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बाजार विभाजन

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मृतका के पति अशोक यादव ने कहा कि मेरी पत्नी नीलम देवी बाजार गई थी. हम लोगों की शकील से पहले कोई दुश्मनी नहीं थी, लेकिन इस तरह का हादसा होना मेरे समझ से परे है.

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महिला की बेरहमी से काटकर हत्या, कातिल दरिंदे पर खून सवार हुआ, इलाके में सनसनी

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला की बाजार में सरेआम धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई. बीच बाजार हुई घटना से इलाके में दहशत फैल गई. सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

जानकारी के अनुसार, महिला पीरपैंती बाजार गई हुई थी. इस दौरान सिंधिया पुल के पास शनिवार को बाजार के शकील मियां नाम के आरोपी ने धारदार हथियार से महिला पर हमला कर दिया. शकील धारदार हथियार को गमछे में छिपाए हुए था. उसने ताबड़तोड़ प्रहार कर महिला के ब्रेस्ट, हाथ पैर और कान काट डाले.

जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक वह महिला को क्षत-विक्षत कर वहां से हथियार लहराता हुआ भाग निकला. बाजार में लोगों ने उसे पहचान लिया और घटना की जानकारी महिला के पति छोटी दीलोरी निवासी अशोक यादव को दी.

भारत में हुंडई आयोनिक 5 इलेक्ट्रिक की बुकिंग 20 दिसंबर से होगी शुरू

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हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने आज एक प्रेस बयान जारी कर घोषणा की है कि आयोनिक 5 की बुकिंग स्थानीय स्तर पर 20 दिसंबर, 2022 से शुरू होगी। देश के दूसरे सबसे बड़े कार निर्माता ने अत्यधिक लोकप्रिय वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन के कुछ फीचर्स भी जारी किए हैं। आयोनिक 5 इलेक्ट्रिक को 2022 वर्ल्ड कार ऑफ द ईयर चुना गया है।

हुंडई आयोनिक 5 समर्पित E-GMP स्केटबोर्ड प्लेटफॉर्म पर आधारित पहला वाहन है। ब्रांड ने ईको-प्रोसेस्ड लेदर, रीसाइकिल की हुई बोतलें जो कपड़े में बदल जाती हैं, फूलों को पेंट में बदल दिया है और पौधों को हेडलाइनिंग और कालीनों के घटकों में बदल दिया है ताकि आयोनिक 5 इलेक्ट्रिक की पर्यावरण-मित्रता पर जोर दिया बाजार विभाजन जा सके।

पाकिस्‍तान के नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की भारत के लिहाज से क्‍या है प्रासंगिकता.

पाकिस्‍तान के नए सेना प्रमुख असीम मुनीर की भारत के लिहाज से क्‍या है प्रासंगिकता.

असीम मुनीर पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख भी रह चुके हैं

पाकिस्‍तान ने लेफ्टिनेंट-जनरल असीम मुनीर को सेना का प्रमुख नियुक्‍त किया है. इस नियुक्ति का पाकिस्तान के नाजुक लोकतंत्र के भविष्य पर महत्वपूर्ण असर होने की संभावना है. इस नियुक्ति से क्या भारत के साथ पाकिस्‍तान के संबंध भी सुधरेंगे, इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्‍दबाजी होगी. रॉयटर्स के अनुसार, आजादी के 75 वर्षों के दौरान और भारत के साथ विभाजन के बाद पाकिस्तान के गठन के दौरान सेना ने तीन बार सत्ता पर कब्जा किया और तीन दशकों से अधिक समय तक सीधे तौर पर इस्लामी गणराज्य पर शासन किया. इस दौरान पाकिस्‍तान ने भारत के साथ तीन युद्ध भी लड़े. यहां तक ​​​​कि जब भी पाकिस्‍तान में लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में होती है, तब भी मुल्‍क के जनरलों का सुरक्षा और विदेशी मामलों पर काफी प्रभाव रहता है.

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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मुनीर, छह साल के कार्यकाल के बाद इस महीने के आखिर में रिटायर हो रहे जनरल कमर जावेद बाजवा का स्थान लेंगे. पाकिस्तान में तीन साल के लिए सेना प्रमुख की नियुक्ति की जाती है, लेकिन कई सेना प्रमुखों को सेवा विस्तार मिला है. इस फेहरिस्त में वर्तमान सेना प्रमुख जरनल बाजवा का नाम भी शामिल है, जिन्हें नवंबर 2016 में इस पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन साल 2019 में उन्हें तीन वर्ष के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया. मुनीर की बात करें तो उन्‍होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK)और पाकिस्तान के अहम वित्तीय सहयोगी सऊदी अरब में भी सेवा दी है. पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) प्रमुख के तौर पर असीम मुनीर की नियुक्ति हुई थी लेकिन वह इस पद पर केवल 8 महीने टिक सके. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर उन्हें पद से हटा कर लेफ्टिनेंट-जनरल फैज़ हमीद को ISI प्रमुख बना दिया गया था. उन्‍हें हटाने का कोई कारण नहीं बताया गया था.

World Computer Literacy Day 2022 : 11 हजार लोगों ने गढ़बो डिजिटल से सीखा कंप्यूटर, बजट नहीं होने से बंद के कगार में योजना

World Computer Literacy Day 2022 : "विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस" भारतीय प्रोफेशनल कॉरपोरेशन NIIT ने शुरु किया था. जिसे वर्ष 2001 में मान्यता मिली. NIIT के 20वें स्मरणोत्सव को दर्शाता "विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस" डिजिटल क्रांति को आगे बढ़ाते हुए डिजिटल विभाजन को कम करना है.

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World Computer Literacy Day 2022 : तेजी से बढ़ती हुई डिजिटल तकनीक और डिजिटल भविष्य को ध्यान में रखते हुए कंप्यूटर का ज्ञान होना अति आवश्यक हो गया है. आज लोगों के हाथ में मोबाइल फोन और बढ़िया फीचर्स वाले स्मार्टफोन हैं, जिनमें कंप्यूटर जैसी खास सुविधा है."विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस" भारतीय प्रोफेशनल कॉरपोरेशन NIIT ने शुरु किया था. जिसे वर्ष 2001 में मान्यता मिली. NIIT के 20वें स्मरणोत्सव को दर्शाता "विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस" डिजिटल क्रांति को आगे बढ़ाते हुए डिजिटल विभाजन को कम करना है.

MCD Election 2022: बीजेपी-आप एक-दूसरे पर उंगली उठाने में मशगूल, कोई नहीं कर रहा राजधानी की समस्याओं की बातें

फोटो: सोशल मीडिया

सैय्यद खुर्रम रज़ा

2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब दिवंगत) शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम का तीन हिस्सों में विभाजन किया था, तो उनके दिमाग में दिल्ली के हित भी थे। तब कहा गया था कि दिल्ली आबादी के लिहाज से बढ़ रही है और उस हिसाब से सफाई, देखरेख, ट्रैफिक आदि समस्याएं बढ़ रही हैं इसलिए निगम का विभाजन बहुत जरूरी है। आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि विभाजन से जन्म लेने वाली समस्याओं के समाधान के लिए निगम को दोबारा एक तो किया गया है लेकिन क्या वाकई यह समस्या का समाधान है या वोट की राजनीति से प्रेरित है। हो सकता है कि शीला दीक्षित ने विभाजन के वक्त अपने राजनीतिक लाभ को दिमाग में रखा होगा लेकिन इसमें शक नहीं कि उन्होंने दिल्ली के लोगों के हितों को नजरंदाज नहीं किया था।

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निगम चुनाव पर पूरे मुल्क की नजर इसलिए भी है कि दिल्ली में होने वाली किसी भी राजनीतिक गतिविधि का असर पूरे देश में देखने को मिलता है। वैसे भी, बीजेपी और आम आदमी पार्टी- दोनों ही 24 घंटे 365 दिन चुनावी राजनीति के मोड में रहती हैं बल्कि इस मामले में दोनों एक-दूसरे से होड़ करती रहती हैं। बीजेपी की जननी जनसंघ ने सबसे पहला चुनाव दिल्ली नगर निगम का ही जीता था और उसके बाद देश की राजनीति में एक नए दल के तौर पर कदम रखा था। वरिष्ठ पत्रकार दिलबर गोठी कहते भी हैं कि ’1958 का 80 सदस्यों वाला नगर निगम कभी तीन हिस्सों में बंटा और अब फिर एक हो गया है। सदस्यों की संख्या 272 बाजार विभाजन तक बढ़ते हुए अब घटकर 250 पर आ गई है।’ ऐसे में यह चुनाव दिलचस्प हो गया है।

आम आदमी पार्टी ने साल 2013 में दिल्ली की सत्ता संभाली और तब से दिल्ली की राजनीति में एक बड़ी तब्दीली आई है। वैसे, दिल्ली मुख्य तौर पर दो राजनीतिक दलों- कांग्रेस तथा बीजेपी का गढ़ मन जाता था लेकिन आम आदमी पार्टी अब महत्वपूर्ण तीसरी खिलाड़ी है। उसकी आकांक्षा पूरे देश में अपना दबदबा बनाने की है। पंजाब में भी उसकी सरकार है। दिल्ली में चाहे वह संसद की कोई सीट जीतने में नाकाम रही हो और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव में कोई सीट न जीत पाई हो लेकिन वह कम-से-कम निगम पर कब्जा करना चाहती है जबकि बीजेपी निगम से अपनी सत्ता जाने नहीं देना चाहती। दिल्ली की सत्ता में आने के बावजूद आम आदमी पार्टी 2017 में बीजेपी को मात नहीं दे पाई थी। बीजेपी निगम पर पिछले 15 वर्ष से काबिज है।

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प्रचार कम-से-कम सोशल मीडिया पर तो पूरे शबाब पर है। तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप और अपने-अपने दावे-वादे वाले वीडियो लगभग हर व्यक्ति के फोन-वाट्सएप पर हैं। चूंकि केन्द्र और निगम में बीजेपी तथा दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में है इसलिए उनके कामकाज के परीक्षण का यह मौका है और इसलिए अपने बचाव में दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर ज्यादा से ज्यादा उंगली उठा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इन चुनावों में जहां अपने स्कूल और मोहल्ला क्लिनिक के ’बेहतर’ होने को तो शो केस कर ही रही है, वहीं कूड़े के पहाड़ और निगम के कर्मचारियों की तनख्वाहों को मुद्दा बना रही है। दूसरी तरफ, बीजेपी वही पुराने और आजमाए हुए तरीके- मोदी के चेहरे को आगे कर रही है। वह नहीं चाहती कि कूड़े, नगर निगम के स्कूलों, अस्पतालों, गलियों-कूचों के रखरखाव, प्रॉपर्टी टैक्स, पार्क या पार्किंग वगैरह पर ज्यादा बात हो क्योंकि ये उसकी कमजोर नसें हैं। इसीलिए वह आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी के टिकट बेचने की खबर और मंत्री सत्येंद्र जैन की जेल से जारी वीडियो को उसने मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया है। उधर, कांग्रेस विकास को ही मुख्य बाजार विभाजन मुद्दा बनाने की कोशिश में है। शीला दीक्षित के कामकाज को वोटरों के बीच रखकर वह उन दिनों की यादें उभार रही है जब दिल्ली का वास्तविक विकास हो रहा था। वह प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की बात तो कर ही रही है, उसने दिल्ली में बिजली में भ्रष्टाचार बाजार विभाजन से होने वाले नुकसान को मुद्दा बनाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व बिजली मंत्री अजय माकन का कहना है कि ’केजरीवाल सरकार का बिजली मॉडल बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का मॉडल है क्योंकि दिल्ली में बिजली के निजीकरण बिजली की चोरी आई कमी का फायदा लोगों को न मिलकर बिजली की निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। साथ में 30 प्रतिशत फर्जी सब्सिडी ग्राहक हैं जिनका पैसे का कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा। आखिर, दिल्ली में बिजली की चोरी सबसे कम होने के बावजूद इसके रेट सबसे ज्यादा क्यों हैं? ज्यादा रेट होने की वजह से दिल्ली में मैन्युफैक्चरिंग यूनिटें बंद हुई हैं और इसी कारण दिल्ली में बेरोजगारी जबरदस्त बढ़ी है।’

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