वैश्विक संकेतक

हेम सिक्योरिटीज के निदेशक गौरव जैन ने कहा, ‘जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में लगातार नौवें महीने गिरावट आई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी नीचे आई है। ऐसे में उम्मीद बंधी है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर सितंबर की मौद्रिक समीक्षा से पहले ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।’
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक ‘( MPI) की निगरानी के लिए नीति आयोग’ द्वारा राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का निर्माण
वैश्विक ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ 107 विकासशील देशों की बहुआयामी गरीबी मापने की इसे ‘ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल’ (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा वर्ष 2010 में विकसित किया गया था।इसे प्रतिवर्ष जुलाई माह में संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास पर ‘उच्च स्तरीय राजनीतिक अधिकार’ (HLPF) में जारी किया जाता
- वैश्विक MPI, भारत सरकार द्वारा पहचाने गए उन 29 चुनिंदा वैश्विक सूचकांकों में से एक है, जिन्हें ‘सुधार और विकास के लिये वैश्विक संकेतक’ (Global Indices to Drive Reforms and Growth- GIRG) के रूप में जाना जाता है।
- GIRG में शामिल सूचकांक, महत्त्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक संकेतकों के आधार पर भारत के प्रदर्शन का मापन और निगरानी करने में मदद करते हैं
- नीति आयोग द्वारा MPI की निगरानी के लिये एक ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक समन्वय समिति’ का गठन किया गया है।
- इस समिति में विद्युत, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, आवास और शहरी मामले, स्वास्थ्य और वैश्विक संकेतक परिवार कल्याण जैसे मंत्रालयों और विभागों के सदस्य शामिल हैं। इन मंत्रालयों/विभागों का चयन MPI सूचकांक में शामिल दस संकेतकों के आधार पर किया गया है।
- MPI में प्रदर्शन की निगरानी के लिये MPI पैरामीटर डैशबोर्ड तैयार किया जा रहा है।
- यह डैशबोर्ड पाँच बेंचमार्को के आधार पर राज्यों की प्रगति का आकलन करेगा।
- MPI के आयाम (शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर);
- MPI के संकेतकों (10 संकेतकों);
- उप-संकेतकों (प्रत्येक संकेतक में 13 उप-संकेतक),
- आधार रेखा [‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 4 के आधार पर निर्धारित]
- राज्यों की वर्तमान स्थिति (संकेतकों के नवीनतम आउटकम सर्वे पर आधारित)
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण का एक पूरे समाज वैश्विक संकेतक का दृष्टिकोण है, जो व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर आधारित है। यह स्वास्थ्य के अधिक व्यापक निर्धारकों को संबोधित करता है और शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य और कल्याण वैश्विक संकेतक के व्यापक और आपस में संबंधित पहलुओं पर केंद्रित है।
वह पूरे जीवन में स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए पूरे की देखभाल मुहैया कराता है और न केवल विशिष्ट रोगों के लिए। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल करता है कि लोगों को व्यापक देखभाल मिले, जिसमें प्रमोशन और निवारण सेउपचार, पुनर्वसन और पीड़ाहारक देखभाल शामिल है, जो लोगों के दैनिक पर्यावरण के लिए अधिक से अधिक योग्य हो।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का मूल न्याय और समानता के प्रति वचनबद्धता और स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक के मूलभूत अधिकार की मान्यता में है, जैसे कि मानव अधिकारों पर वैश्विक घोषणा की धारा २५ में बताया गया हैः “हर किसी को उसके और उसके परिवार के लिए पर्याप्त जीवनमान का अधिकार है, जिसमें अन्न, वस्त्र, आवास और वैद्यकीय देखभाल तथा आवश्यक सामाजिक सेवायें शामिल हैं […]”
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल महत्त्वपूर्ण क्यों है?
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का नूतनीकरण करना और उसे प्रयासों के केंद्र वैश्विक संकेतक में रखकर स्वास्थ्य और कल्याण को सुधारना तीन कारणों से महत्त्वपूर्ण हैः
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तेज़ी से आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और जनसंख्या परिवर्तनों को प्रतिक्रिया देने के लिए सुस्थित है, जिनमें सभी स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रभाव डालते हैं। हाल के विश्लेषण से पता चला है कि १९९० से २०१० में बाल मृत्युदर को कम करने के लगभग आधे लाभ स्वास्थ्य क्षेत्र के बाहर के घटकों के कारण थे (जैसे कि पानी और स्वच्छता, शिक्षा, आर्थिक विकास)। प्राथमिक वैश्विक संकेतक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण हित संबंधितों की व्यापक परिधि को आकर्षित कर स्वास्थ्य और कल्याण के सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और व्यावसायिक निर्धारकों को संबोधित करने के लिए नीतियों की परीक्षा और बदलाव लाता है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और कल्याण के उत्पादन में महत्वपूर्ण कार्यकारकों के रूप में लोगों और समुदायों से व्यवहार करना हमारे बदलते विश्व की जटिलताओं को समझने और प्रतिक्रिया देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य और कल्याण के आज के प्रमुख कारणों और खतरों को संबोधित करने के लिए, साथ ही आने वाले समय मेंस्वास्थ्य और कल्याण को खतरे में डालने वाले उभरती चुनौतियों को संभालने के लिए अति प्रभावी और कार्यक्षम पद्धति सिद्ध हुई है। वह एक अच्छे मूल्यवान निवेश भी सिद्ध हुआ है, क्योंकि ऐसा प्रमाण है कि गुणवत्तावान प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अस्पताल में भर्ती होना कमी करने के द्वारा कुल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को कम करती और वैश्विक संकेतक कार्यक्षमता को बढ़ाती है। बढ़ती जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को संबोधित करने के लिए एक बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली और निवारक नीतियों का समेकन करता है, वह समाधान जो समुदायों को प्रतिक्रिया देते हैं और स्वास्थ्य सेवायें जो जनकेंद्रित होती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में महत्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं, वैश्विक संकेतक जो स्वास्थ्य सुरक्षा को सुधारने और महामारियों व सूक्ष्म जीवरोधी प्रतिरोध वैश्विक संकेतक वैश्विक संकेतक जैसे स्वास्थ्य खतरों के निवारण में आवश्यक हैं, जो सामुदायिक सहभाग तथा शिक्षा, विवेकपूर्ण निर्धारण, और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यवाहियों जैसे कि पर्यवेक्षण के माध्यम से होगा। सामुदायिक और पेरिफ़ेरल स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर प्रणालियों को करने से निरंतरता बनाने में योगदान मिलता है, जो स्वास्थ्य प्रणाली के झटके झेलने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- अधिक शक्तिशाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिरस्थायी विकास ध्येयों और वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। वह स्वास्थ्य ध्येय(एसडीजी३) के परे अन्य ध्येयों की उपलब्धि में योगदान देगा, जिसमें गरीबी, भूख, लैंगिक समानता, स्वच्छ पानी और सुरक्षा, कार्य तथा आर्थिक विकास, असमानता और जलवायु कार्य कम करना शामिल है।
वैश्विक संकेतक, रुपये की गतिविधि से तय होगी बाजार की दिशा
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वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8% की रहेगी वृद्धि, कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण विकास देंगे रफ्तार
इंस्टीट्यूट फार स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार भी भानूमूर्ति का समर्थन करते हुए कहते हैं कि उच्च संकेतक मजबूत विकास का इशारा कर रहे हैं जिससे वित्त वर्ष 2022-23 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 से 7.वैश्विक संकेतक 8 प्रतिशत के बीच रह सकती है
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रमुख अर्थशास्त्रियों वैश्विक संकेतक का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर पैदा हुई बाधाओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7-7.8 प्रतिशत की वृद्धि रहेगी। कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी और ग्रामीण विकास में पुनरुद्धार से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलेगी। प्रमुख अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनामिक्स के वाइस चांसलर एनआर भानूमूर्ति का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न बाधाओं का सामना कर रही है। इसमें बाहरी बाधाएं प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन वैश्विक संकेतक युद्ध के कारण वैश्विक महंगाई की चुनौती बनी हुई है अन्यथा घरेलू मैक्रो फंडामेंटल काफी मजबूत हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत, भारत की ओर से किए गए राजकोषीय नीति हस्तक्षेप जैसे कोविड प्रोत्साहन उपाय महंगाई को कम करने और विकास को बढ़ावा देने वाले रहे हैं।