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व्यापारिक विदेशी मुद्रा

व्यापारिक विदेशी मुद्रा

India to Make Global Payments in Rupees Instead of Dollars, डॉलर के स्थान पर भारत अब रुपए में करेगा विदेशी व्यापार

1 जुलाई को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जून के आखिरी हफ्ते तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से 5 अरब डॉलर कम हो चुके हैं. इन सब बातों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लेते हुए रूपए को इंटरनेशनल करने का फैसला किया है.

डॉलर पर रूपए की निर्भरता अब जल्द हीं ख़त्म होने वाली है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि वह रुपए में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक मैकेनिज्म इस्टेब्लिश कर रहा है. इस प्रसंग में आगे आरबीआई ने कहा कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होने के साथ निर्यात पर जोर देने और वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here व्यापारिक विदेशी मुद्रा
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रूपए होगा इंटरनेशनल

1 जुलाई को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जून के आखिरी हफ्ते तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से 5 अरब डॉलर कम हो चुके हैं. इन सब बातों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लेते हुए रूपए को इंटरनेशनल करने का फैसला किया है. हालाँकि इस बात की माँग भारतीय अर्थशास्त्रियों के द्वारा पिछले काफी समय से की जा रही थी.

जो अब जाकर आरबीआई ने लागू करने का फैसला किया है. ऐसी सम्भावना जताई जा रही है व्यापारिक विदेशी मुद्रा कि भारत के इस कदम से देश को यथेष्ट रूप से फायदा होगा.

रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर

गौरतलब है कि व्यापारिक विदेशी मुद्रा जून के महीने में भारत का ट्रेड डेफिसिट 25.63 अरब डॉलर पहुँच चुका है जो एक चिंताजनक संकेत हैं.

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रिकॉर्ड व्यापार घाटे के पीछे की सबसे बड़ी वजह पेट्रोलियम, कोयले और सोने के आयात में भारी बढ़ोतरी को बताया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले रूपए के कमजोर होने से इसका सीधा असर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा है. ऐसे में आरबीआई का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब हाल के हफ्तों में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर क्रैश हो गया है.
देखा जाए तो पिछले कुछ महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध आदि कई बदले हुए अंतर्राष्ट्रीय हालात और राजनीतिक परिदृश्य में भारत के लिए अपने व्यापार घाटे को मैनेज करना काफी मुश्किल काम हो सकता है. फिर भी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने पिछले हफ्ते यह प्रस्ताव दिया कि हमें रूपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए एक गंभीर और सतर्क प्रयास जरुर करना चाहिए.

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रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौता

जब देश वस्तुओं या सेवाओं का आयात या निर्यात करता है तो इसके लिए भुगतान विदेशी मुद्रा में किया जाता है. जैसा कि हम जानते हैं कि यूएस डॉलर दुनिया की रिज़र्व मुद्रा है इसलिए ज्यादातर लेन देन अमेरिकी डॉलर में हीं किए जाते हैं. विदेशों से इस तरह की खरीददारी में भारतीय खरीददार को पहले रूपए को अमेरिकी डॉलर में बदलना पड़ता है. फिर बेचने वाले देश को डॉलर से भुगतान होता है और बाद में उसकी अपनी मुद्रा में पैसे परिवर्तित किए जाते हैं. लेन-देन में व्यापारिक विदेशी मुद्रा पैसों के इस रूपान्तरण का खर्च दोनों हीं पक्षों को उठाना पड़ता है. ऐसे में व्यापार समझौता अगर रूपए में होता है तो अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रूपए में चालान बनाया जाएगा. हाँ पर इसके लिए दूसरे पक्ष के पास वोस्ट्रो खाते का होना जरुरी है जिसे अधिकृत डीलर अपने बैंक में विशेष रूप से खोल सकता है.

क्या है वोस्त्रो और नोस्ट्रो खाता ?

ये खाते आम नागरिकों के लिए नहीं बल्कि केवल व्यापार के उद्देश्य से बनाए गए हैं. ये खाते किसी दूसरे देश के द्वारा बनवाए जाते हैं. आइए जानते हैं कि क्या है वोस्त्रो और नोस्ट्रो खाता -

वोस्ट्रो खाता

वोस्ट्रो खाता किसी विदेशी बैंक का भारत में भारतीय बैंक के साथ खाता है. विदेशी पक्ष इन वोस्ट्रो खातों के माध्यम से भारतीय निर्यातकों और आयातकों से पैसे भेज और प्राप्त कर सकेंगे.
यूनाइटेड किंगडम या संयुक्त राज्य के बैंक अक्सर विदेशी बैंक की ओर से एक वोस्ट्रो खाता रखते हैं. वोस्ट्रो खाते को देश की मुद्रा में रखा जाता है और वहाँ देश की मुद्रा में धन जमा होता है. रुपये में भुगतान स्वीकार करने के लिए अधिकृत डीलर बैंक विशेष में वोस्ट्रो खाते खोल सकेंगे.

पहले की तरह व्यापार घाटा नहीं पाट पा रहीं आईटी कंपनियां

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं का देश से सबसे अधिक निर्यात होता है और इससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी आती है। मगर देश के तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे और चालू खाते के घाटे की भरपाई करने की उद्योग की क्षमता लगातार घट रही है। इस साल जुलाई में आईटी सेवाओं के शुद्ध निर्यात से देश के मासिक व्यापार घाटे की महज 30 फीसदी भरपाई हो सकी, जबकि पिछले साल जुलाई में इस क्षेत्र ने व्यापार घाटे की 68 फीसदी भरपाई कर दी थी। पिछले 10 साल में आईटी सेवाओं के शुद्ध निर्यात ने भारत के औसतन 57.5 फीसदी वस्तु व्यापार घाटे की भरपाई की है।

इस साल जुलाई में देश का शुद्ध आईटी सेवा निर्यात 9 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल जुलाई महीने के 7.5 अरब डॉलर से 20 फीसदी अधिक था। मगर इस बार जुलाई में वस्तु व्यापार घाटा 30 अरब डॉलर रहा, जो पिछले जुलाई के 11 अरब डॉलर से 173.4 फीसदी ज्यादा था।

कुल निर्यात में से कुल आयात घटाने पर शुद्ध निर्यात सामने आता है। जब आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से अधिक होता है तो देश को व्यापार घाटा होता है। भारत के वस्तु व्यापार में भी इसी तरह घाटा हो रहा है।व्यापार का ज्यादा स्पष्ट रुझान सालाना या पिछले 12 महीनों के आंकड़ों से सामने आता है। इस साल जुलाई में खत्म 12 महीने की मियाद में आईटी सेवाओं का शुद्ध निर्यात 101.1 अरब डॉलर रहा, जो जुलाई 2021 में समाप्त 12 महीनों के 92 अरब डॉलर से 9.9 फीसदी अधिक है। इसी अवधि में वस्तु व्यापार घाटा दोगुने से भी ज्यादा वृद्धि कर 258.7 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई, 2021 में समाप्त 12 महीनों की अवधि में 127 अरब डॉलर ही था। इसलिए इस साल जुलाई में समाप्त 12 महीनों के दौरान भारत के व्यापार घाटे की केवल 39.1 फीसदी भरपाई शुद्ध आईटी सेवा निर्यात से हुई, जबकि एक साल पहले भरपाई का आंकड़ा 72.3 फीसदी था।

आईटी सेवा निर्यात में सुस्त वृद्धि के कारण भारत को अपना व्यापार घाटा और चालू खाते का घाटा पाटने के लिए पूंजी की आवक और विदेश में बसे कामगारों से आने वाली रकम पर अधिक निर्भर रहना पड़ा है। इससे रुपये पर दबाव पड़ता है। सिस्टेमैटिक्स ग्रुप में रणनीति एवं शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘भारत का घाटा आईटी सेवा निर्यात के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है। इससे हाल के वर्षों में चालू खाते का घाटा पाटने के लिए पूंजी की आवक पर हमारी निर्भरता बढ़ी है। ऐसे में वैश्विक पूंजी आवक में बदलाव आने पर अर्थव्यवस्था को ठेस पहुंचती है, जैसा इस साल दिख भी रहा है।’ अन्य जानकार कच्चे तेल की ऊंची कीमतों पर इसका ठीकरा फोड़ते हैं, जिसकी भारत में होने वाले आयात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘आयात और निर्यात का अनुपात और बिगड़ने के आसार हैं। तेल कीमतों के झटके का असर कोयले, प्राकृतिक गैस, खाद्य तेल और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी से गहरा जाएगा।’

विदेशी व्यापार के हाल के रुझान बताते है कि देश का व्यापार और चालू खाते का घाटा पाटने की आईटी क्षेत्र की कुव्वत और भी कम होती जाएगी। वित्त वर्ष 2023 में वस्तु निर्यात में तेजी से गिरावट आई है और आईटी सेवाओं का आयात उनके निर्यात के मुकाबले बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में वस्तु व्यापार पिछले साल अप्रैल-जुलाई के मुकाबले 18.5 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछली बार इसमें 41.7 फीसदी वृद्धि हुई थी। इसके मुकाबले इस बार अप्रैल-जुलाई में आयात केवल 48.3 फीसदी घटा, जो पिछली बार 56.37 फीसदी घटा था। इसीलिए इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 101 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

भारत पर विदेशी मुद्रा के दबाव को कम करने के लिए RBI अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में भुगतान की अनुमति देता है।

सारा कुमारी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को भारतीय रुपये में निर्यात / आयात के चालान, भुगतान और निपटान के लिए एक अतिरिक्त ढांचे की घोषणा की। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में मूल्यवर्ग के निपटान तंत्र को मंजूरी दे दी।

केंद्रीय बैंक कुछ स्थानीय बैंकों को इस व्यापार-निपटान तंत्र को संचालित करने के लिए अधिकृत करेंगे। आरबीआई का नोट भारतीय पक्ष में ऐसे बैंकों को अधिकृत डीलर बैंक कहता है। दूसरे देश में स्थानीय बैंक आरबीआई के पैसे को अपनी स्थानीय मुद्रा में रखेगा और भारतीय पक्ष में बैंक दूसरे केंद्रीय बैंक के पैसे को रुपये में रखेगा।

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आरबीआई के अनुसार इसके लिए अधिकृत डीलर बैंकों को अपने विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्वानुमति लेनी होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देने और भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करने के लिए यह उपाय किया गया है।

यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए है, और तंत्र ऐसे किसी भी व्यापार को रुपये में निपटाने में मदद करेगा। पहले, आरबीआई के विनिमय नियंत्रण नियमों के तहत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (नेपाल और भूटान के साथ किए गए को छोड़कर) को पूरी तरह से परिवर्तनीय मुद्राओं जैसे अमेरिकी डॉलर, स्टर्लिंग पाउंड, यूरो और येन में तय किया जाना था। यह नवीनतम अधिसूचना व्यापार को भारतीय रुपये में बिल और निपटाने की अनुमति देती है।

आरबीआई ने कहा है कि यह भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए है और क्योंकि भारतीय रुपये में व्यापार के लिए रुचि बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने कहा है कि व्यापार-निपटान तंत्र रूस के साथ व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए है, जिसे अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में अपने डॉलर के भंडार से काट दिया गया है।

आरबीआई के नवीनतम नोट के अनुसार, पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब किसी दूसरे देश का बैंक भारत में एडी बैंक से संपर्क करता है, और कहता है, ‘हम रुपये में बसे व्यापार के लिए एक “वोस्ट्रो खाता” स्थापित करना चाहते हैं’। फिर भारतीय बैंक उस अनुरोध को मुंबई में केंद्रीय कार्यालय में आरबीआई के विदेशी मुद्रा विभाग में ले जाएगा। भारतीय बैंक व्यापारिक विदेशी मुद्रा को यह सुनिश्चित करना होगा कि भागीदार बैंक ‘उच्च जोखिम और गैर-सहकारी क्षेत्राधिकार’ से नहीं है।

बैंकों को केवल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की सूची का उल्लेख करना होता हैं। यहीं से आरबीआई के नोट में उल्लिखित ‘रुपया वोस्त्रो खाते’ आता है। वोस्त्रो का सीधा सा अर्थ है “आपका पैसा हमारे खाते में”, इसलिए ‘रुपया वोस्त्रो खाते’ भारतीय बैंक में विदेशी संस्था की होल्डिंग को भारतीय रुपये में रखते हैं।

जब एक भारतीय व्यापारी निर्यात करता है, तो वह अपने नियमित बैंक से संपर्क कर सकता है, जो भारतीय एडी बैंक को चालान भेज देगा। भारतीय एडी बैंक रुपया “वोस्त्रो खाते” से डेबिट करेगा और निर्यातक के नियमित बैंक में पैसा जमा करेगा, जो बदले में निर्यातक के बैंक खाते में पैसा जमा करेगा। जब कोई भारतीय व्यापारी आयात करता है, तो वह भुगतान को अपने नियमित बैंक में स्थानांतरित कर देगा, जो फिर उसे एडी बैंक में स्थानांतरित कर देगा।

एडी बैंक रुपया वोस्त्रो खाते को क्रेडिट करेगा, और दूसरे देश के निर्यातक को वहां के अधिकृत बैंक के व्यापारिक विदेशी मुद्रा व्यापारिक विदेशी मुद्रा व्यापारिक विदेशी मुद्रा माध्यम से और स्थानीय मुद्रा में भुगतान किया जाएगा।इस प्रकार, धन का केंद्रीय पूल तब तक डेबिट और क्रेडिट किया जाएगा जब तक कि तंत्र मौजूद है, और नियमित अंतराल पर, जिस देश के पक्ष में भुगतान संतुलन है, वह तय करेगा कि पूल में शेष राशि का क्या करना है।

केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ‘ऐड-ऑन’ बेनिफिट्स की पेशकश की है। एक निर्यातक इस तंत्र के माध्यम से रुपये में अग्रिम भुगतान प्राप्त कर सकता है। दूसरा, यदि कोई निर्यातक भी अपने विदेशी साझेदार से आयात करता है, तो निर्यातक देय आयात से प्राप्य निर्यात को ‘सेट-ऑफ’ या घटा सकता है। शेष राशि का भुगतान निर्यातक को किया जाएगा। तीसरा, इन व्यापार लेनदेन को बैंक गारंटी के साथ समर्थित किया व्यापारिक विदेशी मुद्रा जा सकता है।

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देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 544 अरब डॉलर के पार पहुंचा

देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 544 अरब डॉलर के पार पहुंचा

नई दिल्ली, 19 नवंबर । आर्थिक र्मोचे पर सरकार के लिए अच्छी खबर है। विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर को समाप्त हफ्ते के दौरान 14.73 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के जारी आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर को समाप्त हफ्ते के व्यापारिक विदेशी मुद्रा दौरान 14.73 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रही है। इससे पहले बीते 4 नवंबर को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 529.99 अरब डॅालर रहा था।

आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान मुद्रा भंडार का अहम घटक विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) भी 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि के साथ 482.53 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसी तरह देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 2.64 अरब डॉलर बढ़कर 39.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरूआत में अपना विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर था, लेकिन रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिल रहा है। हालांकि, 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॉलर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।

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