स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने

स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने
एक consolidation phase के बाद, यदि स्टॉक दैनिक समय सीमा में momentum candle के साथ सीमा को तोड़ता है और नई उच्च ऊंचाई बनाता है, तो आप इसे अपनी watchlist में जोड़ सकते हैं।
Momentum stocks :-
जब कीमत और वॉल्यूम दोनों ही शेयरों में एक साथ ट्रिगर देते हैं, तो यह संभावित रूप से किसी बड़े कदम का संकेत दे सकता है।percentage change parameters can be changes .
fake out reversals:-
जब स्टॉक दैनिक समय सीमा में किसी भी (key level) पर एक fake ब्रेकआउट करता है और फिर अपनी प्रवृत्ति को नीचे से ऊपर की ओर बदलता है,आप उस स्टॉक को trade entry के लिए ट्रैक कर सकते हैं।
important part:-
1. multi-timeframe analysis |
2. सही प्रवेश बिंदु खोजें।सही position size और SL बनाए रखें
3. समय के साथ trade करें।
4.यह जाने कि लाभ कब बुक करना है (profit)।
5.अंत में निकास योजना बनाये ।
आपको प्राइस एक्शन स्ट्रैटेजी सीखनी होगी, इससे आपको ट्रेड के लिए बेस्ट स्टॉक चुनने में मदद मिलेगी
हमने हिंदी में इस बारे में डिटेल में बताया हुआ है।
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हम आपको Swing Trading के बारे में detail में जानकारी देंगे , जिससे आप आसानी से स्विंग ट्रेडिंग करके एक साइड इनकम बना सकेंगे।
स्विंग ट्रेडिंग क्या है और कैसे करे? Swing Trading in Hindi
आज बहुत सारे लोग शेयर मार्केट कि ओर आकर्षित हो रहे है। एक नए ट्रेडर को हमेशा से ही इंट्राडे और स्विंग ट्रेडिंग को लेकर काफी डाउट रहते है। पिछले पोस्ट में हमने इंट्राडे क्या है, इस विषय पर चर्चा किया था। आज इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्राडिंग के ऊपर बात करेंगे। आज इस पोस्ट में हम जानेंगे स्विंग ट्रेडिंग क्या है, स्विंग ट्रेडिंग कैसे करते है ओर भी स्विंग ट्रेडिंग से जुड़ी बातें।
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[संपूर्ण जानकारी]
स्विंग ट्रेडिंग क्या है? Swing Trading in Hindi
लोग इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग को एक ही समझ लेता है। लेकिन दोनों काफी भिन्न है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में आप स्टॉक को intraday में खरीदते है और एक दिन अंदर ही उसे सेल करना होता है।
लेकिन स्विंग में आप स्टॉक को कुछ समय के होल्ड कर पाते है। अगर आप किसी स्टॉक को खरीदकर एक दिन से ज्यादा समय तक होल्ड करते हो तो उसे स्विंग ट्राडिंग कहा जाता है।
अगर आप किसी भी स्टॉक को एक दिन या उससे ज्यादा समय या कुछ हप्ते तक होल्ड करते हो तो उसे स्विंग ट्रेडिंग कहाँ जाएगा।
Swing ट्रेडिंग का अर्थ
सिम्पली अगर हम स्विंग के अर्थ गूगल में सर्च करते है तो इसका अर्थ आता है झोला।
स्विंग ट्राडिंग का अर्थ शेयर मार्किट में स्टॉक के पोजीशन को दर्शाते हैं।
अगर किसी भी स्टॉक खरीदकर एक से ज्यादा दिन portfolio में रखा जाए तो उसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जायेगा।
स्विंग ट्रेडिंग कितने दिनों के लिए किया जाता है?
स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक को कुछ समय के लिए होल्ड किया जाता है। इसमे आप शेयर को एक दिन या उससे ज्यादा समय तक भी होल्ड कर सकते हो। स्विंग ट्रेडिंग में शेयर के होल्डिंग कोई हप्ते तक भी कर सकते हो। और उसी बीच कुछ प्रतिशत प्रॉफिट बुक करके आप square off भी कर सकते हो
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक को कैसे चुने?
दरअशल स्विंग ट्रेडिंग में ज्यादातर लोग स्टॉक सिलेक्शन टेक्निकल एनालिसिस से ही करते स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने है। इसमें fundamental analysis के ज्यादा रोल नही होते। क्योंकि इसमें आपको थोड़े प्रॉफिट ही बूक करना होता है।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक के चुनाव हमेशा nifty 50 या bank nifty से करे। ऐसे स्टॉक के ओर जाए जिसमे ज्यादा मूवमेंट हो। चार्ट को हमेशा सिंपल रखे और ज्यादा indicator से दूर रहे।
हमेशा मार्किट ट्रेंड को फॉलो करें और sideway market से दूर रहे।
स्विंग ट्रेडिंग के कैसे करें?
स्विंग ट्रेडिंग एक तरह का पोसिशनल ट्रेडिंग ही होते है। इसमे स्टॉक को शर्ट टाइम के लिए होल्ड किया जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक buy आपको डिलीवरी में करना पड़ेगा। इसके लिए आपको पहले किसी भी एक स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने ब्रॉकर के साथ जॉइन होकर डेमेंट अकाउंट क्रिएट करना पड़ेगा। डेमेंट एकाउंट क्रिएट होने के बाद आप वहाँ जाकर स्टॉक आर्डर लगा सकते हो।
इन स्टॉक को आपको delivery पर buy करना पड़ेगा और एक दिन जाने के बाद स्टॉक पोजीशन से हटकर protfolio में चला जायेगा। जिसे आप किसी भी समय exit यानी सेल कर सकते हो।
स्विंग ट्रेडिंग के लाभ
- यह इंट्राडे ट्रेडिंग के तुलना में कम रिस्क है, क्योंकि इसमें आपको काफी समय मिल जाते है।
- स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक को एक दिन या कोई हप्तों तक रख सकते हो। यानी कि आपको सारे दिन चाट निकलकर बैठे रहने के जरूरत नही पड़ते।
- स्विंग ट्रेडिंग को पार्ट टाइम कर सकते है। इसे बिज़नेस या जॉब करें लोग भी कर पाते है।
- स्विंग ट्रेडिंग में छोटे – छोटे रिटर्न्स वार्षिक में एक अच्छा रिटर्न्स बन जाता है।
- स्विंग ट्राडिंग के लिए ज्यादा फंडामेंटल एनालिसिस की जरूरत नही होते। आपको अगर टेक्निकल एनालिसिस आता है तो तब भी आप इससे पैसा बना सकते हो।
- स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे के तुलना में कम noisy होते है।
स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान
- अख्शर देखा जाता है कि मार्किट बहुत ज्यादा gap down ओपन होते है। जिससे ट्रेडर को लोस होने के चांस रहते है।
- इंट्राडे के हिसाब से इसमे बहुत कम रिटर्न्स मिलते है।
- इंट्राडे के तरह स्विंग में किसी तरह मार्जिन नही मिलते। स्विंग ट्रेडिंग में overnight और वीकेंड रिस्क शामिल रहता है।
Conclusion
अगर एक नए बंदे शेयर मार्केट में निवेश के बारे सोच रहे हो तो उसके लिए स्विंग ट्रेडिंग बेस्ट रहते है। क्योंकि इसमें इंट्राडे के तुलना में कम रिस्क होते है।
तो दोस्तो मुझे उम्मीद है स्विंग ट्रेडिंग क्या है (Swing Trading In Hindi) यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। आर्टिकल पसंद आया है तो हमे कमेंट जरूर करे जिससे हमें अनुप्रेणा मिलते है।
Suraj Debnath
असम के निवासी सूरज देबनाथ इस ब्लॉग के संस्थापक है। इन्होने विज्ञान शाखा में स्नातक किया हुआ है। इन्हें शेयर मार्किट, टेक्नोलॉजी, ब्लोगिंग ,पैसे कमाए जैसे विषयों का काफी अनुभव है और इन विषयों पर आर्टिकल लिखते आये है। Join Him On Instagram- Click Here
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इंट्रा-डे की जगह बी.टी.एस.टी. या स्विंग ट्रेड ही करें
यदि आप इंट्रा-डे की जगह मार्जिन पर ट्रेड न करके 'कैश एंड कैरी' में शेयर लेते हैं और अगले दिन बेच देते हैं तो इसे 'बाय टुडे सेल टुमारो' कहते हैं। इसी का संक्षिप्त नाम 'बी.टी.एस.टी. ' है। जब शेयरों को 2 से 30 दिन तक होल्ड करके बेचा जाता है तो इसे 'स्विंग ट्रेड' कहते हैं।
इंट्रा-डे की जगह 'बी.टी.एस.टी.' था। स्विंग ट्रेड की पोजीशन लेना आपके जीतने की संभावना को बढ़ा देता है, क्योंकि इसमें एक तो ऑपरेटर आपकी लिवरेज पोजीशन को ट्रिगर नहीं करवा सकता; दूसरा, आपके पास समय भी ज्यादा होता है, जिसमें शेयर परफॉर्म कर सकता है।
इंट्रा-डे में एवरेज आउट करना घाटे का सौदा हो सकता है; परंतु स्विंग ट्रेड में आप यदि अनुशासन के साथ बताए गए नियमों से एवरेज करते हैं और प्रत्येक एवरेज के साथ-साथ अपना प्रॉफिट टारगेट भी कम करते रहते हैं तो आप इसमें आसानी से बगैर नुकसान किए बाहर निकल सकते हैं।
स्विंग ट्रेड में चूँकि शेयरों की डिलिवरी ली जाती है, इसलिए इसको ट्रेडिंग की जगह निवेश माना जाता है। टैक्स नियमों में भी यह ट्रेडिंग का सट्टा आय के दायरे में न आकर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में आता है, जिसे आप.इन्कम टैक्स हार्वेस्टिंग से बचा सकते हैं। इन्कम टैक्स हारवेस्टिंग के बारे में आप आगामी टिप्स में पढ़ेंगे।
यदि आप इंट्रा-डे में ट्रेड करते हैं तो भी आप VWAP से ब्रेकआउट पर ट्रेड कर सकते हैं। इसके लिए उस दिन के VWAP और शेयर के प्राइस पर निगाह रखिए। यदि शेयर का मार्केट प्राइस उस दिन की VWAP से ऊपर है तो उसके नीचे आने की प्रतीक्षा करें।
जैसे ही यह परिस्थिति बदले, अर्थात् शेयर VWAP से ऊपर ट्रेड करते करते नीचे आ जाए तो आप शॉर्ट पोजीशन बनाएँ। आप देखेंगे कि ज्यादातर मामलों में उस दिन की VWAP से ऊपर ट्रेड कर रहा शेयर नीचे आ जाने के बाद और गिरकर लगभग 0.5 से 1 प्रतिशत तक और गिर ही जाता है। हालाँकि ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले दिनों में वापस भी ऊपर जल्दी आ जाता है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करके 0.5 प्रतिशत रिटर्न मिले तो ले लें।
इसी प्रकार, यदि शेयरं का मार्केट प्राइस उस दिन की VWAP नीचे है तो उसके ऊपर जाने की प्रतीक्षा करें। यदि यह VWAP से नीचे ट्रेड करते-करते अचानक ऊपर आ जाए तो आप उसी समय पर लॉन्ग पोजीशन बनाएँ।
आप देखेंगे कि ज्यादातर मामलों में उस दिन की VWAP से नीचे ट्रेड कर रहा शेयर ऊपर आ जाने के बाद और बढ़कर लगभग 0.5 से 1 प्रतिशत तक और बढ़ ही जाता है। हालाँकि ज्यादा उतार-चढ़ाववाले दिनों में वापस भी नीचे जल्दी आ जाता है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करके 0.5 प्रतिशत रिटर्न मिले तो ले लें।
यह मैथड 60 से 80 प्रतिशत मामलों स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने में ही सही जाता है, इसलिए यह भी शत-प्रतिशत परफेक्ट नहीं है; पर ट्रेडिंग एक कला है और उस कला का यह आवश्यक भाग है।
इस विधि में स्टॉप लॉस वगैरह आप पिछली टिप्स में बताए अनुसार रख सकते हैं, अर्थात् इसमें स्ट्रॉप लॉस व प्रॉफिट में 1:2 का अनुपात होना चाहिए।
मेरे अनुभव में स्टॉप लॉस रखने पर नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि प्राइस बहुत तेजी से ऊपर-नीचें होने से छोटे स्टॉप लॉस उड़ जाते हैं तो आपको क्या करना चाहिए? बगैर स्टॉप लॉस के ट्रेड लेने से आपको बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
मैंने इसका तोड़ निकाला है। आपको स्टॉप लॉस का स्मॉल ट्रेड मैथड इस्तेमाल करना चाहिए या आपको समग्न आधारित स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करना चाहिए, जिनका वर्णन आगामी टिप्स में किया गया है।
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