की ओर से की जाती है और उसके बाद ही फंड ट्रांसफर करना होता है.
रिपब्लिक (Republic)
ये प्लेटफॉर्म वीडियो गेम्स, क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट और अन्य स्टार्टअप्स (startups) में निवेश का मौका देता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म के जरिए 10 डॉलर जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. हालांकि, ज्यादातर कंपनियां 50 डॉलर से 250 डॉलर तक का कम से कम निवेश एक्सेप्ट करती हैं. प्लेटफॉर्म पर आप स्टार्टअप का प्रोफाइल, उनके पिच देख सकते हैं. छोटा निवेश होने से आप ज्यादा स्टार्टअप्स में डायवर्सिफाई कर सकते हैं. प्लेटफॉर्म का कहना है कि यहां लिस्टेड हर स्टार्टअप में वे खुद भी निवेश करते हैं.
एंजल लिस्ट इंडिया और एंजल लिस्ट अमेरिका (AngelList)
एंजल लिस्ट इंडिया के जरिए भी आप प्री-आईपीओ कंपनियों और स्टार्टअप्स में निवेश कर सकते हैं. ये सिंडिकेट्स और एंजल फंड्स के जरिए निवेश का मौका देते हैं, लेकिन, इसमें निवेश के लिए आपकी एलिजिबिलिटी होनी चाहिए. इंडिवुजुअल निवेशक का नेट टैंजिबल एसेट कम से कम 2 करोड़ रुपये होना चाहिए और अगर वे किसी सीनियर मैनजेमेंट पोजिशन में है या उन्हें बिजनेस का अनुभव है. या फिर, उनके पास अर्ली स्टेज स्टार्टअप्स में निवेश का कुछ अनुभव है.
बतौर एक कॉरपोरेट बॉडी भी इसमें निवेश किया जा सकता है जिसका नेट वर्थ 10 करोड़ रुपये हो. वहीं, अगर आप अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगाने चाहते हैं तो उसके लिए एलिजिबिलिटी अलग है. इसके लिए इंडिविजुअल की नेट वर्थ 10 लाख डॉलर (1 मिलियन डॉलर) होनी चाहिए.
निवेश से पहले दें ध्यान
एंजल इन्वेस्टर और मेंटर अजीत खुराना कहते हैं कि बेस्ट मैनेजमेंट और ग्रोथ और मुनाफे की सबसे बेहतरीन स्टार्टअप्स जरूरी नहीं कि आपको इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर मिलें. ये अधिकतर आपसी पहचान के बीच ही पैसे जुटाती हैं. इसके लिए नेटवर्किंग जरूरी है ताकि आप खुद पहचान सकें कि कौन सी कंपनियां फंड जुटाने पर काम कर रही हैं और उनमें कैसे निवेश हो रहा है. वे कहते हैं कि अगर आप प्लेटफॉर्म और एंजल प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर रहे हैं तो जान लें कि ये एक पूल ऑफ फंड की तरह काम करेगा. आप भले 1 लाख रुपये के निवेश से शुरू कर रहे हों, लेकिन आगे और निवेश करने के लिए तैयार रहें. ये रेगुलेटरी जरूरत है.
कितना समय इंतजार करना होगा?
दो तरह से आप स्टार्टअप में निवेश कर सकते हैं – एक तो जैसे आप लिस्टेड कंपनियों में निवेश करते हैं – आपने निवेश किया और छोड़ दिया. वहीं, दूसरी ओर आप उन कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा भी बन सकते हैं जैसे उनका नेटवर्क बड़ा करने में मदद करें, उन्हें क्लाइंट्स, पार्टनरशिप और कर्मचारियों से संपर्क में ला सकते हैं.
खुराना कहते हैं कि स्टार्टअप में निवेश स्टार्टअप में निवेश स्टार्टअप्स (startups) में किए अपने निवेश पर कुछ रिटर्न पाने के लिए आपको कम से कम 3 से 5 साल तक का समय लग सकता है. वे मानते हैं कि भारत में स्टार्टअप्स को लेकर फॉर्मल डेटा की कमी है, लेकिन अगर अमेरिकी बाजार को देखें तो स्टार्टअप एक ऐसा सेक्टर हैं जहां रिटर्न इंडेक्स निगेटिव है – यानी कई लोगों के पैसे का घाटा भी हो रहा है. यही हाल भारत में भी है.
स्टार्टअप निवेश में जोखिम जरूर है. लेकिन, आप अगर उनके इस सफर में ग्रोथ की तरफ साथ देना चाहते हैं तो आप उनके बिजनेस की मदद कर सकते हैं. जो लोग स्टार्टअप में बतौर ऐसेट क्लास निवेश करना चाहते हैं उन्हें रिटर्न के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन, जो लोग इसे बतौर प्रोफेशन चुनकर इन स्टार्टअप्स की ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए बड़ी कमाई का मौका है.
स्टार्टअप निवेश, कितना जोखिम?
अजीत खुराना के मुताबिक आप जितनी जल्दी किसी स्टार्टअप (startups) में निवेश कर रहे हैं जोखिम उतना ही बड़ा है. अगर आप आइडिया स्टेज पर ही स्टार्टअप में निवेश करते हैं तो बेहद कम रकम में लगा पाएंगे लेकिन रिस्क भी उतना ही होगा. वहीं, अगर ये स्टार्टअप सफल हो जाता है तो कमाई भी उतनी ही बड़ी होगी. स्टार्टअप के शुरू होने के बाद उसमें निवेश करेंगे तो रिस्क कम रहेगा, सफलता की गुंजाइश भी होगी लेकिन थोड़ा ज्यादा पैसा लगाना पड़ सकता है और रिटर्न भी कम रहेगा.
सफल होने वाले स्टार्टअप की पहचान कैसे हो?
आज के दौर में सबसे ज्यादा सफल स्टार्टअप बिजनेस को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने पहले से ही मौजूद बिजनेस को और आसान बनाया और इसी में इन्हें ग्रोथ मिली. खुराना उदारहण के तौर पर बताते हैं कि फ्लिपकार्ट ने पहले से मौजूद रिटेल बिजनेस को बस ऑनलाइन लाने का काम किया, ठीक ऐसे ही ओला ने पहले से मौजूद कैब सर्विस का फायदा उठाना आसान बनाया. सफल होने का मंत्र है कि टेक्नोलॉजी के जरिए पहले से मौजूद जरूरतों और दिक्कतों का हल निकाला जाए, उन्हें आसान बनाकर उनमें बिजनेस का मौका खोला जाए.